रिपोर्ट / विजय शर्मा
कोण्डागांव / कहते है किसी का दर्द जानना है तो आपको उसकी स्थान लेनी होगी बिलकुल इसी तरह का नजारा 18 नवंबर को जिले के सबसे अंतिम छोर पर बसे नक्सल प्रभावित ग्राम में देखने को मिला। जब जिले के कलेक्टर निलकंठ टेकाम नक्सलीयो के बंद के बाद भी उन गांव में मोटर सायकल पर सवार होकर तीन बडी – बडी नदीयां जंहा पुल भी नही है, उसे पार कर ग्रामीणो के बीच पहुँचे और कहा की मै आपकी समस्याऐं जानने समझने आया हु, जब तक मै यंहा नही पहचुगां तब तक मै आप लोगों की समस्या कैसे जानुगां और शासन को क्या बता पाउगां।
अचानक कार्यक्रम से हैरान थे सुरक्षा कर्मी व कर्मचारी –
दोपहर जब कलेक्टर ग्राम कोनगुड़ पहुचे थे, तो सभी ग्रामीण स्कुल परिसर पर बैठने की व्यवस्था कर रहे थे। मगर कलेक्टर पहुँचकर आगे जाने की इच्छा जाहीर की और बाईक की व्यवस्था करने को कहा तो ग्रामीणो ने उन्हे आगाह किया की आगे नदीयां है। जंहा पुल नही है। तभी कलेक्टर ने कहा की तो नदीयों के पार रहने वाले लोग कैसे आते है तभी ग्रामीणों ने बताया कि नदी में पानी अभी कम है। कलेक्टर ने कहा आगे जायेगें तभी तो वहाँ की समस्या जान पाएंगे और ये भी पता चलेगा कि नदी के उस पार के लोगों को यहां पहुँचने में क्या दिक्कते आती होंगी।
कलेक्टर हुये गायब तो मचा हडकंप –
दो नदीयां पार कर कलेक्टर आगे निकले तो अचानक जंगल रास्ते भी सभी कर्मचारी जवान के सर्म्पक एक दुसरे से अचानक कट गए और प्रशासन के सभी लोग जाकर गांव के स्कुल में इंतजार करने लगे की शायद दुसरी ओर से कलेक्टर पहुचेगे। मगर काफी देर बाद भी नही पहुचने से सबके चेहरे पर एक डर बना रहा, तभी कुछ समय के बाद कलेक्टर स्कुल पहुचे जंहा पहले नक्सलीयों ने भवन को अपना निशाना बनाया था तो सबको राहत मिली ।
जवानो के साथ अधिकारीयों को करनी पडी मशक्त –
नक्सली बंद के दौरान कलेक्टर जब स्वंय बाईक पर उन ईलाको में दौड रहे थे और उसी बीच जवान उनके पिछे – पिछे कर्मचारीयो के वाहन में रहे तभी जवानों / अधिकारियों के चेहरे पर डर साफ दिखाई पड़ रहा था। हालांकि एक और भी डर था कि कही इस दौरान वाहनों के डीजल न समाप्त हो जाए।
पहली बार पुहचा था प्रशासन – यह पहला मौका था जब कलेक्टर अपने अमले के साथ जिले के अंतिम गांव वह भी बाईक व कुछ दुरी पैदल चलकर पहुचे थे। ग्रामीणो में खुशी देखते ही बनती थी। ग्रामीण अपनी समस्या भुलकर यह देखने व अपने आप को भरोसा देने में लगे थे की सच में कलेक्टर उनके अपने बीच पुहचें है स्वंय कलेक्टर को पुछना पड रहा था की गांव में क्या – क्या समस्याऐं है। कलेक्टर एक ओर समस्याएं जानने में लगे थे तो दुसरी ओर अधिकारी उन समस्याओं को अपनी डायरी मे नोट कर रहे थे।
विकास की जागी उमींद –
कलेक्टर के आने से ईलाके के लोगां को एक नई उमींद आई है। पुल व स्कुल भवनो, आश्रमो को पहली प्राथमिकता के साथ जल्द शुरू करने को भरोसा ग्रामीणो को कलेक्टर ने दिया है।
कलेक्टर ने मांगा ग्रामीणो से मदद –
कलेक्टर ने ग्रामीणो के साथ बैठकर चर्चा में कहा आपका साथ होगा तो हर काम संभव है। विकास में आपकी भागीदारी जरूरी है हम किसी बाहरी लोगो को काम नही देगे। सडक पुल पुलिया से लेकर हर काम में ग्राम के लोगो का साथ होगा ग्रामीणो ने कहा हम आपके साथ है।
निलंकठ टीकाम कलेक्टर –
मैं खुद तेन्दुपत्ता तोड़ते हुये इस मुकाम तक पुहंचा हूं। काम में कोई शर्म नही होनी चाहिए। गांव का विकास तभी सम्भव हैं। जब उसे सड़को से जिला मुख्यालय तक जोड़ी जाये। दो नदीयों में शिघ्र बनेगे पुल इसके लिये ग्रामिण भी अब आगे आ रहे है, जो अच्छी शुरूवात हैं।