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कांग्रेस में बड़ी असमंजस की स्थिति, पहले आप के इतंजार में रुके दावेदार – संदर्भ विधानसभा चुनाव 2018

कोरिया / बैकुन्ठपुर – छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनावों में अब लगभग 10 माह का समय शेष बचे है।

बैकुन्ठपुर विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के इकलौते प्रबल दावेदार वर्तमान विधायक व छग सरकार में कैबिनेट मंत्री भईयालाल राजवाड़े ही है। वैसे द्वितीय पंक्ति में पूर्व नपा अध्यक्ष शैलेष शिवहरे, जिला पंचायत सदस्य देवेन्द्र तिवारी, मंत्री प्रतिनिधि रेवा यादव के नाम भी दावेदारी में है। लेकिन राजवाड़े बाहुल्य मतदाता व भईयालाल राजवाड़े के चरचा वोट बैंक की वजह से श्री राजवाड़े अभी भी नंबर वन पर बने हुए। हालांकि बीच- बीच में उनके इस बार टिकट कटने की अफवाह उड़ती रहती है। वह पार्टी के भीतर के विरोधियो के लिए केवल दिल बहलाने का माध्यम भी हो सकता है।

भारतीय जनता पार्टी चूंकि सत्ता में है तो जिला प्रशासन के माध्यम से सरकारी योजनाओ की जानकारी व क्रियानवयन संबंधी प्रचार प्रसार करने से कहीं न कहीं स्वमेव पार्टी का प्रचार हो ही रहा है। वहीं सरकारी आयोजनो में लगातार शिरकत करने से भईयालाल राजवाड़े भी कहीं न कहीं जनता से सीधे जुड़ रहे है। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि चुनाव के 10 माह दूर होने के बाद भाजपा का प्रचार ठीक तरह से हो ही रहा है। इस बार नयी पार्टी अजीत जोगी की छग जनता कांग्रेस भी विरोधियो की नाक में दम करने मैदान में आ गयी है। इस पार्टी से टिकट के प्रबल दावेदार बिहारी राजवाड़े ने जन अधिकार यात्रा के बहाने पर बूथ का दौरा कर मतदाताओ के बीच जहां अपनी पकड़ बनाई, वहीं कार्यकत्ताओ की संख्या में भी अच्छा इजाफा कर लिया है। गुलाबी ठंड में गुलाबी झंडे की दस्तक हर घर तक पहुंचाने का प्रयास बिहारी राजवाड़े कर रहे है। पिछले दो बार से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का कारण बनने वाले गोंडवाना गणतंत्र पार्टी भी गाहे बगाहे धरना, विरोध प्रर्दशन व आम सभा के माध्यम से अपनी एकजुटता के शहर में भी सेंध लगाने की जुगत में है। साफ साफ कहा जाए तो आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी पार्टी अहिस्ता-अहिस्ता किसी न किसी प्रकार से चुनावी प्रचार में लग गयी है। लेकिन कांग्रेस में इसके विपरीत बयार चल रही है। यदि प्रदेश नेतृत्व का आदेश न हो तो बैकुन्ठपुर विधानसभा में कांग्रेसी एक भी धरना प्रर्दशन, विरोध, आमसभा या पुतला दहन नही करते है।

दरअसल बैकुन्ठपुर में एक तो कांग्रेस पिछले 9 सालो से सत्ता से बाहर है। दूसरा जब टिकट का कोई भी दावेदार जमकर पैसा खर्च् कर कोई बड़ा कार्यक्रम कराता भी है तो टिकट किसी और को मिल जाती है। कुल मिला कर कांग्रेस में स्थिति मेहनत करे मुर्गा व अंडा खाए फकीर जैसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। इसलिए अब हालात यह है कि जिसको चुनाव लड़ना है वह आगे आ कर सत्ताधारी दल भाजपा व मंत्री भईयालाल का विरोध करे या उनके खिलाफ कुछ बयान जारी करे। पहले आप पहले आप के चक्कर में कोई भी भाजपा या मंत्री जी के खिलाफ कोई बयान जारी नही करना चाहता है। जिसका सीधा फायदा भईयालाल राजवाड़े को होता दिखाई पड़ रहा है। वहीं कांग्रेस से जो टिकट का प्रबल दावेदार है वह यह सोचकर अभी हाथ पैर नही मार रहा है कि कहीं इस बार डां़ रामचंद्र सिंहदेव की नही चल पायी व टिकट नही मिला तो धन, समय, एनर्जी सब व्यर्थ हो जाएगा व मंत्री से नाराजगी अलग गले पड़ जाएगी। एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति से जूझ रही कांग्रेस को शीर्ष नेता डां चरणदास महंत व टीएस सिंहदेव जैसे छग के बड़े नेता भी किसी प्रकार की संजीवनी बूटी देने मेंं अपने आप को असमर्थ पा रहे है। वैसे कांग्रेस से क्रम से वेदांती तिवारी, योगेश शुक्ला, अशोक जायसवाल का नाम प्रबल दावेदारो में बना हुआ है। वैसे राजा परिवार की श्रीमती अम्बिका सिंहदेव भी दो दौरा कर इशारों ही इशारों में चाचा जी (डां रामचंद्र सिंहदेव ﴿का आशीर्वाद मिलने पर बैकुन्ठपुर से चुनावी समर में उतरने की इच्छा जता जुकी है और कुमार साहब की ओर से यदि उनको हरी झंडी मिलती है तो उनके नाम से आलाकमान में भी सहमति बन जाएगी। जिस तरह मनेन्द्रगढ़ में डां. विनय जायसवाल ने व भरतपुर-सोनहत में गुलाब कमरो ने स्थानीय विधायक, सत्ता धारी दल व सरकार के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल रखा है वह अपने आप में काबिले तारीफ है। परंतु बैकुन्ठपुर में ऐसा क्यों नही हो पा रहा है यह पार्टी व पार्टी के लोगो से छिपा नही है।

बहरहाल यह कहना कि कांग्रेस और कांग्रेस के नेताओं में आज असमंजस की स्थिति बनी हुई है जो बिल्कुल गलत नही होगा या यूं कहें कि कांग्रेस नेता यह सोच के मैदान में आने से कतरा रहे है कि कहीं बैकुंठपुर विधानसभा में चुनावी तैयारी करने के वावजुद उनके साथ मेहनत करे मुर्गी अंडा खाए फ़क़ीर जैसी कहावत न सच हो जाए।

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