रायपुर / छत्तीसगढ़ राज्य में शिक्षाकर्मियों का संविलियन नही होने से माओवादी भी आक्रोश में है। इसका खुलासा वीरेंद्र दुबे को उनके कार्यरत संस्था के पते पर मिले उस पत्र से होता है। जिसमें उन्होंने वीरेंद्र दुबे को नामजद कर प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित 10 भाजपा नेताओं को निशाने में लेते हुए शीघ्र ही संविलियन न होने की स्थिति में अंजाम के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी है।
आपको बता दे कि डाक पत्र में माओवादी मदनवाड़ा मानपुर छत्तीसगढ़ का उल्लेख है। मोआवादी के उक्त पत्र के संबंध में वीरेंद्र दुबे ने कहा है कि संविलियन और शिक्षाकर्मियों के प्रति उनकी भावनाओं से वे पूरी तरह अवगत है। उन्होंने स्वयं विगत 19 वर्षों न केवल ईमानदारी से प्रयास किया है, बल्कि वे कई बार जेल तक भी गए है। इसके साथ ही कई परिस्थितियों से गुजरा की लेकिन कभी भी आम शिक्षाकर्मियों के हितों के साथ समझौता नहीं किया है। मेरे प्रयासों से छग में संविलियन का विषय पुन: सरकार की कार्रवाई में आई और उच्च स्तरीय समिति इस विषय पर कार्य कर रही है। राष्ट्रीय स्तर पर भी पैरा शिक्षक संघ के संयोजक के रूप में संविलियन के आंदोलन को मैंने दिशा दी है। जिससे फलस्वरूप म.प्र. में संविलियन की घोषणा हो चुकी है। फिर भी मुझे जान की धमकी देना दुर्भाग्यजनक है। वीरेंद्र दुबे ने धमैश शर्मा, हेमंत सोनवानी, जितेंद शर्मा, भानु डहरिया आदि के साथ गृहमंत्री रामसेवक पैकरा से मिलकर उक्त पत्र को सौंपते हुए मामले में ध्यानाकर्षण कराया है। साथ ही मामले की जांच की मांग की है।

जानकारी के मुताबिक सोमवार की सुबह पाटन विकासखंड के हाईस्कूल झीट के पते पर पत्र आया है। पत्र में शिक्षाकर्मियों की हड़ताल, संविलियन की मांग और झीरम घाटी कांड का उल्लेख किया गया है। पत्र में वीरेन्द्र दुबे के नाम का जिक्र है। शिक्षाकर्मी नेता वीरेंद्र दुबे के अनुसार नक्सल प्रभावित राज्य होने के कारण गृहमंत्री से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी दे दी गई है। हालांकि यह भी सत्य है कि उन्होंने आशंका जताई है कि यह किसी की शरारत भी हो सकती है।
