कोरिया / छत्तीसगढ़ राज्य का विधानसभा क्रमांक 1 भरतपुर- सोनहत विधानसभा अब भी विकास से कोसो दूर है। इस बात का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि बगैर पुल-पुलिया बने बरसात का पानी नौनिहालों के शिक्षा ग्रहण करने में रूकावट पैदा कर रहा है। जबकि इसकी जानकारी ग्रामवासियो के द्वारा ग्राम सुराज, लोक सुराज और जनदर्शन में भी दिया गया है। बावजूद इसके आज तक पुल- पुलिया का निर्माण नही करवाया गया। जिस वजह से बच्चे नदी – नाले के पानी को पार कर स्कूल जाने को मजबूर है और अगर नदी – नालों में पानी का बहाव ज्यादा है तो बच्चे उस दिन शिक्षा से वंचित हो जाते हैं।
देशभर में बारिश का दौर है। इस बारिश के मौसम से लोगों ने राहत ली है। सूखी धरती पर अब हरियाली नज़र आने लगी है। तो लोगों का गला भी तर रहने लगा हैं लेकिन बारिश अधिक होने से लोग परेशान भी हैं। नदी – नाले उफन गए हैं। सबसे बड़ी परेशानी ऐसे क्षेत्रों में रहने वालों की है जिन्हें बारिश के बाद तेज़ बहाव वाली नदी पारकर जाना होता है। हालात ये हैं कि ये लोग किसी लकड़ी के पाट – पटिए और नदी – नाले पर कर अपनी यात्रा पूर्ण करते हैं। ऐसे हालात हमारे देश में बारिश के बाद आमतौर पर देखने को मिलते हैं। आप कहेंगे यह भी कोई नई बात है क्या? खास चलते हैं हिंदुस्तान में बुलेटप्रुफ में और आम चले भगवान भरोसे। स्कूली बच्चों की बारिश में सबसे ज़्यादा मुश्किल हो जाती है। हमारे देश में प्रतिवर्ष स्कूली शिक्षा के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर पैसा बहाया जाता है। सरकारें पाठ्यक्रम तक अदल – बदलकर तय किया करती हैं लेकिन इनका ध्यान गांवों की ओर जाने वाली अधोसंरचना पर नहीं होता है। बच्चे अपनी जान का जोखिम रखकर नदी पार करते हैं और जैसे – तैसे स्कूल पहुंचते हैं। स्कूल कर बच्चे फिर जान हथेली पर रखकर वापस आ जाते हैं। सच ही है स्कूली जीवन में बच्चे जान हथेली पर रखकर अध्ययन करने पर आज भी मजबूर हैं।
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जहाँ एक और प्रदेश की भाजपा सरकार पुरे प्रदेश में विकास यात्रा निकालकर करोडो रुपए खर्च कर विकास की गाथा गा रही हैं वही कोरिया जिले की भरतपुर सोनहत विधानसभा में आज भी कई स्कूले ऐसे है जहाँ बच्चें चाह कर भी स्कूल नही पहुँच पा रहे है और शिक्षा से वंचित हो रहे है। ऐसे में इनकी क्या गलती ये तो चाहते है कि यह रोज स्कूल पहुँचे और पढ़ाई करें। पर बगैर पुल-पुलिया बने बरसात का पानी नौनिहालों के शिक्षा ग्रहण करने में रूकावट पैदा कर रहा है। बावजूद इसके आज तक पुल- पुलिया का निर्माण नही करवाया गया। जिस वजह से बच्चे नदी – नाले के पानी को पार कर स्कूल जाने को मजबूर है और अगर नदी – नालों में पानी का बहाव ज्यादा है तो बच्चे उस दिन शिक्षा से वंचित हो जाते हैं।
जबकि इसकी जानकारी ग्रामवासियो के द्वारा ग्राम सुराज, लोक सुराज और जनदर्शन में भी दिया गया है।
बता दे कि हमारे पास कई ऐसी तस्वीरें है जो कोरिया जिले की विकास को मुँह चिढ़ाते हुए दिख रहे है। यह पूरा मामला सुनहरी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम हंसपुर के प्राथमिक शाला का है, जहां लगभग 58 बच्चे और ढुलकु प्राथमिक शाला के 56 बच्चों का स्कूल में नाम दर्ज है। जिनमें बरसात के मौसम में महज दस से बारह बच्चे ही किसी तरह उफनते नदी में गिरते पड़ते स्कूल तक पहुँच पाते है।
वही अगर हम जिले के एक और सरकारी स्कूल की बात करे तो यहाँ की भी दुर्दशा कुछ इसी तरह की ही हैं यहाँ के भी मासूम बच्चे एक बड़ी नदी को पार कर किसी तरह स्कूल पहुच जाते है।
हो सकता है कि सरकार विकास का ढिंढोरा इस इलाके में भी पिटती हो लेकिन वास्तविता सिर्फ आपको हम दिखा रहे है कि कैसे नौनिहाल आफत भरे पानी को पार करके स्कूल जा रहे हैं और दूसरी तरफ ग्राम वासियों के द्वारा कभी भी बाढ के पानी में बह जाने वाले लकडी और मिट्टी से संजोकर पतले सी पगडंडी नुमा पुल बनाकर पार करने का रास्ता बनाया दिया गया है। जिससे अभिभावकों के द्वारा अपने बच्चो को इसमे से पार करवा कर स्कूल भेजा जाता है।
अब सवाल यह उठता है पूरे वर्ष में कई बार ग्राम सूराज, लोक सूराज जनदर्शन मे शिकायत होने के बावज़ूद भी यह समस्या समय रहते दूर क्यों नही की गई। ताकि बच्चों की शिक्षा मे रूकावट न आए।
