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प्रियंका ने क्यों कहा Bjp को नीच हरकत करने वाले और क्या कहा देखें वीडियो…

रायपुर / छत्तीसगढ़ में महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न का हाल ये है कि 5 सालों में छतीसगढ़ ने महिलाओं की गुमशुदगी से लेकर यौन उत्पीड़न के सभी प्रकार के मामलों में देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। सरकार के अपने ही आँकड़े इस हक़ीक़त को उजागर कर रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्योरो के आँकड़ों के अनुसार छतीसगढ़ में 5 सालों में 27,000 से अधिक महिलायें लापता हुई हैं, वहीं छतीसगढ़ की अपनी विधान सभा में राज्य सरकार ने ख़ुद ही यह माना है कि इन बीते 5 सालों में 37,106 महिलाएँ लापता हुई हैं और कई बातों को कहते हुई Bjp को नीच हरकत करने वाली बात कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कही।

 

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यहाँ हम आँकड़ो की सच्चाई पर नहीं जाना चाहते हैं, हम सिर्फ़ इस बात को इन आँकड़ों के हवाले से बताना चाहते हैं कि राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर स्तिथि कितनी भयावह है और सरकार कितनी संवेदनशील है। विधान सभा में ही रमन सिंह सरकार स्वयं यह मान रही है कि छतीसगढ़ में बलात्कार की घटनाए प्रतिवर्ष 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रहीं हैं और राज्य में प्रतिदिन औसतन 6 महिलायें बलात्कार की शिकार हो रही हैं। साल 2016 में इस आँकड़े ने 171 की बढ़ोतरी को पार कर देश का ध्यान छतीसगढ़ में महिलाओं की बदहाली की ओर खींचा। इसके अलावा कांकेर छात्रावास में बच्चियों के साथ यौन शोषण का मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार बच्चियों के यौन शोषण के मामलों में क़ानून के तहत दर्ज होने वाले अपराधों के मामले में छतीसगढ़ देश में दूसरे स्थान पर है।

राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि एक और चौंका देने वाली रिपोर्ट नीति आयोग की है जो यह बताती है कि पूरे देश में अन्य भाजपा शासित राज्यों की तरह, छतीसगढ़ में भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या लगातार घट रही है। यह तो हुई आँकड़ों की बात जो रमन सिंह सरकार की ‘बेटी बचाओ’ नारे की पोल खोलने के लिए काफ़ी हैं, लेकिन इस समस्या का एक और पहलू भी है जो यह बताता है कि महिला उत्पीड़न के मामले छतीसगढ़ सरकार के अपने ही अधिकारियों की वजह से बढ़ रहें हैं। महिला उत्पीड़न करने वाले अधिकारियों को रमन सिंह सरकार का न सिर्फ़ संरक्षण प्राप्त है, बल्कि ऐसे अधिकारियों को पदोन्नित कर पुरस्कृत किया जा रहा है। छतीसगढ़ में महिलायें अपराधियों के बजाये अधिकारियों से ज़्यादा असुरक्षित हैं। विडम्बना यह है कि जिन अफ़सरों पर छतीसगढ़ में बहू-बेटियों की इज़्ज़त पर हाथ डालने के संगीन आरोप साबित हुए उन्हें मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नौकरी में पदोन्नति देकर लगातार बढ़ावा दिया। हद तो तब हो गई जब एक आईजी रैंक के अधिकारी ने लिफ़्ट में एक महिला के साथ छेड़-छाड की और जाँच में अपनी ग़लती को स्वीकार कर लिया जिसके आधार पर उन्हें बर्खास्त किया गया, लेकिन रमन सिंह जी ने ‘बेटी बचाओ’ के नारे को दरकिनार कर अपने मंत्रिमंडल के बैठक के प्रस्ताव से उन्हें पद पर बहाल कर दिया! इसी तरह एक वरिष्ठ प्च्ै अधिकारी पर अपने से कम से कम 6 रैंक नीचे, जूनियर महिला अधिकारी को बदनियती से परेशान करने का आरोप लगा। जांच में वह अधिकारी दोषी पाए गए, लेकिन एक बार फ़िर रमन सिंह जी ने बेशर्मी दिखा उस अधिकारी के ख़लिफ़ मामला दर्ज करने के बजाय, उन्हें क्लीनचिट दे दिया। शिकायत करने वाली महिला अधिकारी न्याय की गुहार आज तक लगा रही है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अनुसार रमन सिंह सरकार में आईजी रैंक के एक और अधिकारी बस्तर में आदिवासी महिलाओं के साथ यौन शोषण के दोषी भी पाए गए। ऐसे तमाम मामले यह साबित करते हैं कि छतीसगढ़ में महिलाओं के लिए ‘रक्षक ही भक्षक’ बन बैठे हैं और रमन सिंह सरकार का इन सभी को पूरा संरक्षण मिला हुआ है। मुख्यमंत्री रमन सिंह के अपने ही गृह-क्षेत्र कवर्धा की महिलायें और बच्चियों भी इस बदहाली से अछूता नहीं है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत ऐसा आलम है कि कवर्धा जिले में ही 11,000 से अधिक बच्चियाँ आज स्कूल नहीं जा पा रही हैं। बेहतर सड़क, स्कूल, अस्पताल जैसी सभी सुविधाए देने का दावा करने वाली रमन सिंह सरकार कवर्धा जिले में बच्चों को स्कूल का सुरक्षित रास्ता भी मुहिया नहीं करवा पा रही है जिसकी वजह से बच्चों से उनकी शिक्षा का अधिकार भी रमन सिंह जी ने छीन लिया है 15-49 वर्ष की महिलाओं में 1/3 तक महिलायें कुपोषण की शिकार हैं। इतना ही नहीं, राज्य की 37.7 प्रतिशत महिलायें कुपोषण की शिकार हैं। इससे साफ़ होता है किस्वयंभू चावल बाबा के सभी को पर्याप्त भोजन दिलवाने का दावा भी जुमलो की फ़ेहरिस्त का एक अहम हिस्सा है। रमन सिंह जी को शर्म आनी चाहिए कि 15 साल के उनके शासन में 3184 से भी अधिक नवजात शिशुओं की पिछले 6 महीनों में मौत हुई। सरगुज़ा-कांकेर-राजनांदगाँव जिलों मैं हालत सबसे भयामय है। 13 महिलाओं कि नसबंदी के दौरान हुई मौत सरकार और प्रशासन की समवेदन हीनता को उजागर करती है।

इस तरह के तमाम मामले और आँकड़ों की फ़ेहरिस्त बहुत लम्बी है जो इस हक़ीक़त को बयान करती है कि यहाँ रमन सिंह जी के 15 साल के कार्यकाल में दुधमुँहे बच्चों से लेकर स्कूल जाने वाली बच्चियों, कामक़ाज़ी महिलाओं और आदिवासी गृहणियों तक, कोई भी महफ़ूज़ नहीं है। समस्या बेहद गम्भीर होने के बावजूद, रमन सिंह जी अपने झूठेदावों के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जी के नक़्शे क़दम पर चल रहे हैं और छतीसगढ़ को तबाह कर दिया है।

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