कोरिया / चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत कर केविएट की प्रति ईमेल से भेजने हेतु छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट रूल 2007 धारा 142(2) में संशोधन करने का अनुरोध किया है, इस आवेदन पर संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस संशोधन को प्रक्रिया अधीन होने की जानकारी प्रदान की गई है।
आरटीआई कार्यकर्ता ने अपने पत्र में लिखा कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट रूल वर्ष 2007 में बनाया गया. हाई कोर्ट रूल धारा-142(2) में प्रस्तावित आनावेदक को केविएट की प्रति रजिस्टर्ड डाक या कूरियर सर्विस से भेजने का नियम बनाया गया है, परंतु कहीं भी ई-मेल के माध्यम से भेजने का नियम नहीं है, जबकि हाईकोर्ट रूल के इस धारा के अनुसार केविएटर को अपने केविएट आवेदन पत्र में अपना ईमेल आईडी भी देना आवश्यक होता है.
इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट-2000 (आईटी एक्ट) हाईकोर्ट रूल बनने के 7 साल पहले ही लागू हो गया था. आईटी एक्ट की धारा-4 में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नोटिस भेजने का उतना ही महत्व है जितना कागज के रूप में भेजने का. इस नियम के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजे गए दस्तावेज का विधिक मान्यता है.
आईटी एक्ट-2000 के इस धारा के अनुसार हाई कोर्ट रूल 2007 बनते समय ही इस की धारा-142(2) में केविएट की प्रति ईमेल से भेजने का नियम होना चाहिए था.
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आदेश करते हुए समस्त विभागों का मेल आईडी अपलोड किया गया है, जिससे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा सम्मन और नोटिस की प्रति ईमेल के माध्यम से भेजा जा सके. इस प्रकार शासकीय विभागों का ईमेल आईडी बनाया जा चुका है.
दिनांक-22.11.2017 को छत्तीसगढ़ राज्य पत्र में प्रकाशित कर छत्तीसगढ़ न्यायालयों की आदेशिका का कूरियर, फैंक्स, इलेक्ट्रॉनिक मेल सेवा के द्वारा तामिली (सिविल कार्रवाईया) नियम-2017 बनाया गया है. इसकी धारा 11 कहता है कि पक्षकारगण इलेक्ट्रॉनिक मेल पता उपलब्ध कराएंगे. यदि इलेक्ट्रॉनिक मेल द्वारा दूसरे पक्षकार को तमिल करने का इच्छुक है. इलेक्ट्रॉनिक मेल सेवा द्वारा दूसरे पक्षकार को आदेशिका भेजने का इच्छुक पक्षकार, दूसरे पक्षकार जिसे इलेक्ट्रॉनिक मेल सेवा द्वारा तमिल कराना चाहता है, के समस्त दस्तावेजों की सत्यप्रति सॉफ्ट कॉपी तथा इलेक्ट्रॉनिक मेल पता उपलब्ध करवाएगा. पक्षकार यह कथन करते हुए न्यायालय में एक शपथ पत्र प्रस्तुत करेगा कि उसके द्वारा दूसरे पक्षकार को दी गई इलेक्ट्रॉनिक मेल पता उसके सर्वोत्तम जानकारी में सही है. इसप्रकार यह धारा अनुमति देता है कि किसी संस्था को आदेशिका आदि की तामिली उसके ईमेल पते पर किया जा सकता है.
उक्त प्रकार से यदि हाई कोर्ट रूल की धारा-142(2) में संशोधन कर केविएट की प्रति अगर ईमेल से भेजना लागू कर दिया जाए तो इससे निम्न लाभ प्राप्त होंगे.-
1. ई-मेल से भेजने वाले केविएट तत्काल तमिल होते हैं.
2. ई-मेल के माध्यम से केविएट की प्रति भेजने में लगने वाला समय, धन और ऊर्जा बचेगा,
3. ई-मेल के माध्यम से केविएट की प्रति भेजने से त्वरित न्याय आसानी से हो सके सकेगा.
4. डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा.
5. न्यायालय का ई-फाइलिंग की ओर बढ़ने में सहायता मिलेगी
6. सबसे महत्वपूर्ण कागज बचेगा जिससे पर्यावरण एवं प्रकृति की रक्षा होगी.
आरटीआई कार्यकर्ता के इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के द्वारा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट रूल 2007 की धारा 142(2) में यथोचित संशोधन करने के लिए मुख्य न्यायाधीश के चेंबर में अग्रिम आदेश हेतु प्रस्तुत कर, रूल मेकिंग कमेटी से आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रस्तुत किया गया है. आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि इस तरह का संशोधन हो जाने पर अपार जनसमूह को लाभ प्राप्त होगा और न्याय की प्रक्रिया शीघ्रता से पूर्ण की जा सकेगी.