00 बिलासपुर कलेक्टर संजय अलंग से खास बातचीत
कोरिया / लज्जया-अशोक कुमार अलंग स्मृति सम्मान समारोह में बैकुठपुर पहुंचे व यहीं की माटी से जुड़े, पले, पढे व बढे बिलासपुर कलेक्टर आईएएस संजय अलंग ने खास बातचीत में बताया कि कि मैं बैकुंठपुर में पला बढ़ा हूं, बैकुंठपुर कोरिया छत्तीसगढ़ मेरी सांस में बसता है। बैकुंठपुर से लगाव के संबंध में उन्होंने कहा कि स्थानीयता से ही वैश्विकता शुरुआत होती है। पूरा विद्यार्थी काल यही व्यतीत हुआ है तो लगाव स्वभाविक है।
लज्जया-अशोक अलंग स्मृति सम्मान समारोह के संबंध में उन्होंने कहा कि मेरे पिता अशोक अलंग यहां जिला शिक्षा अधिकारी रहे हैं एवं मेरी माता श्रीमती लज्जा गर्ल्स स्कूल में शिक्षिका रही हैं। मेरी प्रतिभावान बच्चों को उचित सम्मान मिल सके इसलिए यह सम्मान प्रतिवर्ष ऐसे बच्चों को दिया जाता है।
बैकुंठपुर को किस रूप में देखने के संबंध में उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि बैकुंठपुर हेल्दी, खुश, नशा मुक्त, बढ़ता हुआ, सुगठित और सुव्यवस्थित बने।
शहर के प्रसिद्ध साहित्यकार नेसार नाज के संबंध में कहा कि उनमें प्रतिभा कूट-कूट कर भरी हुई है वह काफी अच्छा लिखते हैं। मैंने उन्हें केवल एक मंच प्रदान किया है, अब उनकी पुस्तक प्रकाशित होने के बाद मुझे लगता है वह निरंतर आगे बढ़ेंगे।
बिलासपुर सेंट्रल जेल की बच्ची खुशी के संबंध में उन्होंने कहा कि बच्चों से मिलना तो अच्छा लगता ही है और जब बच्ची से मिले तो पहला ख्याल आया कि उसे स्कूल में दाखिला दिलाकर अच्छी तालीम दिलाई जाए। तो खुशी सहित और भी 15 बच्चों को विभिन्न स्कूलों में एडमिशन कराया गया है।
विभिन्न पुरस्कारों के संबंध में उन्होंने कहा कि शास्त्री कार्य करते हुए जो पुरस्कार मिलते हैं वह एक टीम वर्क होता है जैसे उन्हें पीपुल्स फॉर एंटीसिपेटरी के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला। कविताओं के लिए दिनकर , श्रीकांत जैसे पुरस्कार एवं छत्तीसगढ़ का इतिहास एवं शोध के रूप में भारत संसाधन मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत किया गया था। इस पुस्तक में छत्तीसगढ़ में 36 किया और गढ़ क्या है इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है।
कलेक्टर होने के बावजूद साहित्यकार और कविता की और उनकी रुचि के संबंध में उन्होंने कहा कि एक ही कार्य करते रहने से बेहतर कुछ रचनात्मक कार्य भी किया जाना चाहिए ताकि ऊर्जा का संचार बना रहे अन्य चीजों की जानकारी होने के अलावा कुछ अच्छा करते रहने की प्रेरणा भी मिलती है।
