पेंड्रारोड उप जेल के अंतर्गत एक विचाराधीन कैदी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई हैं। बता दे कि इसे 2 दिन पूर्व ही गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया गया था। गिरफ्तारी के बाद से लगातार तबीयत बिगड़ती चली गई और कल रात जब उसकी तबीयत अचानक ज्यादा बिगड़ी तब उसे बिलासपुर रिफर किया गया। जहां रतनपुर के पास एंबुलेंस में ही उसकी मौत हो गई।
परिजनों ने मौत के पीछे पुलिस पिटाई और जेल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। वही जेल के चिकित्सक की माने तो जेल दाखिले के पूर्व डॉक्टरी परीक्षण में लापरवाही बरती गई तभी 2 दिनों के भीतर उसकी मौत हो गई।
पूरा मामला मरवाही थाना क्षेत्र का है जहां देवगवा निवासी रघुनाथ गोंड़ के खिलाफ न्यायालय ने वारंट जारी कर रखा था। जिसकी तामिली में मरवाही पुलिस के तीन सिपाहियों ने देर रात रघुनाथ गोंड़ को उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। जहां से न्यायिक रिमांड पर उसे जेल भेज दिया गया। इस दौरान मरवाही में उसका चिकित्सकीय परीक्षण किया गया। जहां मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ बता जेल भेज दिया। जेल दाखिले के दूसरे ही दिन सुबह रघुनाथ अस्वस्थ नजर आने लगा, जिसके बाद उसे पेंड्रारोड सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परीक्षण हेतु लाया गया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे वापस जेल दाखिल कर दिया गया पर शाम 5:00 बजे फिर उसकी तबीयत तेजी से बिगड़ी, जिसके बाद एंबुलेंस से फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। जहां उसका इलाज जेल सुपरिटेंडेंट डॉ ए आई मिंज ने किया।
डॉक्टर की माने तो रघुनाथ को पेट दर्द के साथ सांस लेने में काफी तकलीफ थी काफी पसीना आ रहा था और डेढ़ घंटे इलाज करने के बावजूद उसकी स्थिति में सुधार ना देखकर उसे बेहतर इलाज के लिए बिलासपुर सिम्स रिफर किया गया। जहां बिलासपुर के पहले रतनपुर के पास एंबुलेंस में ही उसकी मौत हो गई।
जवान बेटे की मौते के बाद परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। रघुनाथ की मां का कहना है कि मैंने पुलिस वालों को बताया था कि 2 दिन से उसे बुखार है बावजूद मोटी लाठियों से लैस सिपाहियों ने मेरे बेटे को हुदर दिया। जबकि उसके पहले मेरा बेटा पूरी तरह स्वस्थ था मेरा बेटा कैसे मर गया इसकी जांच की जाए।
जबकि मामले में उप जेल अधीक्षक का कहना है डॉक्टर की एमएलसी रिपोर्ट के अनुसार सोमवार की शाम 6:00 बजे के लगभग उसे जेल दाखिल किया गया था। जिसमें उसे स्वस्थ बताया गया था पर रात में उसने पेट दर्द बताया जिसके बाद फार्मेसिस्ट से उसे दवा दिलाई गई थी पर दूसरे दिन मंगलवार को फिर उसकी तबीयत खराब हुई और उसे 11:00 बजे अस्पताल भेजा गया जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे वापस जेल भेज दिया गया था। फिर देर शाम 5 बजे अचानक उसकी तबीयत तेजी से खराब हुई जिसके बाद उसे फिर से इलाज के लिए एंबुलेंस से भेजा गया था पर रिफर के दौरान बिलासपुर पहुंचने के पहले उसकी मौत हो गई।
पूरे मामले में महत्वपूर्ण जानकारी जेल सुपरिटेंडेंट डॉ एआई मिंज ने दी है। उनके अनुसार यदि कैदी पूरी तरह स्वस्थ होता तो उसकी 24 घंटे के अंदर मौत नहीं होती। कहीं ना कहीं कैदी को स्वस्थ बताने वाले डॉक्टर ने लापरवाही बरती है जो जांच का विषय है।