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आवारा और हिंसक पशुओं के संबंध में राजकुमार मिश्रा ने पेश की थी जनहित याचिका, उस पर लगे अवमानना याचिका में सरकार का माफीनामा…

कोरिया / चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने वर्ष 2016 में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका क्रमांक 84/2016 पेश कर मांग किया था कि पूरे प्रदेश में आवारा और हिंसक पशु जो रोड में भटकते हैं, का निराकरण किया जाए. इस संबंध में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय कि जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और प्रशांत कुमार मिश्रा ने दिनांक 10 अगस्त 2018 को राज्य सरकार को निर्देश जारी करते हुए कहा था कि प्रदेश में आवारा और हिंसक पशुओं का निराकरण किया जाए.

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के इस आदेश के विपरीत 1 वर्ष तक राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के इस आदेश का पालन नहीं किया और ना ही आवारा और हिंसक पशुओं को रोड से हटाने के लिए कोई व्यवस्था किया. आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं होते देख छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव सुनील कुमार कुजूर और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग की विशेष सचिव अमरमेलमंगई डी को पक्षकार बनाते हुए अवमानना याचिका क्रमांक 563/2019 पेश किया. इस अवमानना याचिका में याचिकाकर्ता ने उल्लेख किया कि छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 355, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 133 तथा पशु अतिचार अधिनियम 1871 के विभिन्न धाराओं में आवारा और हिंसक पशुओं के निराकरण के संबंध में प्रावधान किया गया है.

उक्त नियम के विपरीत छत्तीसगढ़ समूचे राज्य के प्रत्येक गली, मोहल्ले, कस्बा और शहर में आवारा और हिंसक पशु जैसे कुत्ता, गाय, बैल, भैंस, सूअर आमतौर से सड़कों और रास्तों पर घूमते हुए नजर आते हैं. इन आवारा पशुओं से अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं जिससे जान-माल की अपूरणीय क्षति होती है. उक्त तथ्यों के आधार पर अवमानना याचिका प्रस्तुत किया गया है. इस प्रकरण की सुनवाई में दिनांक 29 जुलाई 2019 को राज्य सरकार के अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय में उपस्थित होकर बताया कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया है प्रदेश में कहीं भी आवारा और हिंसक पशु नहीं है. इस प्रकरण की अगली सुनवाई 14 सितंबर 2019 को रखी गई इस दिनांक को छत्तीसगढ़ सरकार के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के विशेष सचिव की ओर से शपथ पत्र प्रस्तुत कर कहा गया कि राज्य सरकार ने नरवा गरवा घुरवा बारी योजना आरंभ किया है और इस योजना में गोवंश को रखा जाना है विशेष सचिव ने अपने शपथ पूर्वक उत्तर में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से क्षमा याचना भी किया आरटीआई कार्यकर्ता ने इस उत्तर का विरोध किया याचिकाकर्ता ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के इस योजना में केवल गोवंश को ही इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है जबकि आवारा और हिंसक पशुओं में कुत्ते सूअर आदि भी शामिल है छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस संबंध में अधिवक्ता बी पी सिंह को न्याय मित्र बनाया है इस प्रकरण की अगली सुनवाई 1 अक्टूबर 2019 को रखी गई है.

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