Tuesday, March 18, 2025
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नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना से बनाई कांग्रेसियों ने दूरी, चुनावी मंच से समर्थन मूल्य और कर्जमाफी का मुद्दा भी गायब

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00 प्रदेश में सरकार फिर भी कांग्रेस को नही दिख रहा जिला पंचायत में बहुमत का आसार

कोरिया / सिर्फ 4 दिन बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है, प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत मतदाताओं के रिझाने में लगा दी है। सुबह से देर रात तक डोर टू डोर संपर्क और डीजे के माध्यम से प्रचार प्रसार का कार्यक्रम जारी है, मतदाताओं के लिए जगह-जगह पार्टी का आयोजन भी हो रहा है। आरोप प्रत्यारोप तो चुनावी मंच से सुनने को मिल ही रहे हैं।

ऐसे में प्रदेश में सत्तारूढ कांग्रेस के नेता भी अपने समर्थित जिला पंचायत सदस्यों के प्रत्याशियों के साथ हर साप्ताहिक बाजारों में मोर्चा संभाले हुए हैं लेकिन उनमें खास बात यह देखी जा रही है कि वे सिर्फ यह कहते फिर रहे हैं कि प्रदेश में हमारी सरकार है कांग्रेस के प्रत्याशियों को विजयी बनाईये विकास और किया जायेगा। लेकिन इन सब के बीच किसी भी मंच से किसी कांग्रेसी पदाधिकारी के द्वारा शासन की प्रमुख योजना नरवा गरवा घुरवा बाड़ी के विषय में कोई बयानबाजी न करना अनेक प्रश्नों को जन्म देता है।

प्रदेश में सत्ता में आने के बाद नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना का प्रचार जोर शोर से किया गया इसके लिए करोड़ो रूपये के बजट की घोषणा की गई जिले में भी सरकारी मशीनरी के माध्यम से इस योजना का ताना बुना गया लेकिन जिस प्रकार इस योजना ने धरातल पर दम तोड़ दिया योजना के तहत बनाये गये केन्दों में एक भी मवेशी कहीं देखने को नही मिलते। यह बात लगता है कांग्रेसियों को भी पता है कि सरकार के इस महत्वाकांक्षी योजना ने वास्तव में दम तोड़ दिया है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण वर्तमान में चल रहे चुनावी सभा मे देखने को मिला। कहीं भी कांग्रेस के मंच से इस योजना का प्रचार नही किया गया जिससे लगता है कि कांग्रेसियों को भी पता है कि इस योजना के नाम पर वोट मांगने से कहीं उनका नुकसान न हो जाये।

जिले में कांग्रेस के तीन विधायक हैं वे भी जगह जगह प्रत्याशियों के पक्ष में वोट तो मांग रहे हैं लेकिन उनके द्वारा भी इस योजना का बखान न करना योजना के सफलता पर खुद प्रश्न खड़ा कर रहा है। वैसे भी दूरस्थ की कौन कहे जिला मुख्यालय से लगे कुछ ग्रामों में इस योजना का क्या हश्र है यह किसी से छुपा नही है। ऐसे में भला कांग्रेसी प्रत्याशी भी इस योजना का प्रचार करके आखिर क्यों अपना वोट बर्बाद करें यह वे भी अच्छी तरह से समझ रहे हैं।

इसके साथ ही प्रदेश में सत्ता में आने के लिए किसानों के लिए किया गया धान बोनस और समर्थन मूल्य 2500 रूपये देने को वादा भी इस चुनाव प्रचार में कम ही सुनने को मिला। इस वर्ष सरकार द्वारा समर्थन मूल्य बढाना तो दूर पुरानी कीमत पर ही किसानों को अपना धान बेचने के लिए ठंड में पसीना बहाना पड़ गया। किसान धान बेचने आज भारी परेशान हैं समर्थन मूल्य के साथ दोहरी मार और झेलनी पड़ी कि उनका रकबा तक कम कर दिया गया। ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार से किसान वर्ग खासे नाराज हैं । यह चुनाव पूर्णतःग्रामीण क्षेत्र का चुनाव है और ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांशतः किसान वर्ग निवास करते हैं ऐसे में लग रहा है कि यह चुनाव कांग्रेस को बहुत भारी पड़ने वाला है। एक वर्ष के भीतर ही सरकार पर से किसानो का विश्वास उठने जैसा माहौल निमित हो गया है।

पंचायती चुनाव के तहत कोरिया जिले में जिला पंचायत की कुल 10 सीटें हैं जिनमें पहले चरण में 28 तारीख को बैकुंठपुर और सोनहत जनपद पंचायत क्षेत्र में मतदान होना है। इस चरण में कुल 4 सीटो के लिए प्रत्यशी जोर आजमाईश कर रहे हैं तो वहीं वर्तमान स्थिति पर गौर किया जाये तो लगता है कि कांग्रेस 1 मात्र सीट पर ही अपना कब्जा जमा पायेगी।

सोनहत क्षेत्र में मुकाबला भाजपा कांग्रेस के साथ गोंगपा प्रत्याशी के बीच देखने को मिल रहा है लेकिन वहां पर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत होगी इसकी संभावना काफी कम ही नजर आ रही है। वहीं बैकुंठपुर जनपद पंचायत अंतर्गत हाईप्रोफाईल सीट सरडी क्षेत्र में भी पूर्व की तुलना में अब कांग्रेस प्रत्याशी गणेश राजवाड़े की पकड़ कुछ कम पड़ती नजर आ रही है। चुनाव के अंतिम समय में पूर्व मंत्री भैयालाल राजवाड़े ने अपनी टीम के साथ काफी मेहनत की है जिससे लगता है कि उनकी साख बच जायेगी और वे अपने पुत्र विजय राजवाड़े को जीत दिलाने में कामयाब हो जायेंगे।

पटना क्षेत्र में जरूर भाजपा प्रत्याशी के हर दृष्टि से कमजोर पड़ने के कारण इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की जीत हो सकती है ।

तो वहीं एक अन्य हाई प्रोफाईल सीट कुडे़ली क्षेत्र में भी काफी घमासान मचा हुआ है यहां भी कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी अनिल जायसवाल चौथे स्थान में रहने की प्रबल संभावना है। इस सीट पर कांग्रेस से बगावत होकर चुनाव लड़ रहे पीसीसी सदस्य वेदांति तिवारी जीत के काफी करीब दिखाई दे रहे हैं। तो वहीं दूसरे स्थान पर भाजपा समर्थित उम्मीदवार अनिल साहू और तीसरे स्थान पर गोंगपा समर्थित उम्मीदवार शिव यादव दिखाई दे रहे हैैं।

यह स्थिति देखकर लगता है कि प्रदेश में सरकार होने का लाभ कांग्रेस प्रत्याशियों को कहीं से नही मिल रहा है । प्रथम चरण की चार सीटों के लिये हो रहे चुनाव में एकमात्र सीट पर ही कांग्रेस को संतोष करना पड़ सकता है और यही स्थिति रही तो कांग्रेसी भले ही जोड़ तोड़ कर जिला पंचायत में अपना कब्जा जमा ले लेकिन कांग्रेस को जिला पंचायत में बहुमत के आसार बहुत कम ही नजर आ रहे हैं। जो कि सरकार पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है।

बहरहाल अभी मतदान को 4 दिन का समय शेष है ऐसे में कांग्रेस कुछ बड़ा निर्णय लेकर अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने का प्रयास भी कर सकती है। परिणाम के लिए 28 तारीख तक का इंतजार तो करना ही पडे़गा।

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