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प्रदेश में राशन कार्ड धारकों की नए सिरे से जांच हो – संजीव अग्रवाल

रायपुर / आरटीआई कार्यकर्ता और काँग्रेस नेता संजीव अग्रवाल ने मीडिया के माध्यम से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार को प्रदेश में सभी राशन कार्ड धारकों की नए सिरे से जांच हो ताकि यह पता चल पाए कि क्या वाकई सभी राशन कार्ड धारी उचित राशन कार्ड इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर वे सरकारी सांठगांठ से अनाधिकृत तरीके से बनाए गए हैं।

संजीव अग्रवाल ने कहा कि 15 साल के भाजपा के शासनकाल में छत्तीसगढ़ प्रदेश भ्रष्टाचार की चरम सीमा पर था अधिकारी व कर्मचारी सरकार के लचर रवैये के कारण बेलगाम हो गए थे जिसके कारण जो वंचित, दलित, पिछड़े वर्ग के लोग और असलियत में जो ज़रूरतमंद लोग थे उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया था। कई लोगों ने अपने राजनीतिक रसूख और कर्मचारियों व अधिकारियों की मिलीभगत से गरीबी रेखा के नीचे वाले राशनकार्ड बनवा लिए थे और उसके कारण जो वास्तव में गरीबी रेखा के नीचे के लोग थे, वे आज भी वंचित हैं। सरकारी राशन की दुकान के माध्यम से राज्य सरकार जो राशन बांटती है उसमें भ्रष्टाचार की खबरें प्रायर सुनने को मिलती है जिसमें बहुत ही बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहे हैं जिस पर सरकार को लगाम लगाना अति आवश्यक है। यही नहीं सरकारी राशन की दुकानों के द्वारा ऐसे ऐसे लोग राशन ले रहे हैं जिन्हें असल में उस सरकारी मदद की कोई जरूरत नहीं है। यहां तक की बहुत से धनाढ्य लोगों ने भी गरीबी रेखा के नीचे वाला बीपीएल कार्ड बना रखा है। यही कारण है की वंचितों को आज भी सरकारी सहायता व लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है।

संजीव अग्रवाल ने कहा कि खासकर शहरी इलाकों में बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके घर में कार, मोटरसाइकिल, एसी, फ्रीज, टीवी, कूलर जैसी सारी सुविधाएँ उपलब्ध हैं, लेकिन वे भी बीपीएल कार्ड धारक हैं। लेकिन क्या यह सरकारी नियमों के अनुसार है? इसकी विवेचना सरकार को करनी होगी।

संजीव अग्रवाल ने कहा कि महात्मा गांधी का सपना था कि सरकार की बनाई हुई नीतियों और योजनाओं का फायदा अंतिम गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। लेकिन यह तब तक संभव नहीं होगा, जब तक सरकार निष्पक्ष रुप से उचित कदम ना उठाए। सरकारें योजनाएं बनाती हैं और उस योजना के अनुरूप उचित अनुदान व आवंटित राशि भी दी जाती है। लेकिन प्रश्न यही है कि क्या वो सहायता और अनुदान उचित और वंचित व्यक्ति तक पहुंचता है? सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए।

संजीव अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से यह मांग की है कि एक बार नए सिरे से सभी राशन कार्ड धारकों की जांच हो, जिसके लिए एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन किया जाए, जो कि प्रत्येक राशन कार्ड धारकों की आय और उनके घर का रहन सहन देखते हुए यह निर्णय ले कि क्या वाकई उस इंसान को या उस परिवार को बीपीएल कार्ड की आवश्यकता है? और अगर ऐसा नहीं पाया जाय तो तत्काल रुप से उस कार्ड को निरस्त किया जाए। इस प्रक्रिया से सरकार की अनायास और गैर जरूरी खर्च पर नियंत्रण लगेगा जिससे सरकारी कोष के नाजायज इस्तेमाल पर रोक लगेगी और भ्रष्टाचार भी कम होगा। इसका नतीजा यह होगा कि जो असल में इसका हक़दार है, जिसे असलियत में जरूरत है और जो वास्तव में वंचित हैं, उन लोगों तक यह सुविधाएँ सीधे पहुंच पाएंगी। साथ ही संजीव अग्रवाल ने एक उपाय भी सुझाया कि सरकारी जानकारी के अनुसार जितने भी बीपीएल राशन कार्ड धारी प्रदेश में है उनके घरों के सामने बीपीएल कार्ड धारक की एक नाम पट्टिका लगा दें

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