कोरिया बैकुंठपुर / कोरिया जिले में जिला खनिज न्यास मद से स्वीकृत कार्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगना कोई नई बात नही है। इस मद से जिले में कई ऐसे कार्य जिसमे करोड़ो रुपये खर्च कर दिए गए लेकिन उसका समुचित लाभ लोगो को नही मिल पाया।
जिले में दो वर्ष पूर्व डीएमएफ से एक करोड़ पन्द्रह लाख रुपये की लागत राशि से बकरी पालन इकाई स्थापना कार्य अंतर्गत जिले में छः महिला स्वयं सहायता समूहों का चयन कर उन्हें इस कार्य मे जोड़ा गया था। जानकारी के अनुसार प्रत्येक समूह को लगभग उन्नीस लाख रुपये स्वीकृत हुए थे।इस कार्य के लिए कृषि विज्ञान केंद्र सलका बैकुंठपुर को एजेंसी नियुक्त किया गया था।डीएमएफ की राशि से जिले के अलग अलग विकासखंडों में समुहों को बकरी पालन के लिए सबंधित एजेंसी ने शेड बनाकर बकरे एवं बकरियां अनुदान स्वरूप दिया था।एक करोड़ पन्द्रह लाख खर्च करने के बाद भी महज दो वर्ष में ही जिला प्रशासन की यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है।
उल्लेखनीय है कि कोरिया जिले के पांचो विकासखंड जिसमे सोनहत के कटगोड़ी,बैकुंठपुर विकासखण्ड के जगतपुर, खड़गवां विकासखंड के बरदर, मनेन्द्रगढ़ विकासखंड के अमृतधारा एवं लाई और भरतपुर विकासखण्ड के उचेहरा में कुल छःसमुहों को बकरी पालन इकाई स्थापना कार्य के लिए लगभग 19-19 लाख रुपये के हिसाब से प्रत्येक समूह को डीएमएफ से राशि स्वीकृत कर कृष विज्ञान केंद्र को दिया गया था। सोनहत विकासखंड के कटगोड़ी में प्रेरणा स्वयं सहायता समूह के सचिव से मिली जानकारी के अनुसार उन्हे बकरी पालन के लिए एजेंसी ने शेड बनाकर उन्हें 60 के करीब बकरियां और बकरे अनुदान में दिए गए थे। उन्होंने बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए कुल लागत राशि उन्हें एजेंसी द्वारा करीब 10 लाख रुपये ही बताया गया था जबकि जिला खनिज मद से इस योजना के लिए प्रत्येक समूह को 19 लाख स्वीकृत हुए हैं।वहीं खड़गवां विकास खण्ड के बरदर में संचालित नित्या स्वयं सहायता समूह के सदस्य ने बताया कि उन्हें बकरी पालन के संम्बंध में किसी प्रकार की कोई जानकारी आजतक नही है और न ही उन्हें कोई बकरी अनुदान में मिला है और न ही शेड बना है। लेकिन जिला खनिज न्यास मद से उक्त समूह के नाम पर 19 लाख रुपये स्वीकृत कर राशि एजेंसी को दिया जा चुका है। इस समूह के नाम पर जारी हुई राशि आखिर कहां गई ये जांच का विषय है।
बीमारी से मौत के मुँह में समा गई सारी बकरियां, समुहों को नही हुआ लाभ
कटगोड़ी के प्रेरणा स्वयं सहायता समूह ने बताया कि बकरी पालन के लिए एजेंसी द्वारा जिस नस्ल के बकरे बकरियों का वितरण किया गया था शुरू से ही उन बकरियों की मौत किसी बीमारी की वजह से लगातार होती रही। धीरे धीरे कर आज पूरी बकरियों की मौत हो चुकी है उनके पास आज गिनती के ही सात बकरियां है। बकरी पालन से इस समूह को कोई भी आमदनी नही हुआ ऊपर से उनको इसके लिए मेहनत भी करना पड़ रहा है।बैकुंठपुर विकास खण्ड के जगतपुर में श्वेता महिला बचत समूह के पास भी वर्तमान में खाली शेड ही शेष है जानकारी के अनुसार इस समूह को लगभग 35 की संख्या बकरे और बकरियां मिलाकर दी गई थी जिसमे एक माह के भीतर ही 15 बकरियों की मौत हो गई बाकी बकरियों को एजेंसी ने वापस ले लिया फिर आज तक उन्हें दोबारा बकरी नही दिया गया है।
