नई दिल्ली / एक तलाक केस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा जजमेंट दिया है. कोर्ट ने कहा, ‘जब जीवनसाथी के सम्मान को उसके सहकर्मियों, उसके वरिष्ठों और समाज के बीच बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया जाता है तो ऐसे आचरण को माफ करने की उम्मीद करना मुश्किल होगा.’
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मिलिट्री ऑफिसर का उसकी पत्नी से तलाक मंजूर करते हुए कहा कि जीवनसाथी के खिलाफ मानहानिकारक शिकायतें करना और उसके सम्मान को ठेस पहुंचाना मानसिक क्रूरता के समान है.
जस्टिस एस. के. कौल के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने टूटे हुए संबंध को मिडिल क्लास मैरिड लाइफ की सामान्य टूट-फूट करार देकर अपने निर्णय में खामी की. यह निश्चित तौर पर प्रतिवादी द्वारा अपीलकर्ता के खिलाफ क्रूरता का मामला है. अपीलकर्ता अपनी शादी को खत्म करने का हकदार है.
गौरतलब है कि मिलिट्री ऑफिसर ने एक सरकारी पोस्ट ग्रेजुएशन कॉलेज में फैकल्टी मेंबर अपनी पत्नी पर मानसिक क्रूरता का आरोप लगाकर तलाक मांगा था. दोनों की शादी साल 2006 में हुई थी. वे कुछ महीने तक साथ रहे, लेकिन शादी की शुरुआत से ही उनके बीच मतभेद होने लगे और वे 2007 से अलग रहने लगे. अफसर ने कहा था कि उसकी पत्नी ने विभिन्न जगहों पर उनके सम्मान को ठेस पहुंचाया है.
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘जब जीवनसाथी के सम्मान को उसके सहकर्मियों, उसके वरिष्ठों और समाज के बीच बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया जाता है तो प्रभावित पक्ष से ऐसे आचरण को माफ करने की उम्मीद करना मुश्किल होगा.’ पीठ में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय भी थे.