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कांग्रेस सरकार गिरावट के अपने ही रिकॉर्ड को रोज तोड़ते जा रही – विष्णुदेव साय


रायपुर / हर मोर्चे पर विफल प्रदेश की कांग्रेस सरकार गिरावट के अपने ही रिकॉर्ड को रोज तोड़ते जा रही है. आज़ाद भारत के इतिहास में इतनी निर्मम, ऐसी नृशंस, वादाखिलाफी करने वाली, झूठ की लगातार मीनार खड़ा कर, महज़ बहानेबाजी में, शिगुफेबाज़ी में रत रहने वाली ऐसी सरकार आजतक नहीं हुई है.

सबसे दुःख की बात है कि संवैधानिक शपथ लेकर भूपेश बघेल रोज-रोज एक नया झूठ गढ़ रहे हैं. इस तरह निर्लज्जता के साथ आजतक किसी भी सरकार ने कभी झूठ नहीं बोला है. दुखद यह है कि अपने किसी भी झूठ के पकडे जाने पर न तो इन्हें पश्चाताप होता है न ही कोई शर्मिंदगी.

यह बातें प्रदेश भाजपाध्यक्ष विष्णुदेव साय ने प्रेस वार्ता के दौरान कही और इसके साथ ही कहा कि झूठ की इसी श्रृंखला में सबसे ताज़ा झूठ इनका बारदाने के लेकर है. हर बार ये न केवल इस मामले में झूठ बोलते हैं बल्कि प्रधानमंत्री जी तक को पत्र लिखते समय भी मर्यादा का ख्याल नहीं रखते. आप सभी जानते हैं कि बारदाना खरीदना और उसकी व्यवस्था करना पूरी तरह प्रदेश सरकार का काम है. अनेक बार सदन में खुद कांग्रेस सरकार ने स्वीकार भी किया है कि बारदाना की व्यवस्था करना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है.

नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक के सवाल के जवाब में सदन में साफ़-साफ़ सरकार ने स्वीकार किया कि – केंद्र सरकार द्वारा बारदाना उपलब्ध नहीं कराया जाता है. कोलकाता जूट कमिश्नर से बारदाना खरीदा जाता है. बावजूद इसके न केवल प्रधानमंत्री जी को अनावश्यक पत्र लिखा है सीएम ने बल्कि उन्हें प्रदेश में क़ानून व्यवस्था खराब कर देने की धमकी भी दी है. बारदाना खरीदना इनका काम है, क़ानून-व्यवस्था बहाल रखने का दायित्व भी राज्य का होता है, फिर भी अपना सारा काम केंद्र पर थोपने की इस कोशिश को क्या कहा जाय?

क्योंकि मुख्यमंत्री बघेल कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ने और उसके लिए संसाधनों की व्यवस्था में भी व्यस्त रहते हैं, अतः उनके पास प्रदेश की जनता, किसानों के लिए ज़रा भी वक़्त नहीं होता. भाजपा बार-बार समय रहते ही कांग्रेस को सावधान करते रही थी कि वह बारदाने की उपलब्धता पर ध्यान दे. लेकिन कांग्रेस ने ऐसी कोई व्यवस्था समय रहते नहीं की. दुर्भाग्य की बात है कि अपनी अक्षमता और निकम्मापन स्वीकार करने के बदले उलटे केंद्र पर सवाल उठाते रहती है. कांग्रेस का यह आचरण हमेशा की तरह निंदनीय है.


कांग्रेस वास्तव में किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है. वैसे ही एक माह विलम्ब से धान खरीदी करने के निर्णय से, अभी तक इसे शुरू नहीं करने के कारण किसानों की तैयार फसल बर्बाद हो गयी है. इसके बाद भी उन्हें उचित मुआवज़े की कौन कहे, रातोंरात रकबा कटौती कर धान खरीदी से बचने की तमाम साज़िश सरकार कर रही है. जानबूझ कर कांग्रेस यह चाहती है कि फसल नष्ट हो जाय ताकि उसे कम से कम धान खरीदना पड़े. अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए प्रदेश का सारा संसाधन और समय उत्तर प्रदेश के चुनाव में देकर बघेल यहां के किसानों को आत्महत्या करने के लिए विवश कर रहे हैं.


दुखद यह है कि प्रदेश में लगभग पांच सौ किसानों ने आत्महत्या की है, लेकिन लखीमपुर में घडियाली आसूं बहाने वालों ने प्रदेश के उन किसान परिवारों के बारे में दो शब्द भी कहना उचित नहीं समझा. अब किसानों से ही बारदाने की व्यवस्था करने को कहना, उसे बारदाने का पिछला भुगतान भी नहीं करना इस सरकार की एक और धोखेबाजी है. किसान अपना पंजीयन तक कराने के लिए भी दर-दर भटक रहे हैं. अगर उनकी दो सोसाइटियों में ज़मीन है तो एक जगह शून्य दिखाया जा रहा है. काफी सारे आईडी ब्लॉक हैं. सोसाइटियों में हड़ताल के कारण किसी भी किसान को टोकन नहीं मिल पा रहा है. केवल ऋण पुस्तिका रखा ले रही है सरकार. भाजपा यह चेतावनी देना चाहती है कि जल्द से जल्द धान खरीदी आदि की व्यवस्था सुचारू करे.
कांग्रेस की बहानेबाजी का एक और बेशर्म अध्याय प्रधानमंत्री आवास योजना पर की गयी बयानबाजी है. अभी तक 11 लाख से अधिक गरीबों के सर से छत छीनने का पाप किया है कांग्रेस ने. दुखद यह है कि बघेल जी यह कह रहे कि क्योंकि यह योजना प्रधानमंत्री के नाम से है अतः वे आवास की वयस्था नहीं करेंगे. जबकि सच यह है कि योजना का बड़ा हिस्सा केंद्र से आता है लेकिन दुर्भावनावश कांग्रेस इसे गरीबों तक नहीं पहुँचने देना चाहती है.


आप सब जानते हैं कि ‘पीएम आवास योजना’ किसी व्यक्ति के नाम पर नहीं है, जैसे पहले इंदिरा गांधी के नाम पर होती थी. अगर बघेल के तर्कों को मानें तो क्या अब राजीव गांधी कथित न्याय योजना का पैसा अब दस जनपथ से आयेगा? गांधी खानदान के नाम पर जितनी योजनाएं चल रही हैं, क्या उसके पैसे अब इटली से आयेंगे? बेहद दुखद है कि अपनी गलती स्वीकार कर माफी मांगने के बदले रोज-रोज नये कुतर्क गढ़ रहे हैं बघेल. इस तरह डींगें हांकने और गाल बजाने की जितनी भर्त्सना की जाय, वह कम है.


भाजपा सरकार के समय भी आपने सभी केंद्रीय योजनाओं को प्रदेश में लागू होते हुए देखा है, कांग्रेस की भी सरकार केंद्र में रही तब भी भाजपा सरकार ने ऐसी कोई दुर्भावना नहीं दिखाई. उलटे अधिक से अधिक योजनाओं से लाभ हो जनता का इसलिए कोशिश करती रही थी. यह तो अपने आपमें अनोखा मामला है कि क्योंकि पैसे भाजपा सरकार दे रही है, अतः नफरत के कारण कांगेस उस योजना को वापस कर देगी. अपना राज्यांश भी नहीं देगी. दुखद यह है कि समूचे प्रदेश को पीढ़ियों तक के लिए कर्जदार बना कर भी यह सरकार सारे पैसे कहीं और भेज रही है, शायद इसी कारण राज्यांश तक देने के लिए इनके पास पैसे नहीं हैं.


इसी तरह का एक और तुगलकी फैसला इस सरकार ने ‘रेडी टू इट’ का काम प्रदेश की महिलाओं से छीन कर बीज निगम को देने का फैसला किया है. ऐसा करने का एकमात्र मकसद इस मामले में भी बड़े से बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देना है. ऐसा कर कांग्रेस ने सीधे तौर पर 21 हज़ार से अधिक गरीब आदिवासी महिलाओं के पेट पर लात मारा है. 21 हज़ार परिवारों के मूंह से निवाला छीनने का काम किया है. एक तो यह निकम्मी सरकार एक नया रोजगार नहीं दे पायी है किसी को, उलटे पहले से चले आ रहे रोजगारों को भी छीन कर जनता से किस बाद का बदला ले रही है, यह समझ से परे है.


मातृशक्ति का निवाला छीनने के कृत्य के लिए भाजपा महिला मोर्चा की बहनें इस नादिरशाही सरकार की ईंट से ईंट बजाने तैयार है. प्रदेश भर में मोर्चा की बहनें और भाजपा भी बड़ा से बड़ा आन्दोलन खडा करेंगी और इस फैसले की वापसी तक चैन से नहीं बैठेगी. भाजपा यह मांग करती है कि वह बिना किसी हीलाहवाली के एक-एक दाना धान खरीदे. 11 लाख से अधिक परिवारों के सर से छीने छत को वापस करे, उनके लिए घर की व्यवस्था करे और रेडी टू ईट से सबन्धित फैसले को तुरंत प्रभाव से वापस ले.

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