अम्बिकापुर / मोर द वेस्ट बैटर द टेस्ट इस स्लोगन के साथ शुरू की गई अम्बिकापुर नगर निगम की अनूठी पहल पर पलीता लगता दिख रहा है आलम ये है कि जिस गार्बेज कैफे की देश और दुनिया मे तारीफ हो रही थी वो बंद होने के कगार पर है और उस स्थान पर निजी होटल का संचालन हो रहा है वही अब विपक्ष निगम को घेरने में लगा हुआ है इधर निगम इस योजना में बदलाव कर फिर से बेहतर संचालन की दुहाई दे रहा है।
करीब दो साल पहले जब अम्बिकापुर नगर निगम के गार्बेज कैफे की शुरुवात हुई तो इसे देश ही नही बल्कि दुनिया भर में सराहना की गई थी। क्योंकि ये अपने तरह का अनूठा प्रयोग था जहां कचरा प्लास्टिक के बदले भरपेट भोजन देने का प्रबंध किया गया था। एक किलो कचरा प्लास्टिक पर भोजन और आधा किलो कचरा प्लास्टिक पर नाश्ते के प्रबंधन सचमुच अनूठा था। मगर अब ये योजना दम तोड़ती नजर आ रही है आलम ये है कि अब न तो कचरा प्लास्टिक लेकर लोग यहां पहुच रहे है और न ही लोगो को इसमें दिलचस्पी नजर आ रही है। यही कारण है कि विपक्ष ने योजना के जरिये निजी व्यक्ति को लाभ पहुचाने का आरोप लगाया है। भाजपा का कहना है कि इस योजना का लाभ कम मिल रहा है बल्कि बस स्टैंड जैसे इलाके में बेहद कम किराए पर सत्तापक्ष अपने लोगो को निजी होटल संचालन का छूट दे रहा है ऐसे में विपक्ष ने इस स्थान पर सस्ते खाद्यान्न योजना के संचालन की मांग की है ।
स्वक्षता के क्षेत्र में नए नए प्रयोग के तौर पर अम्बिकापुर नगर निगम की ये पहल काफी सराहनीय थी मगर प्रशासनिक उदासीनता के कारण ये योजना दम तोड़ती नजर आ रही है आलम ये की जहां शुरुवात के समय यहां कचरा प्लास्टिक देने वालो की लाइन लगी होती थी वहां अब लोग नही आ रहे। ऐसे में महापौर डॉ अजय तिर्की का कहना है कि योजना बेहतर है मगर कोरोना काल से इस पर विराम लग गया है। महापौर का कहना है कि इसे फिर से बेहतर तरीके से संचालित किया जाएगा औऱ इंसमे जो खामियां है उसे दुरुस्त भी किया जाएगा ताकि लोगो को कचरा प्लास्टिक के प्रति जागरूक किया जा सके।
बहरहाल जिस तरह से अम्बिकापुर नगर निगम ने कचरा प्लास्टिक के बदले भोजन की शुरुवात की थी उसे संचालित करने में अधिकारी दिलचस्पी नही दिखा पा रहे। एक यह बड़ी वजह है कि जो योजना देश मे सराही गई थी उसका बुरा हाल हो गया है और उसका निजीकरण भी। ऐसे में देखना होगा कि अपने तरह के इस अनूठी पहल को निगम संचालित कर पाता है या इस योजना पर भी लाल फीताशाही हावी हो जाती हैं।