रायपुर / छत्तीसगढ़ के चंदखुरी को माता कौशल्या की जन्मस्थली होने का गौरव प्राप्त है. 126 तालाबों के लिए मशहूर रायपुर जिले के चंदखुरी गांव में जलसेन तालाब के बीच में माता कौशल्या का मंदिर है जो दुनिया में भगवान राम की मां का इकलौता मंदिर है. माता कौशल्या के जन्म स्थल के कारण ही इसे रामलला का ननिहाल भी कहा जाता है.
आपको बता दे कि राजधानी रायपुर से 17 किलोमीटर दूर स्थित चंदखुरी गांव को भगवान राम की मां कौशल्या का जन्म स्थान माना जाता है. यहां तालाब के बीचों-बीच माता कौशल्या का मंदिर है, जो 10वीं शताब्दी में बनाया गया था. जानकारों के मुताबिक महाकौशल के राजा भानुमंत की बेटी कौशल्या का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से हुआ था.
विवाह में भेंटस्वरूप राजा भानुमंत ने बेटी कौशल्या को दस हजार गांव दिए थे. इसमें उनका जन्म स्थान चंद्रपुरी भी शामिल था. चंदखुरी का ही प्राचीन नाम चंद्रपुरी था. जिस तरह अपनी जन्मभूमि से सभी को लगाव होता है ठीक उसी तरह माता कौशल्या को भी चंद्रपुर विशेष प्रिय था. राजा दशरथ से विवाह के बाद माता कौशल्या ने तेजस्वी और यशस्वी पुत्र राम को जन्म दिया. इसी मान्यता अनुसार सोमवंशी राजाओं द्वारा बनाई गई मूर्ती आज भी चंदखुरी के मंदिर में मौजूद है.
मंदिर में भगवान श्री राम को गोद में लिए हुए माता कौशल्या की मूर्ती स्थापित है. जानकर यह भी बताते हैं कि भगवान राम के वनवास से आने के बाद उनका राज्याभिषेक किया गया. उसके बाद तीनों माताएं कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी तपस्या के लिए चंदखुरी ही पहुंचीं थीं. तीनों माताएं तालाब के बीच विराजित हो गईं.

कहा जाता है कि, जब इस तालाब के जल का उपयोग लोग गलत कामों के लिए करने लगे तो माता सुमित्रा और कैकयी रूठकर दूसरी जगह चली गईं. लेकिन, माता कौशल्या आज भी यहां विराजमान हैं. कमाल की बात ये है कि इस मंदिर का पहले किसी को पता नहीं था. एक भैंस की वजह से इस जगह की खोज हुई थी.
खैर चंदखुरी मंदिर की ख्याति अब दिनों दिन बढ़ती ही जा रही हैं, छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि अब पूरे भारतवर्ष से लोग अब यहां आने लगे हैं.