गलत तरीके से श्रमिक को सेवा से किया गया था बर्खास्त
मामला पहुंचा केंद्रीय सूचना आयोग:18 मई को होगी आयोग में मामले की सुनवाई
कोरिया / जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत एसईसीएल उपक्रम के हसदेव क्षेत्र में वर्षों से चरितार्थ हो रही है,कालरी कर्मचारी के विरुद्ध एक झूठी शिकायत के आधार पर गुमनाम व्यक्ति/फर्जी शिकायत शिकायत पर बिना शिकायतकर्ता का सत्यापन किये और बिना केंद्रीय सतर्कता आयोग नई दिल्ली के मापदंडों का पालन किए गलत तरीके से जांच करके श्रमिक को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया,इतना ही नहीं लगभग 40 वर्ष से नौकरी करने वाले श्रमिक को एक भी रुपए प्रबंधन के द्वारा नहीं दिया गया और बर्खास्त करने के पूर्व अनूपपुर एसपी के द्वारा श्रमिक के पक्ष में दिए गए सही जानकारी/सत्यापन को भी प्रबंधन ने छिपाया और बैकडेट सेआदेश करते हुए श्रमिक को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया,कुल मिलाकर जिनके कंधों पर श्रमिक के परिवार की सुरक्षा और भरण पोषण का दायित्व था उसी प्रबंधन ने श्रमिक और उनके आश्रितों के मुंह से निवाला भी छीन लिया,वह भी उस श्रमिक का जिस श्रमिक ने लगभग 38 वर्ष निष्ठापूर्वक सेवा करते हुए कंपनी को अपनी सेवाएं दी और सेवानिवृत्ति से महज 5 दिन पहले गलत तरीके से श्रमिक को बर्खास्त करके प्रबंधन ने अपने हिटलरशाही को भी दर्शा दिया।
यह था मामला
26 अगस्त 2020 को राजनगर उपक्षेत्र प्रबंधन ने पत्र क्रमांक उपक्षेत्र/राज.आर.ओ.2020/3234 को जारी करते हुए लगभग 38 वर्षों से कम्पनी में सेवा करने वाले ओंकार आत्मज ददईया टेण्डल मजदूर यूजी खदान झिरिया को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। और सभी प्रकार के भुगतान जो श्रमिक को मिलना था वह भी नियमों के विरुद्ध प्रबंधन के द्वारा रोक दिया गया।
बर्खास्तगी के ठीक पहले प्रबंधन ने श्रमिक के विरुद्ध
द्वितीय कारण बताओ नोटिस जारी किया था,द्वितीय नोटिस जारी होने के उपरांत श्रमिक के द्वारा प्रबंधन के समक्ष 24 जुलाई 2020, 28 जुलाई 2020,17 अगस्त 2020, 25 अगस्त 2020 एवं 26 अगस्त 2020 के माध्यम से श्रमिक ने अपना पक्ष रखा था,परंतु इन पत्रों में दिए तर्कों को प्रबंधन ने नहीं माना,और अंततः बैक डेट से श्रमिक को 26 अगस्त 2020 को पत्र जारी करते हुए गलत तरीके से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया।
अपनी बर्खास्तगी के संबंध में श्रमिक ने आरटीआई के तहत मांगी थी कुछ सूचनाएं
बर्खास्तगी के उपरांतआवेदन दिनांक 27 अगस्त एवं 29 अगस्त 2020 के माध्यम से बर्खास्त श्रमिक ने लोक सूचना अधिकारी एसईसीएल हसदेव क्षेत्र से 2 आवेदनों के माध्यम से 5 बिंदुओं से संबंधित सूचना मांगी थी,इन सूचनाओं में बर्खास्तगी के संबंध में बनी संपूर्ण फाइल, नोटशीट,नोटशीट को बनाने वाले अधिकारी का नाम एवं नोटशीट पर सहमति प्रदान करने वाले अधिकारी का नाम,साथ ही श्रमिक को कौन-कौन से भुगतान प्राप्त होने हैं और भुगतान प्राप्त होने वाला राशि किस दिनांक तक प्रदाय हो जाएगा इस सम्बंध में सूचनाएं चाही गयी थी, एवं दूसरे आवेदन में श्रमिक के द्वारा 22 अगस्त एवं 25 अगस्त 2020 को बर्खास्तगी के पूर्व प्रबंधन से पत्राचार किया गया था उन पत्रों पर प्रबंधन के द्वारा की गई कार्यवाही के संबंध में सूचना मांगी गई थी परंतु प्रबंधन के द्वारा समय सीमा के अंतर्गत आवेदनों पर कोई जवाब नहीं दिया गया, प्रथम अपील करने के बाद एक आवेदन पर गुमराह करने वाली आधी-अधूरी सूचना प्रदाय की गई थी और दूसरे आवेदन पर आज दिनांक तक विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं किया,प्रथम अपील पर भी अपीलीय अधिकारी ने दोनों आवेदनों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की तब बर्खास्त कर्मचारी ने केंद्रीय सूचना आयोग के समक्ष 13 अक्टूबर 2020 को द्वितीय अपील प्रस्तुत किया,द्वितीय अपील प्रस्तुत करने के उपरांत द्वितीय अपील की सुनवाई केंद्रीय सूचना आयोग में 18 मई 2022 को होनी है केंद्रीय सूचना आयोग ने पत्र जारी करते हुए फ़ाइल क्रमांक सीआईसी/एसइसीएफएल/ए/2021/ 102078 एवं फाइल संख्या 102080 दिनांक 21अप्रैल 2022 को पत्र जारी करते हुए मामले की सुनवाई की तिथि 18 मई को नियत की है।
सवाल यह उठता है कि अपने ही विभाग के कर्मचारी को आखिर वह सूचनाएं जो सूचनाएं आवेदक को मिलनी चाहिए थीं वो सूचनाएं आज दिनांक तक क्यों नहीं दी गयी? इससे स्पष्ट होता है कि अपने ही कर्मचारी के साथ प्रबंधन आंख मिचौली का भी खेल खेल रहा है।
पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट को भी दरकिनार किया प्रबंधन ने
अनूपपुर जिले के पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट के सम्बंध में पुलिस अधीक्षक कार्यालय अनूपपुर के द्वारा जारी पत्र क्रमांक 631-ए/18 दिनांक 22 अगस्त 2020 को जारी पत्र जो बर्खास्त कर्मचारी के पक्ष में था जो प्रबंधन के समक्ष बर्खास्तगी का लेटर जारी करने के पूर्व प्रबंधन के कार्यालय में पहुंच चुका था उसे भी ना मानते हुए बैक डेट से बर्खास्तगी का आदेश पारित कर दिया गया था,मतलब साफ है कि बर्खास्त करने से पहले थाना प्रभारी रामनगर जिला अनूपपुर एवं पुलिस अधीक्षक अनूपपुर की रिपोर्ट जो श्रमिक के पक्ष में थी प्रबंधन को प्राप्त हो चुकी थी, परंतु प्रस्तुत रिपोर्टों पर विचार ना कर कर्मचारी के डिसमिस लेटर पर उपक्षेत्रीय प्रबंधक ने हस्ताक्षर कर दिया।
बर्खास्त के उपरांत की लगाई गुहार पर किसी ने नहीं सुनी
प्रबंधन के द्वारा गलत तरीके से डिसमिस करने के उपरांत कर्मचारी ने प्रबंधन के समक्ष 28.08.2020 को पत्र प्रेषित कर पुनर्विचार किये जाने हेतु निवेदन किया था, परंतु उस पत्र पर भी प्रबंधन कोई कार्यवाही नहीं किया,की गयी कार्यवाही एक तरफा थी और कर्मचारी के पक्ष में सुविधा के संतुलन और संदेह का लाभ जैसे विधिमान्य सिद्धांतों के सर्वथा विपरीत कार्य प्रबंधन के द्वारा किया गया।
दया याचिका भी दया का आज तक कर रही इंतजार
बर्खास्ती के उपरांत जब निचले और क्षेत्रीय स्तर के अधिकारियों ने एक न सुनी तब समय सीमा के अंतर्गत 03 सितंबर 2020 को एसईसीएल उपक्रम के निदेशक कार्मिक के समक्ष नियमों में वर्णित प्रावधानों के तहत दया याचिका के माध्यम से दया याचिका प्रस्तुत की गई जिस याचिका में दया याचिका पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर,न्याय संगत समुचित एवं प्रभावी आदेश पारित करने का आग्रह याचिकाकर्ता ने किया था इस याचिका का निराकरण भी आज वर्षों बीत जाने के बाद भी प्रबंधन के द्वारा नहीं किया गया है इससे भी स्पष्ट होता है कि एसईसीएल अपने कर्मचारियों के प्रति कितनी संवेदनशील है,कुल मिलाकर दया याचिका को आज भी दया का इंतजार है।
यह -यह भुगतान होना था श्रमिक को जो कि प्रबंधन के द्वारा रोका गया
श्रमिक को गलत तरीके से बर्खास्त करने के बाद ग्रेजुएटी की राशि,कोल माइंस पेंशन योजना का लाभ,कोल माइन्स प्रोविडेंट फंड,सेटलिंग एलाउंस, बकाया छुट्टी की राशि सहित अन्य भुगतान भी प्रबंधन के द्वारा रोक दिया गया था, किसी प्रकार से श्रमिक ने अपने मामले को सहायक श्रम आयुक्त (केंद्रीय)/ प्राधिकारी अधिकारी उपादान संदाय अधिनियम 1972 जिला -शहडोल के सामने मामले को प्रस्तुत कर ग्रेजुएटी की राशि मई 2021 में प्राप्त कर लिया है,परंतु ग्रेजुएटी राशि मिलने के आज 1 वर्ष बाद भी अन्य भुगतान के लिए श्रमिक को एड़ी- चोटी की मेहनत करनी पड़ रही है और बकाया रकम प्रबंधन के द्वारा नहीं दी गई है।
आयोग में सुनवाई से लंबित राशि मिलने की जगी आस
जिन भुगतानों को आज दिनांक तक प्रबंधन के द्वारा भुगतान नहीं किया गया है, केंद्रीय सूचना आयोग में मामले में जब सुनवाई होगी तो सभी प्रकार के भुगतान राशि मिलने की संभावना प्रबल हो गयी है,क्योंकि दोनों आवेदनों में इसी से संबंधित प्रश्नों को आवेदक ने प्रबंधन से किया था,अब आयोग में जवाब देने के पहले उम्मीद की जा रही है कि प्रबंधन अपने दस्तावेजों को चुस्त-दुरुस्त करेगी,उसी कड़ी में बर्खास्त कर्मचारी को भी न्याय स्वरूप उसे मिलने वाली राशि मिल पाएगी।
पूरे मामले में आरटीआई कार्यकर्ता की रही महत्वपूर्ण भूमिका
जब हमारे प्रतिनिधि ने इस पूरे मामले की जानकारी लेने के लिए अपीलार्थी और बर्खास्त कर्मचारी ओंकार से संपर्क किया तो उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने बातों ही बातों में बताया कि यदि नौकरी से बर्खास्त होने के बाद मुझे कोयलांचल क्षेत्र के समाजसेवी सुनील चौरसिया ने मदद नहीं की होती तो मैं आज सपरिवार भूखों मरने की स्थिति में पहुंच चुका होता या यू कहिए कि मैं आत्महत्या ही कर लिया होता,क्योंकि प्रबंधन ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा था,आरटीआई कार्यकर्ता और समाजसेवी सुनील चौरसिया की मदद से मैं ग्रेजुवटी की राशि लेने में सफल हुआ और आगे भी मुझे उम्मीद है इनकी मदद से मुझे मिलने वाला मेरा हक बकाया सभी राशि जल्द ही मुझे मिल जाएगा, जिससे मैं अपने परिवार का भरण पोषण कर सकूंगा।
इनका कहना है
जो मुझसे मदद बंन पड़ी मैंने पीड़ित व्यक्ति की मदद की है परंतु पुलिस अधीक्षक के रिपोर्ट को दरकिनार कर प्रबंधन ने गलत तरीके से श्रमिक को सेवा से बर्खास्त किया है इस मुद्दे को लेकर मैं आगे भी पत्राचार करूंगा ताकि दोषी अधिकारियों को सजा मिल सके और जो भुगतान अभी तक लंबित है उन भुगतानों को प्रदाय कराने के लिए मैं अपने स्तर से पूरा प्रयास करूंगा।
सुनील कुमार चौरसिया समाज सेवी एवं सांसद प्रतिनिधि एसईसीएल