Thursday, January 30, 2025
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गांव के विकास के लिए गांव को दिया गया पेसा कानून अधिकारः मंत्री कवासी लखमा

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पेसा कानून पर हुई एक दिवसीय परिचर्चा

जगदलपुर / पेसा अधिनियम 1996 पर एक दिवसीय संभाग स्तरीय परिचर्चा का आयोजन शुक्रवार को जगदलपुर स्थित पंडित श्यामाप्रसाद मुखर्जी सभागार में किया गया।

इस अवसर पर प्रभारी मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि गांव के विकास के लिए गांव को दिया गया अधिकार ही पेसा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में लागू पेसा कानून के प्रावधान देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा बहुत बेहतर हंै, क्योंकि इन प्रावधानों को तय करते समय विभिन्न समुदायों के साथ ही जनप्रतिनिधियों की राय भी ली गई थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आदिवासी समाज के उत्थान के लिए तेजी से कार्य कर रहे हैं और यही कारण है कि उन्होंने पेसा कानून के प्रावधान निर्धारित करने के कार्य को प्राथमिकता दी है।  

उन्होंने कहा कि आदिवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए ही छत्तीसगढ़ शासन द्वारा तेंदूपत्ता का प्रति मानक बोरा का दर ढाई हजार रुपए से बढ़ाकर चार हजार रुपए किया गया। आज 60 से अधिक प्रकार के वनोपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांवों में इमली, महुआ, आम आदि पौधों का संरक्षण और संवर्धन हमारी जिम्मेदारी है। यह भविष्य में भी रोजगार का एक बड़ा जरिया रहेगी। उन्होंने कहा कि आज दंतेवाड़ा का अमचूर लंदन तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि पेसा कानून के माध्यम से आदिवासी बाहुल्य अंचलों विकास में गांव की सबसे बड़ी भूमिका निर्धारित की गई है। उन्होंने ग्राम सभाओं में महिलाओं की भी बराबर भागीदारी की आवश्यकता बताई।


इस अवसर पर सांसद दीपक बैज ने कहा कि पेसा कानून के माध्यम से गांव के विकास की रुपरेखा तैयार करने की शक्ति ग्राम सभा को दी गई है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज इस कानून के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून के प्रावधान विभिन्न स्तरों पर आयोजित लंबी चर्चा के बाद तैयार की गई थी। वहीं यदि इस इन प्रावधानों को और अधिक बेहतर बनाने की आवश्यकता होगी, तो वह भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पेसा कानून के संबंध में किसी भी प्रकार के भ्रम को दूर किया जाना आवश्यक है। इसके माध्यम से ग्राम वासियों को जल, जंगल, जमीन, शांति, न्याय आदि की शक्तियां मिली हैं। इनके माध्यम से गांवों को विकास की नई ऊंचाईयों तक पहुंचाना है।

कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम ने कहा कि ग्राम सभाओं को पेसा कानून के गांवों को विशेष अधिकार प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि अधिकारों के साथ कत्र्तव्य भी आवश्यक है तथा गांवों के विकास के लिए सभी को मिलजुलकर भाईचारे के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने कहा कि आजादी के बाद से आदिवासियों को कई अधिकार प्रदान किए गए, किन्तु इन अधिकारों का सही उपयोग किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने इसके लिए जनजागृति को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य असंभव नहीं है तथा पेसा कानून को सशक्त बनाने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे। इस अवसर पर सर्व आदिवासी समाज के अश्विनी कांगे ने पेसा कानून के प्रावधानों के संबंध में जानकारी दी और इसे सशक्त बनाने के सुझाव भी दिए।


इस अवसर पर संसदीय सचिव रेखचंद जैन, हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप, बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सर्व विक्रम शाह मंडावी, संतराम नेताम, चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम, अंतागढ़ विधायक अनूप नाग, सर्व आदिवासी समाज के संभागाध्यक्ष प्रकाश ठाकुर सहित जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

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