एंकर, 33 करोड़ रुपए से ज्यादा की दवाएँ कालातीत हो गईं. करीब 50 करोड़ के मेडिकल उपकरण अनुपयोगी पड़े रहे. 24 करोड़ की दवाएं ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से खरीदी गई. कोविड के दौरान बिना अनुशंसा 23 करोड़ रुपए की दवाएं खरीदी गई. 838 स्वास्थ्य संस्थानों के पास अपना भवन नहीं, 42 सीएचसी में ब्लड बैंक नहीं है. यह बड़ा खुलासा आज छत्तीसगढ़ विधानसभा में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी कैग रिपोर्ट में किया गया है. जिसके बाद राजनीति बयानबाजी शुरू हो गई हैं.
रिपोर्ट आने के बाद सबसे पहले सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सीएजी की रिपोर्ट पर बयान देते हुए कहा कि 2016 से 2022 तक की सीएजी की रिपोर्ट आई है, अगर कांग्रेस नेता कहते हैं कि रिपोर्ट में गड़बड़ी है तो सीएजी की रिपोर्ट कांग्रेस कार्यकाल की रिपोर्ट है.
कुछ विशेष उपकरण की खरीदी में गड़बड़ी की आशंका जताई गई थी. उसकी जांच पहले से चल रही है, सीएजी की रिपोर्ट से विभाग को जांच में सहूलियत मिलेगी.
सीएजी की रिपोर्ट में जिन अनियमितता की बात होगी. उसके माध्यम से जांच आगे बढ़ाई जाएगी.
इसके बाद सीएजी की रिपोर्ट पर नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत का बयान भी सामने आया डॉ महंत ने मुस्कुराते हुए कहा – सीएजी की रिपोर्ट पुरानी होगी. उस समय कोरोना काल से गुजरना पड़ा था. सरकार ने सीएमएचओ और अन्य अधिकारियों को निर्देश दिए थे. पर हमारे जमाने में मलेरिया और डायरिया के उन्मूलन के लिए जो काम हुए हैं. विदेशों के तर्ज पर स्पेशलाइजेशन खोलने की तैयारी थी. लेकिन यह नहीं हो सका. इसलिए हो सकता है सीएजी की रिपोर्ट में कुछ गड़बड़ियां हो. लेकिन हमारा काम अच्छा था.
खैर रिपोर्ट जितने भी दाग लगाए मगर राजनीति में राजनीतिक लोग आरोप अपने ऊपर लेते कहा हैं। रिपोर्ट में कांग्रेस और भाजपा के दोनों कार्यकाल में हुई गड़बड़ियों के रिपोर्ट शामिल हैं. अब इस रिपोर्ट से किस सरकार में कितनी गड़बड़ियां हुई अब जांच किस सरकार में होगा और जांच के बाद जिम्मेदारों पर कार्यवाही होगी या नही देखने वाली बात हैं।