नई दिल्ली : फूड पॉइजनिंग और इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा। रोगजनकों से दूषित भोजन के सेवन के कारण इसका खतरा रहता है। पर क्या आप वाटर पॉइजनिंग के बारे में जानते हैं?
अमेरिका के टेक्सास शहर में सामने आया वाटर पॉइजनिंग का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, शहर में एक व्यक्ति में दुर्लभ वाटर पॉइजनिंग का केस सामने आया है। उसमें दिल के दौरे जैसे लक्षण नजर आ रहे थे जिसके चलते आनन-फानन में नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक 74 वर्षीय जॉन पुटनाम लैंडस्केपर के रूप में काम कर रहे थे, उस दौरान तापमान 100F तक पहुंच गया। बहुत अधिक प्यास लगने के कारण उन्होंने पांच घंटे के भीतर लगभग तीन गैलन पानी पी ली। शुरुआत में तो उन्हें मतली और थकान जैसी दिक्कत हुई जो शाम तक सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे गंभीर जटिलताओं में बदल गई। अस्पताल में डॉक्टरों ने वाटर पॉइजनिंग का निदान किया।
आइए जानते हैं क्या होती है ये समस्या?
तीन महीने में रिपोर्ट किए गए दो मामले
गौरतलब है कि टेक्सास के इस मामले से पहले जुलाई के शुरुआती हफ्तों में यूएस के इंडियाना शहर में एक 35 वर्षीय महिला एश्ले समर्स में भी वाटर पॉइजनिंग की समस्या का पता चला था। इससे एश्ले की मौत भी हो गई।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों को इस गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानना और सेहत को लेकर अलर्ट रहना जरूरी है। बहुत ज्यादा मात्रा में पानी पीना भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है। वैसे तो वाटर पॉइजनिंग के मामले काफी दुर्लभ होते हैं पर इसके जोखिमों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
क्या है वाटर पॉइजनिंग की समस्या?
हमारे शरीर को ठीक तरीके से काम करने के लिए पानी की जरूरत होती है, लेकिन अगर आप कम समय में बहुत अधिक मात्रा में पानी पी लेते हैं तो इसके कारण स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है। ज्यादा पानी पीने के कारण शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बिगड़ने लगता है। वाटर पॉइजनिंग को वाटर इंटॉक्सिनेशन के नाम से भी जाना जाता है। बहुत अधिक पानी पीने के कारण मस्तिष्क और किडनी के सामान्य कार्यों में बाधा आ सकती है।
ज्यादा पानी पी लेने के कारण रक्त में इलेक्ट्रोलाइट्स, विशेष रूप से सोडियम की मात्रा कम हो जाती है। इस स्थिति को हाइपोनेट्रेमिया कहते हैं। अगर समय पर इसका निदान और इलाज न हो पाए तो जानलेवा समस्याओं का भी खतरा हो सकता है।
क्या हो सकते हैं इसके दुष्प्रभाव
जब कोई व्यक्ति कम समय में बहुत ज्यादा पानी पीता है और उसके मस्तिष्क की कोशिकाएं फूलने लगती हैं और खोपड़ी के अंदर दबाव बढ़ जाता है। इससे कारण सिरदर्द, मतली-उल्टी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। समय पर इसका निदान न हो पाए तो लक्षण बिगड़ने लगते हैं जिसके कारण मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन, रक्तचाप बढ़ने, दृष्टि और भ्रम की समस्या होने, सांस लेने में कठिनाई का खतरा रहता है।
गंभीर मामलों में दौरे पड़ने, ब्रेन डैमेज, कोमा और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।
आपको कितना पानी चाहिए?
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, इस बारे में कोई आधिकारिक दिशा-निर्देश नहीं हैं। शरीर के वजन, शारीरिक गतिविधि, जलवायु और स्तनपान कराने जैसे कारकों के आधार पर रोजाना पानी पीने की मात्रा अलग-अलग हो सकती है।
आमतौर पर वयस्कों के लिए प्रतिदिन 3-4 लीटर पानी पीना पर्याप्त माना जाता है। साल 2013 के एक अध्ययन के अनुसार, हमारी किडनी एक दिन में लगभग 20-28 लीटर पानी निकाल सकती है, लेकिन प्रति घंटे 0.8 से 1.0 लीटर से अधिक नहीं। इससे अधिक मात्रा में पानी पीने से बचा जाना चाहिए