Sunday, April 20, 2025
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Bhai Dooj 2024 : भाई-बहन के अनमोल रिश्ते का प्रतीक पर्व, जानें इसकी महत्ता और परंपराएं

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Bhai Dooj 2024 :  भाई दूज का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है और इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस साल भाई दूज का पर्व 3 नवंबर 2024, रविवार को है। यह पर्व भाई-बहन के बीच स्नेह, प्रेम और सुरक्षा की भावना को प्रकट करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों का तिलक करके उनकी लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं, जबकि भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर उनके प्रति अपने सम्मान और स्नेह का प्रदर्शन करते हैं।

भाई दूज का पौराणिक महत्व-भाई दूज की पौराणिक कथा भगवान सूर्य नारायण की पत्नी छाया और उनके बच्चों यमराज व यमुना से जुड़ी है। यमुना अपने भाई यमराज से गहरा स्नेह करती थीं और उन्हें अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करती थीं। एक दिन यमराज ने यमुना का निमंत्रण स्वीकार किया और उनके घर आए। यमुना ने अपने भाई का आदर-सत्कार कर उत्तम भोजन कराया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना को वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के हाथों से तिलक करवाएगा और भोजन ग्रहण करेगा, उसे यम का भय नहीं होगा। इसी दिन से यह पर्व भाई दूज या यम द्वितीया के रूप में मनाया जाने लगा।

भाई दूज की पूजा विधि और मान्यताएं-भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाती हैं और उस पर सिन्दूर, कद्दू के फूल, पान, सुपारी और मुद्रा रखकर विशेष मंत्रों का उच्चारण करती हैं। ये मंत्र भाई के जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक माने जाते हैं। इसके बाद बहनें भाई को तिलक कर आरती उतारती हैं और माखन-मिश्री से उनका मुंह मीठा करती हैं। संध्या के समय यमराज के नाम पर एक चौमुखी दीप जलाकर घर के बाहर रखा जाता है, जिससे भाई की रक्षा का संकल्प पूरा हो सके।

 भारत में अलग-अलग रूपों में भाई दूज का महत्व-भारत के विभिन्न हिस्सों में भाई दूज को अलग-अलग नाम और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। बिहार में बहनें भाइयों को पहले कोसती हैं और फिर क्षमा मांगती हैं। गुजरात और महाराष्ट्र में इसे भाई बीज के रूप में मनाया जाता है, जहां भाई का तिलक कर उसे शुभकामनाएं दी जाती हैं।

भाई दूज की वर्तमान स्थिति और इसे मनाने का सही तरीका-आजकल भाई दूज में कभी-कभी तिलक और उपहारों के लेन-देन का दिखावा अधिक हो गया है, लेकिन यह पर्व सिर्फ तिलक या उपहारों का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा की भावना का प्रतीक है। यह पर्व उन सैनिक भाइयों की भी याद दिलाता है जो देश की रक्षा में अपनी जान की परवाह किए बिना कर्तव्य निभा रहे हैं। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं ताकि उनका स्नेह और अपनापन हमेशा बना रहे।

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