प्रयागराज।उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ 2025 में इस बार श्रद्धालुओं को एक ऐसा दिव्य और अनोखा दृश्य देखने को मिलेगा, जो पहले कभी नहीं देखा गया। संगम किनारे 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्षों से बारह ज्योतिर्लिंगों का निर्माण हो रहा है। इस अद्भुत संकल्प के पीछे संत परमहंस आश्रम, बाबूगंज सगरा, अमेठी के पीठाधीश्वर अभय चैतन्य ब्रह्मचारी मौनी बाबा की वर्षों की तपस्या और संकल्प शक्ति का परिणाम है।
125 करोड़ आहुतियों से शिव साधना का स्वरूप:
अभय चैतन्य ब्रह्मचारी ने बताया कि इस अनुष्ठान को धरातल पर लाने के लिए 125 करोड़ आहुतियों का संकल्प लिया गया है। यह आयोजन केवल धार्मिक क्रियाकलाप नहीं है, बल्कि इसमें भारत और विश्व के कल्याण की भावना निहित है। महाकुंभ के दौरान संगम तट पर भगवान शिव की अद्वितीय साधना और द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण होंगे।
द्वादश ज्योतिर्लिंग की संरचना:
मौनी बाबा ने ज्योतिर्लिंगों की विशेषताओं के बारे में बताया कि इनका निर्माण 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्षों से किया जाएगा।
ऊंचाई: 11 फीट, जो भगवान शिव के 11 रुद्रों का प्रतीक है।
चौड़ाई: 9 फीट, जो नव निधियों का प्रतीक है।
मोटाई: 7 फीट, जो सप्त कुंडलियों का प्रतीक है।
यह दिव्य संरचना न केवल धार्मिक, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मकता का भी प्रतीक होगी। इसके जरिए भगवान शिव की अनंत कृपा का प्रसार होगा।
महाकुंभ 2025 में विश्व कल्याण का संदेश:
मौनी बाबा ने अपने इस संकल्प का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा, “भगवान आशुतोष की कृपा से प्रयागराज की पावन धरा पर पहली बार इतना बड़ा आयोजन हो रहा है। इसका उद्देश्य केवल श्रद्धालुओं को भगवान शिव की साधना से जोड़ना नहीं है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। इससे गंगा का अविरल प्रवाह सुनिश्चित होगा, भ्रूण हत्या और आतंकवाद का अंत होगा, और भारत हिंदू राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर होगा। इसके अलावा बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा का भी यह संकल्प लिया गया है।”
महाकुंभ की तैयारियां:
महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। संगम तट पर द्वादश ज्योतिर्लिंगों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस अद्वितीय आयोजन को सफल बनाने के लिए हजारों शिव भक्त, संत-महात्मा और श्रमिक दिन-रात कार्यरत हैं।
शिवभक्तों के लिए आकर्षण:
यह आयोजन शिवभक्तों के लिए विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होगा। रुद्राक्ष से निर्मित ज्योतिर्लिंग और शिव साधना की यह अनोखी दुनिया श्रद्धालुओं को भगवान शिव के साथ गहरे आध्यात्मिक जुड़ाव का अवसर प्रदान करेगी।
विश्व को मिलेगा भारत का आध्यात्मिक संदेश:
महाकुंभ का यह अनुष्ठान केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक संदेश है। यह आयोजन न केवल भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं की महिमा को प्रदर्शित करेगा, बल्कि विश्व को शांति और आध्यात्मिकता का संदेश भी देगा।
अंतिम संदेश:
महाकुंभ 2025 में प्रयागराज का संगम तट एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी बनेगा। 5 करोड़ 51 लाख रुद्राक्षों से बने द्वादश ज्योतिर्लिंग न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र होंगे, बल्कि विश्व में भारतीय संस्कृति की महानता का प्रतीक भी।
