बिलासपुर, 26 मई |
बिलासपुर की तपती गर्मी में छत्तीसगढ़ के पूर्व गृह मंत्री ननकी राम कंवर का गुस्सा भी कुछ कम नहीं था। माइक सामने आया नहीं कि नेता जी पुराने घाव लेकर तीर चलाने लगे – और निशाने पर थे नक्सलवाद, केंद्र की पुरानी सरकार, राज्य की मौजूदा सरकार और अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता।
कंवर साहब बोले, “जब मैं गृह मंत्री था, तो ठान लिया था कि नक्सलियों की छुट्टी कर देंगे। प्लान भी बन गया था, लेकिन उस समय दिल्ली वाले कान में तेल डालकर बैठे थे। न फोर्स भेजा, न पैसा। उल्टा ऐसा लगने लगा कि सरकार ही नक्सलियों की मदद कर रही है!”
इतना कहकर भी उनका मन नहीं भरा। राज्य सरकार के कामकाज पर सवाल हुआ तो उन्होंने जवाब दिया – “जय श्री राम।” अब ये जवाब था या व्यंग्य, इसका मतलब कार्यकर्ता और जनता दोनों समझ गए – क्योंकि आगे उन्होंने जोड़ा, “हमारा एक भी कार्यकर्ता खुश नहीं है।”
रमन सिंह को भी नहीं बख्शा!
राजनीति में दुश्मन पार्टी से ज्यादा परेशानी अपनों से होती है – ये बात उन्होंने खुलकर कह दी। बोले, “रमन सिंह जैसे लोग तो पार्टी में अपनों को ही हराने की कोशिश करते हैं। मुझे तीन बार हराने की कोशिश हुई, सबको पता है। लेकिन पार्टी में कोई सुनवाई नहीं।”
कंवर का दर्द यहीं खत्म नहीं हुआ। बोले, “भ्रष्टाचार इतना है कि बिना पैसा दिए पत्ता भी नहीं हिलता। और जो नेता बोलता है, उसे किनारे कर दिया जाता है। अब मुझे ही देख लीजिए।”
अंदर की बात बाहर आ गई?
साफ है कि ननकी राम कंवर अब पर्दे के पीछे नहीं, माइक पर आकर अपनी बात कह रहे हैं – और बातों में शिकायत कम, चिंगारी ज़्यादा है। अब देखना ये है कि पार्टी के आला नेता इस ‘राजनीतिक आतिशबाज़ी’ पर क्या रिएक्शन देते हैं, या फिर इस बयानबाज़ी को भी “गर्मी का असर” मानकर ठंडे बस्ते में डाल देते हैं।