रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग ने एक बार फिर कमाल कर दिया है! जब तक सरकारी स्कूलों में किताबें पहुंचतीं, सचिव महोदय ने निजी स्कूलों को फरमान थमा दिया—अब सिर्फ SCERT और NCERT की किताबें ही पढ़ाना।
अब साहब, स्कूल खुले 13 दिन हो गए हैं, बच्चे स्कूल बैग के साथ फोटो खिंचवा चुके हैं, अभिभावक किताब-कॉपी की रसीदें फाइल में सजा चुके हैं, और तब विभाग को याद आया कि किताबें बदलनी हैं!

सूत्रों की मानें तो सरकारी स्कूलों में अभी तक “सरकारी किताबें” पन्ना पलटना तो दूर, स्कूल तक चलकर नहीं पहुंची हैं। विभाग खुद अपनी किताबें जुलाई से पहले नहीं दे सकता, लेकिन निजी स्कूलों को कह रहा—“आप आज ही बदलो जी!”
बात यहीं नहीं रुकती—आदेश शासन स्तर से नहीं, जिलों के शिक्षा अधिकारियों से “गुपचुप” अंदाज में जारी हुआ है। मानो शिक्षा विभाग खुद भी जानता हो कि उसने कुछ गड़बड़ किया है, लेकिन अब “फाइल चल चुकी है”, तो आदेश तो लागू होगा!
शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जब सारे निजी स्कूल किताबें खरीदवा चुके, तब ऐसा निर्णय क्यों? क्या शिक्षा विभाग अब प्रयोगशाला बन चुका है?
जानकारों का कहना है कि ये आदेश जल्द ही वापस हो सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पहले ही अधिकारियों को सख्त निर्देश दे चुके हैं कि “सरकार को बैकफुट पर मत डालो”—मगर लगता है कुछ अफसर क्रिकेट के ‘रिवर्स स्वीप’ मूड में हैं।
CMO को अब चाहिए कि इस शिक्षा विभाग की गतिविधियों पर सीधी नज़र रखें—क्योंकि यहां हर गलती बच्चे की किताब से नहीं, सरकार की साख से जुड़ी होती है।