बस्तर से रायगढ़ तक बढ़ते विवाद के बीच सरकार का बड़ा फैसला, 9 राज्यों के एक्ट्स की स्टडी के बाद बना मसौदा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में आदिवासी क्षेत्रों में तेजी से फैलते धर्मांतरण और उससे उपजे सामाजिक तनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून लाने की ठोस पहल कर दी है। गृह मंत्री विजय शर्मा की अगुवाई में तैयार किया गया धार्मिक स्वतंत्रता संशोधन विधेयक अब अंतिम चरण में है। यह कानून लागू होते ही बिना अनुमति धर्म बदलवाना अपराध की श्रेणी में आएगा।
मुख्य प्रावधान:
- 60 दिन पहले सूचना अनिवार्य: किसी भी नागरिक को धर्म परिवर्तन से 60 दिन पहले जिला कलेक्टर को लिखित सूचना देनी होगी।
- दबाव, लालच, छल पर सजा: जबरन, प्रलोभन या धोखाधड़ी से धर्म बदलवाने पर सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान रहेगा।
- विवाह के बहाने धर्मांतरण पर भी कार्रवाई होगी।
- धर्म परिवर्तन की कानूनी प्रक्रिया अनिवार्य होगी, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
क्यों जरूरी हुआ यह कानून?
बस्तर, जशपुर, रायगढ़ जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में बीते वर्षों में धर्मांतरण को लेकर गंभीर सामाजिक तनाव और गुटीय संघर्ष सामने आए हैं। नारायणपुर जैसे क्षेत्रों में स्थिति कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन चुकी है। राज्य सरकार का मानना है कि बिना वैधानिक प्रक्रिया धर्मांतरण होने से सामाजिक संतुलन बिगड़ रहा है।
9 राज्यों से ली गई सीख
इस विधेयक को तैयार करने से पहले ओडिशा, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, गुजरात, कर्नाटक और अरुणाचल प्रदेश के धर्मांतरण कानूनों का अध्ययन किया गया। इन्हीं के आधार पर छत्तीसगढ़ के लिए 5 पेज का विशेष ड्राफ्ट बनाया गया, जिसमें कुल 17 बिंदुओं को शामिल किया गया है।
गृह मंत्री विजय शर्मा का बड़ा बयान “हमने धर्मांतरण को लेकर उठ रही आपत्तियों और जमीनी हकीकत को गंभीरता से लिया है। यह कानून समाज में स्थायित्व लाने और संविधान में दिए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा के लिए है, न कि किसी धर्म विशेष के खिलाफ।”
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर कोई स्पष्ट और प्रभावी वैधानिक नियम नहीं है। यह कानून लागू होते ही पूरे राज्य में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया पारदर्शी, स्वैच्छिक और कानूनी दायरे में आएगी।