एमएमआई नारायणा अस्पताल, रायपुर ने रचा नया चिकित्सा इतिहास
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर एक बार फिर देशभर में सुर्खियों में है। एमएमआई नारायणा अस्पताल ने बाल हृदय रोग उपचार में ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है, जो पूरे भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यहां 14 वर्षीय बालक पर भारत का पहला रिट्रीवेबल लीडलेस पेसमेकर इम्प्लांटेशन सफलतापूर्वक किया गया।
यह उपलब्धि न केवल बाल चिकित्सा हृदय देखभाल के क्षेत्र में ऐतिहासिक है, बल्कि यह साबित करती है कि अब जटिल हृदय रोगों से जूझ रहे बच्चों को भी दीर्घकालिक और सुरक्षित जीवन की नई राह मिल सकती है।
इस बालक ने दो वर्ष की उम्र में दिल्ली में जटिल हृदय ऑपरेशन झेला था। पांच साल की उम्र में कंप्लीट हार्ट ब्लॉक के कारण उसे पेसमेकर लगाया गया। लेकिन निकेल एलर्जी की आशंका से बार-बार जटिलताएँ सामने आईं। बच्चे की उम्र और भविष्य को देखते हुए विशेषज्ञों ने नया कदम उठाया और 21 अगस्त 2025 को जनरल एनेस्थीसिया में यह अद्वितीय प्रक्रिया अंजाम दी।
वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमंता शेखर पाधी ने बताया—
“यह उपलब्धि भारत में बाल हृदय चिकित्सा के लिए ऐतिहासिक प्रगति है। रिट्रीवेबल पेसमेकर भविष्य में डिवाइस के बदलने की प्रक्रिया को आसान और सुरक्षित बनाएगा। यह बच्चों के लिए वरदान साबित होगा।”
इस ऑपरेशन में डॉ. बलबीर सिंह सहित कार्डियोलॉजी, कार्डियक सर्जरी और एनेस्थीसिया की पूरी टीम ने दिन-रात मेहनत की। ऑपरेशन के मात्र एक दिन बाद ही बालक को स्वस्थ अवस्था में छुट्टी दे दी गई।
एमएमआई नारायणा हॉस्पिटल के फैसिलिटी डायरेक्टर अजित बेल्लमकोंडा ने कहा कि बीते 24 वर्षों से यह अस्पताल छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तंभ है और आधुनिक हृदय रोग उपचार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
इस सफलता ने रायपुर को एक बार फिर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानचित्र पर चमका दिया है। यह उपलब्धि आने वाले वर्षों में हजारों बच्चों की जिंदगी बचाने की उम्मीद जगाती है।
