रायपुर। चार वर्षों से चल रहे अभिभावक और निजी शाला के विवाद का अंत आखिरकार हो गया। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने मामले में हस्तक्षेप कर केवल तीन दिन में समाधान कर दिया। इस फैसले से न केवल अभिभावक को राहत मिली, बल्कि बच्चों की शिक्षा भी सुरक्षित हो गई।
प्रकरण में एक अधिवक्ता अभिभावक के दो बच्चे स्थानीय सालेम शाला में अध्ययनरत थे। कोरोना काल और आर्थिक कठिनाइयों के कारण अभिभावक चार वर्षों का शुल्क नहीं चुका सके और बच्चों का प्रवेश दूसरी शाला में करा दिया। लेकिन शुल्क बकाया होने से पुराने स्कूल ने स्थानांतरण प्रमाणपत्र (TC) जारी करने से इनकार कर दिया। इसके चलते इस वर्ष बच्चों का सीबीएसई बोर्ड में दाखिला अधर में लटक गया था।
आयोग की अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने इस संवेदनशील मामले को प्राथमिकता से लिया। दोनों पक्षों को बुलाकर लगातार तीन दिनों तक सुनवाई की और समाधान का मार्ग निकाला। शाला प्रबंधन ने आयोग के अनुरोध पर बकाया शुल्क में रियायत दी। इसके बाद अभिभावक ने तय शुल्क अदा किया और शाला की ओर से स्थानांतरण प्रमाणपत्र, अंकसूचियां एवं रसीदें सौंप दी गईं।
डॉ. शर्मा ने कहा कि इस तरह के मामलों में बच्चों का भविष्य दांव पर लग जाता है, जबकि लंबी कानूनी लड़ाई से शिक्षा बाधित होती है। बेहतर यही है कि आपसी सहमति से विवाद सुलझाकर बच्चों के अधिकार को सर्वोपरि माना जाए।
