आत्मसमर्पितों में डिप्टी कमांडर स्तर का नक्सली भी शामिल, कई बड़ी वारदातों में रहा शामिल
नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में सुरक्षा बलों को नक्सल मोर्चे पर बड़ी सफलता मिली है। जिले में कुल 70 लाख रुपए के ईनामी राशि वाले 16 सक्रिय नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।
आत्मसमर्पण करने वालों में 9 पुरुष और 7 महिला नक्सली शामिल हैं। इनमें एक डिप्टी कमांडर स्तर का नक्सली भी शामिल है, जो लंबे समय से पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बना हुआ था।
पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सली मिलिशिया, जनमिलिशिया, और जनताना सरकार जैसे विभिन्न नक्सली संगठनों से जुड़े हुए थे। ये नक्सली पिछले कई वर्षों से सुरक्षा बलों पर हमले, आईईडी विस्फोट, ग्रामीणों को धमकाने और जबरन वसूली जैसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं।
नारायणपुर पुलिस अधीक्षक (एसपी) रॉबिंसन गुड़िया ने जानकारी देते हुए बताया कि यह आत्मसमर्पण अभियान सुरक्षा बलों द्वारा निरंतर विश्वास, संवाद और दबाव की संयुक्त रणनीति का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन लगातार ग्रामीण इलाकों में विकास और विश्वास बहाली के प्रयास कर रहे हैं, जिसके चलते नक्सली संगठन अब कमजोर पड़ते जा रहे हैं।
एसपी गुड़िया ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को राज्य सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति के तहत लाभ दिया जाएगा। इसके तहत उन्हें आर्थिक सहायता, सुरक्षा, पुनर्वास, और समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इन नक्सलियों के आत्मसमर्पण से जिले में सक्रिय नक्सल संगठनों को गहरा झटका लगा है। इससे क्षेत्र में नक्सल गतिविधियों में कमी आने और ग्रामीणों में सुरक्षा तंत्र के प्रति भरोसा बढ़ने की संभावना है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली लंबे समय से जंगलों में सक्रिय थे और पुलिस के साथ कई बार मुठभेड़ में भी शामिल रहे हैं। कुछ नक्सलियों पर अलग-अलग थानों में हत्या, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और वसूली से जुड़े प्रकरण दर्ज थे।
पुलिस विभाग का कहना है कि आत्मसमर्पण करने वाले इन नक्सलियों की पहचान और उनके खिलाफ दर्ज मामलों की जांच की जा रही है। आत्मसमर्पण के बाद सभी को प्रारंभिक परामर्श और पुनर्वास प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा।
स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि आत्मसमर्पण की यह घटना न केवल सुरक्षा तंत्र की सफलता है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि विकास, संवाद और विश्वास की नीति से हिंसा का रास्ता छोड़ा जा सकता है।