जांजगीर-चांपा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में कानून-व्यवस्था को लेकर की गई सख्त टिप्पणी के बावजूद जांजगीर जिले में अपराध पर लगाम कसने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है।
जिले में 78 लाख रुपए की लूट और गोलीकांड को नौ महीने बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस अब तक एक भी ठोस सुराग नहीं खोज पाई। दो एसपी के कार्यकाल बदलने, कई जिलों में दबिश और आरोपियों पर ₹5 लाख के इनाम के ऐलान के बावजूद पूरा गैंग अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। इससे पुलिस की कार्यशैली और जांच की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
इधर कानून-व्यवस्था पर सवाल और गहराते जा रहे हैं। शहर और ग्रामीण इलाकों में जुआ नेटवर्क दिन-ब-दिन हावी हो रहा है। शाम ढलते ही खेतों और सुनसान इलाकों में लाखों के दांव लगते नजर आ रहे हैं, जबकि पुलिस की गश्त के बावजूद जुआ संचालकों पर कोई रोक नहीं। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो ने जुए के संगठित फैलाव और नेटवर्क की पुष्टि कर दी है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि जुए के बड़े फड़ों के पीछे प्रभावशाली संरक्षण और सिस्टम की मिलीभगत होने की चर्चा लंबे समय से चल रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दूसरी ओर चौंकाने वाली बात यह है कि जिस जांजगीर में दिनदहाड़े करोड़ों के लेन-देन वाली अवैध गतिविधियां चल रही हैं, वहीं बड़ी लूट और गोलीकांड की जांच ठप पड़ी हुई है।
लोगों में बढ़ रही चिंता और नाराजगी
क्षेत्रवासियों में बढ़ती आपराधिक घटनाओं और पुलिस की निष्क्रियता को लेकर नाराजगी साफ देखी जा रही है। निवासियों का कहना है कि लगातार वारदातें और असमानांतर अपराध नेटवर्क यह साबित कर रहा है कि कानून का डर खत्म होता जा रहा है।
पुलिस प्रशासन पर उठ रहे सवाल
■ क्या जुए के बड़े फड़ संचालक पुलिस कार्रवाई से परे हैं?
■ 78 लाख लूट में 9 महीने बाद भी कोई सुराग क्यों नहीं?
■ भारी इनाम, कई जिलों में दबिश और दो एसपी बदलने के बावजूद आरोपी कैसे सुरक्षित?
अपराधियों के हौसले बुलंद और पुलिस नतीजा देने में नाकाम — ऐसे में जिले में कानून-व्यवस्था की तस्वीर गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।
