Advertisement Carousel

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मोहन भागवत के कार्यक्रम को लेकर उठाए सवाल, कलेक्टर के आदेश पर जताई आपत्ति

रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम को लेकर प्रशासनिक तंत्र पर सवाल उठाए हैं। बघेल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए संघ और उसकी गतिविधियों को लेकर गंभीर आरोप लगाए और कलेक्टर द्वारा जारी किए गए आदेश पर आपत्ति जताई।

भूपेश बघेल ने अपनी पोस्ट में कहा कि आरएसएस के बारे में संघ के सदस्य अक्सर दावा करते हैं कि यह एक सांस्कृतिक संस्था है और इसका भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से कोई लेना-देना नहीं है। बघेल ने इस दावे को “बड़ा झूठ” करार दिया और कहा कि सच्चाई यह है कि आरएसएस एक पंजीकृत संस्था नहीं है, यानी इसकी कोई वैधानिक स्थिति नहीं है।

उन्होंने आगे कहा, “मोहन भागवत जी किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं, और भले ही उनके नाम से भाजपा नेता थरथर कांपते हों, लेकिन उनकी भूमिका के बारे में कोई अधिकारिक स्थिति नहीं है।”

बघेल ने यह भी सवाल उठाया कि कलेक्टर महोदय मोहन भागवत के कार्यक्रम के लिए सरकारी आदेश क्यों जारी कर रहे हैं। उन्होंने इसे प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग करार दिया और पूछा कि अगर कलेक्टर संघ के सदस्य हैं, तो उन्हें अपनी भूमिका निभाने के लिए सरकारी संसाधनों का उपयोग क्यों करना चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कलेक्टर से यह मांग की कि इस आदेश को तत्काल रद्द किया जाए। बघेल ने यह भी कहा, “अगर कलेक्टर संघ की सदस्यता ले चुके हैं, तो उन्हें सरकारी कामकाजी समय में संघ की शाखा में जाकर अपनी गतिविधियाँ करनी चाहिए, न कि सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करते हुए गुरुदक्षिणा देने में लगना चाहिए।”

इस पोस्ट के माध्यम से भूपेश बघेल ने भाजपा और संघ के बीच गहरे रिश्तों को उजागर किया और संघ की वैधानिकता पर सवाल खड़े किए। यह पोस्ट छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच विचारधाराओं का टकराव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

यहां पर भूपेश बघेल के पोस्ट को एक समाचार के रूप में विस्तार से पेश किया गया है:


पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मोहन भागवत के कार्यक्रम को लेकर उठाए सवाल, कलेक्टर के आदेश पर जताई आपत्ति

रायपुर: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम को लेकर प्रशासनिक तंत्र पर सवाल उठाए हैं। बघेल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए संघ और उसकी गतिविधियों को लेकर गंभीर आरोप लगाए और कलेक्टर द्वारा जारी किए गए आदेश पर आपत्ति जताई।

भूपेश बघेल ने अपनी पोस्ट में कहा कि आरएसएस के बारे में संघ के सदस्य अक्सर दावा करते हैं कि यह एक सांस्कृतिक संस्था है और इसका भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) से कोई लेना-देना नहीं है। बघेल ने इस दावे को “बड़ा झूठ” करार दिया और कहा कि सच्चाई यह है कि आरएसएस एक पंजीकृत संस्था नहीं है, यानी इसकी कोई वैधानिक स्थिति नहीं है।

उन्होंने आगे कहा, “मोहन भागवत जी किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं, और भले ही उनके नाम से भाजपा नेता थरथर कांपते हों, लेकिन उनकी भूमिका के बारे में कोई अधिकारिक स्थिति नहीं है।”

बघेल ने यह भी सवाल उठाया कि कलेक्टर महोदय मोहन भागवत के कार्यक्रम के लिए सरकारी आदेश क्यों जारी कर रहे हैं। उन्होंने इसे प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग करार दिया और पूछा कि अगर कलेक्टर संघ के सदस्य हैं, तो उन्हें अपनी भूमिका निभाने के लिए सरकारी संसाधनों का उपयोग क्यों करना चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कलेक्टर से यह मांग की कि इस आदेश को तत्काल रद्द किया जाए। बघेल ने यह भी कहा, “अगर कलेक्टर संघ की सदस्यता ले चुके हैं, तो उन्हें सरकारी कामकाजी समय में संघ की शाखा में जाकर अपनी गतिविधियाँ करनी चाहिए, न कि सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करते हुए गुरुदक्षिणा देने में लगना चाहिए।”

इस पोस्ट के माध्यम से भूपेश बघेल ने भाजपा और संघ के बीच गहरे रिश्तों को उजागर किया और संघ की वैधानिकता पर सवाल खड़े किए। यह पोस्ट छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है, जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच विचारधाराओं का टकराव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।


error: Content is protected !!