00 जिसमें बल है, जो ओजस्वी है, जो ऊर्जा से भरा है वो कहलाता है “तेजस”
दिल्ली / भारतीय वायु सेना के लिये देश में निर्मित पहला हल्का लड़ाकू विमान तेजस वायु सेना में आधिकारिक रूप से शामिल किया गया। देश में विकसित इस विमान से मेक इन इंडिया अभियान को और गति मिलेगी। लड़ाकू विमान तेजस हवा से हवा में और हवा से ज़मीन पर भी मिसाइल दागने में सक्षम है। साथ ही इससे एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट को भी दागा जा सकता है।
कहते हैं कि ये सबसे हल्का सुपरसोनिक फाइटर जेट है, जिसका ढांचा 42% कार्बन फाइबर, 43% एल्यूमीनियम अलॉय और टाइटेनियम से मिलकर बना है। ऊर्जा से भरी ये युद्ध मशीन तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इतना ही नहीं तेजस सिर्फ 460 मीटर तक रनवे पर दौड़कर उड़ जाता है। फाइनल ऑपरेशन क्लीयरेंस वर्जन में इसकी अधिकतम गति 2205 किमी प्रति घंटे है।
शुक्रवार को वायुसेना में शामिल तेजस की पहली स्क्वाड्रन को 2 साल तक बेंगलुरु में ही रखा जाएगा। इसके बाद इसे तमिलनाडु के सलूर में शिफ्ट किया जाएगा। तेजस फाइटर की पहली स्क्वाड्रन का नाम ‘फ्लाइंग डैगर्स 45’ रखा गया है। एयरफोर्स में एंट्री के साथ ही तेजस फ्रंटलाइन लड़ाकू जेट्स सुखोई 30-MKI, जगुआर, मिराज-2000 जैसों की रैंक में शामिल हो गया। आपको बता दें कि तेजस की फाइटर स्क्वाड्रन में 2018 तक 20 जेट और एक या दो ट्रेनर्स शामिल किए जाने हैं। देश में बने पहले लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LAC) तेजस बेड़े में 2 तेजस फाइटर शामिल हुए हैं।
मेड इन इंडिया फाइटर लाने की प्रॉसेस 33 साल पहले यानी 1983 में शुरू हो गई थी। लेकिन तेजस ने अपनी पहली उड़ान 4 जनवरी, 2001 में भरी। लेकिन एक ख़ास बात ये है कि साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी ने इस फाइटर को ‘तेजस’ नाम दिया।
फाइटर को IAF में शामिल करने के लिए बाकायदा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा की गई। दिसंबर 2013 में सिंगल इंजन वाले तेजस को शुरुआती ऑपरेशनल क्लीयरेंस मिली। इस वक्त एयरफोर्स के पास 33 स्क्वॉड्रन बची हैं। इन 33 में से 11 स्क्वॉड्रन्स में MiG-21 और MiG-27 फाइटर हैं। इनमें से भी सिर्फ 60 फीसदी ही ऑपरेशन के लिए तैयार हैं। मिग-21 और मिग-27 की हालत समय से साथ पुरानी हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तेजस की उपलब्धि से पता चलता है कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए देश के पास कौशल और क्षमता मौजूद है। 2016 की शुरुआत में तेजस ने बहरीन के इंटरनेशनल एयर शो में शामिल हुआ था जहां सभी इसे देखकर दंग रह गए थे। लेकिन कहा जा रहा है कि तेजस की टक्कर पाकिस्तान के JF-17 थंडर से ही होगा, जो चीन और दूसरे देशों की मदद से तैयार किया गया है। लेकिन जानकार कहते हैं कि JF-17 की मुकाबले स्पीड, रेंज और ज्यादा वॉरहेड ले जाने की कैपेबिलिटी के चलते तेजस को बेहतर बताया जा रहा है।
अब नज़र आगे है, क्योंकि इसे 2018 में मिलेगा मार्क-1ए स्टैंडर्ड, इसके अलावा इसमें मिड-एयर रिफ्यूलिंग भी की जा सकती है। बड़ी बात ये है कि मेक इन इंडिया की मिसाल तेजस पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं क्योंकि आने वाले वक्त में कई देश इसे भारत से ख़रीदना चाहते हैं।
बिहार के बेटे का बनाया हुआ तेजस –
बिहार के लाल द्वारा निर्मित लड़ाकू एवं देश में निर्मित विमान तेजश को वायु सेना में शामिल कर लिया गया। आपको बताते चले कि तेजस लड़ाकू विमान का निर्माण दरभंगा के घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर गांव निवासी एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. मानस बिहारी वर्मा के नेतृत्व में बनाया गया था। आज जब विधिवत इस विमान को एयर फोर्स में शामिल किया गया तो एक बार फिर बिहार का सर गर्व से उंचा हो गया। जानकारी हो की भारत के राष्ट्रपति रह चुके स्व. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के साथ काम कर चुके डा. मानस बिहारी वर्मा दोनों अच्छे मित्र थे और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अपने बिहार दौरा के दौरान कई बार उनसे मिलने भी आये थे।
क्या है तेजस ?
– लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) प्रोग्राम को मैनेज करने के लिए 1984 में एलडीए (एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी) बनाई गई थी।
– एलसीए ने पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को भरी थी।
– अब तक यह कुल 3184 बार उड़ान भर चुका है।
– तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
– तेजस के विंग्स 8.20 मीटर चौड़े हैं। इसकी लंबाई 13.20 मीटर और ऊंचाई 4.40 मीटर है। वजन 6560 किलोग्राम है।
– देश में बना पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है तेजस।
– सर्फ 2 प्लेन के साथ एयरफोर्स इसे अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है।
– सफलतापूर्वक तेजस का किया जा चुका है टेस्ट, एयर मार्शल जसबीर वालिया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) के ऑफिसर्स की देख-रेख में पूर्ण हुआ टेस्ट।
– तेजस की पहली स्क्वाड्रन को 2 साल तक बेंगलुरू में ही रखा जाएगा।
– तमिलनाडु के सलूर में इसके बाद इसे शिफ्ट किया जाएगा।