कोरिया / मनेंद्रगढ़ के चैनपुर में 18 वी वाहनी छ. स. बल में नवनिर्मित 16 नग NGO’S तथा 32 नग OR क्वाटरों का लोकर्पण करने पहुचें डॉ बंशीलाल महतो सांसद संसदीय क्षेत्र कोरबा ने कुर्सी पर बैठ कर पुजा की और यही नहीं इनके साथ श्रीमती चंपा देवी पावले संसदीय सचिव छत्तीसगढ़ शासन, श्याम बिहारी जायसवाल विधायक मनेन्द्रगढ़ , नरेंद्र दुग्गा कलेक्टर कोरिया भी इस लोकर्पण कार्यक्रम के दौरान जब पुजारी पुरे विधि – विधान के साथ मंत्र पढ़ रहे थे तो उपस्थित जनप्रतिनिधी जमीन पर न बैठ कर कुर्सी पर बैठे रहे और उसी स्थिति में पुजा संपन्न कराया जिसकी एक तस्वीर कार्यक्रम के बाद से ही सोशल मिडिया में बड़ी तेजी से घुम रही है और जबरजस्त चर्चा का विषय बनी हुई है और अब इस मौके को कांग्रेस ने हाथों – हाथ लिया, साथ ही सोशल मिडिया में बीजेपी की जम कर किरकिरी भी की जा रही है।
कांग्रेसी नेता गुलाब कमरो ने सोशल मिडिया में लिखा है की –
भगवान और पुजारी जमीन पर और सत्ता के नशे मे चूर मदमस्त जनता के सेवक कुर्सियो पर, किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत भी हम उन्ही गुरू तुल्य पुजारी अथवा पुरोहित के नक्शे कदम पर करते है। ऐसा ही एक वाक्या आज देखने को मिला। आज ..पूजा के दौरान सत्ता के नशे मे चूर विधायक और उनके अन्य अनुयायी पूजा के दौरान अपनी कुर्सियो पर बैठे – बैठे अपने मोबाइल पर टाइम पास करते दिखे। ये इस कदर मदमस्त है सत्ता के नशे मे कि भगवान का आसन या पुरोहित के आसन की भी इनको परवाह नही है कि हमें कभी भी भगवान या पुजारी के समकक्ष कहाॅ बैठना चाहिऐ कैसे बैठना चाहिऐ। कहने को तो इनकी पार्टी धर्म और राम नाम का बहुत बड़ा बखान करती है, परन्तु वास्तविकता आज देखने को मिला।
ये है… हमारे जिले के जनप्रतिनिधि दुर्भाग्य है हमारा, कुर्सी में बैठकर पूजा और हवन कर रहे है, भगवान जी, दीप, कलस जमींन पर नेता जी ऊपर और पंडित जी जिन्हें हम आदर से महाराज जी कहते है, उनको निचे बिठाकर खुद ऊपर बैठे है, बहुत दुःख की बात है हमें ऐसे सांसद, संसदीय सचिव और विधायक मिले है मंदिर और घर में भी ऐसे ही भगवान जमींन पर खुद गद्दी पर बैठकर पूजा करते होंगे, बिहारी जी जो खुद को युवा कहते और मैडम जो स्वयं महिला है उनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, पद पाकर भगवान को नीचा कर दिए, बहुत दुःख हुआ धर्म का भगवान का ऐसा अपमान देखकर आज………
सौरव गुप्ता कहते है –
बात जब धर्म आध्यात्म या पूजा पाठ की हो तो वहाॅ पर गुरू की महत्ता को स्वीकार करना नितान्त आवश्यक होता है । क्योकि गुरू के वगैर हम किसी भी आध्यात्मिक क्रिया को पूर्ण नही कर सकते । क्योकि गुरू का महत्व शास्त्रो में गोविन्द अर्थात भगवान से भी बड़ा बताया गया है और कहा भी गया है कि गुरू गोविन्द दोऊ खड़े काके लागू पाॅय बलिहारी गुरू आपकी गोविन्द दियो बताय और जब कभी भी हम किसी पूजा पाठ में शामिल होते है या जाते है तो वहाॅ उपस्थित पुरोहित या पुजारी को ही गुरू तुल्य मानकर सम्मान देते है । ये ही हमारी परम्परा है ।
किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत भी हम उन्ही गुरू तुल्य पुजारी अथवा पुरोहित के नक्शे कदम पर करते है ।
ऐसा ही एक वाक्या आज देखने को मिला । आज …पूजा के दौरान सत्ता के नशे मे चूर विधायक और उनके अन्य अनुयायी पूजा के दौरान अपनी कुर्सियो पर बैठे बैठे अपने मोबाइल पर टाइम पास करते दिखे । ये इस कदर मदमस्त है सत्ता के नशे मे कि भगवान का आसन या पुरोहित के आसन की भी इनको परवाह नही है । कि हमें कभी भी भगवान या पुजारी के समकक्ष कहाॅ बैठना चाहिऐ कैसे बैठना चाहिऐ । कहने को तो इनकी पार्टी धर्म और राम नाम का बहुत बड़ा बखान करती है । परन्तु वास्तविकता आज देखने को मिला ।