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आखिरकार सरकार ने भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक वापस लेने का किया फैसला

रायपुर / छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक को सरकार ने वापस लेने का फैसला किया है। ये फैसला आज कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। सरकार ने ये कदम आदिवासी समाज के लगातार बढ़ते विरोध के बाद उठाया है।

कैबिनेट की बैठक से पहले सर्व आदिवासी समाज ने मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से मुलाकात कर इसे वापस लेने की मांग की थी, जिसे सरकार ने मान लिया है। सीएम से मिलने के लिए राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष जे आर राणा भी साथ गए थे। सिद्धनाथ पैकरा ने भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक पर कहा कि बिल पर पुनर्विचार करने की मांग की है। ‎विपक्ष इस बिल को लेकर भ्रम की स्थिति फैला रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से आज शाम यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में आदिवासी समाज के वरिष्ठ नेताओं ने मुलाकात की और विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा और आदिम जाति विकास मंत्री केदार कश्यप, वन और विधि मंत्री महेश गागड़ा, छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष जी.आर.राना और पूर्व संसदीय सचिव सिद्धनाथ पैकरा सहित अन्य वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी उपस्थित थे।

आपको बता दे कि बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पदाधिकारियों ने भी सरकार के सामने ये आशंका जताई थी कि संशोधन विधेयक अगर वापस नहीं लिया गया, तो आदिवासी इलाके में बीजेपी के लिए जीतना मुश्किल हो जाएगा।

गौरतलब है कि इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक पारित किया था। विधानसभा में इसे लेकर मत विभाजन भी हुआ था। कांग्रेस ने संशोधन विधेयक के खिलाफ वोटिंग की थी, लेकिन सरकार ने संख्याबल के आधार पर इसे पारित करा लिया था। इसके बाद से कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया था। वहीं सर्व आदिवासी समाज भी इसके खिलाफ था, जिसके बाद सरकार को लगातार इस विधेयक को लेकर सफाई देनी पड़ रही थी।

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