कोरिया / चिरमिरी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को संबोधित एक पत्र प्रेषित कर केविएट की प्रति ईमेल से भेजने हेतु छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट रूल-2007 की धारा-142(2) में संशोधन करने का अनुरोध को फुल कोर्ट के द्वारा निरस्त कर दिया गया है. जिस पर रिट याचिका लगाने की बात बताई जा रही है.
आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट रूल 2007 की धारा-142(2) में संशोधन कर केविएट की प्रति ईमेल से भेजने हेतु छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को दिनांक 10 दिसंबर 2018 को एक पत्र लिखा था. आरटीआई कार्यकर्ता के इस पत्र पर कोई कार्यवाही नहीं होने से उसमें दिनांक 27 फरवरी 2019 और 5 दिसंबर 2019 को इस संबंध में रजिस्ट्रार जनरल को स्मरण पत्र लिखा था. आरटीआई कार्यकर्ता ने अपने पत्र में लिखा कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट रूल वर्ष 2007 में बनाया गया. हाई कोर्ट रूल धारा-142(2) में कहा गया है कि प्रस्तावित आवेदक को केविएट की प्रति रजिस्टर्ड डाक या कूरियर सर्विस से भेजने का नियम बनाया गया है, परंतु कहीं भी ई-मेल के माध्यम से भेजने का नियम नहीं है, जबकि हाईकोर्ट रूल के इस धारा के अनुसार केविएटर को अपने केविएट आवेदन पत्र में अपना ईमेल आईडी भी देना आवश्यक होता है.
आरटीआई कार्यकर्ता ने आगे अपने पत्र में लिखा कि इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट-2000 हाईकोर्ट रूल बनने के 7 साल पहले ही लागू हो गया था. आईटी एक्ट की धारा-4 में उल्लेखित है कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजे गए दस्तावेज का उतना ही महत्व है, जितना कागज के रूप में भेजने का है.आरटीआई कार्यकर्ता ने अपने इस पत्र में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का भी उल्लेख किया. आरटीआई कार्यकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 26 जुलाई 2010 के आदेश का उल्लेख करते हुए लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस ईमेल के माध्यम से भेजने का निर्देश किया है और इस निर्देश की कॉपी समस्त हाईकोर्ट को प्रेषित किया गया था.
आईटी एक्ट-2000 के इस धारा के अनुसार हाई कोर्ट रूल 2007 बनते समय ही इस की धारा-142(2) में केविएट की प्रति ईमेल से भेजने का नियम होना चाहिए था. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा समस्त विभागों का मेल आईडी अपलोड किया गया है, जिससे छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा सम्मन और नोटिस की प्रति ईमेल के माध्यम से भेजा जा सके. इस प्रकार शासकीय विभागों का ईमेल आईडी बनाया जा चुका है.
दिनांक-22.11.2017 को छत्तीसगढ़ राज्य पत्र में प्रकाशित कर छत्तीसगढ़ न्यायालयों की आदेशिका का कूरियर, फैंक्स, इलेक्ट्रॉनिक मेल सेवा के द्वारा तामिली (सिविल कार्रवाईया) नियम-2017 बनाया गया है.
आरटीआई कार्यकर्ता ने अपने पत्र में ई-मेल से केविएट की प्रति भेजने से होने वाले लाभ का जिक्र किया जैसे-ई-मेल से भेजने वाले केविएट तत्काल तमिल होते हैं, ई-मेल के माध्यम से केविएट की प्रति भेजने में लगने वाला समय, धन और ऊर्जा बचेगा, ई-मेल के माध्यम से केविएट की प्रति भेजने से त्वरित न्याय आसानी से हो सके सकेगा, डिजिटल इंडिया को बढ़ावा मिलेगा, न्यायालय का ई-फाइलिंग की ओर बढ़ने में सहायता मिलेगी, सबसे महत्वपूर्ण कागज बचेगा जिससे पर्यावरण एवं प्रकृति की रक्षा होगी.
आरटीआई कार्यकर्ता के इस पत्र को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के द्वारा दिनांक 13 मार्च 2019 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के चेंबर में रखा गया. चीफ जस्टिस ने इस आवेदन पत्र को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रूलमेकिंग कमेटी के समक्ष अग्रिम कार्रवाई हेतु भेज दिया. इस आवेदन पत्र को हाईकोर्ट के समस्त जजों के मीटिंग में रखा गया. इस संबंध में निर्णय लिया गया कि अभी इसकी आवश्यकता नहीं है और इस निर्णय के साथ ही आरटीआई कार्यकर्ता का आवेदन निरस्त कर दिया गया.
इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि अब संपूर्ण जजों के इस निर्णय के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में रिट याचिका पेश करने का निर्णय लिया है.
