राजनांदगांव / दीपक विराट तिवारी जो देश के प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर के नाटकों के दबंग किरदार निभाते थे। मशहूर नाटक चरणदास चोर में चोर का जीवंत किरदार निभाकर दीपक जी नाट्य कला के क्षेत्र में विश्व में अपनी अलग पहचान बना ली. चोरी के इस हुनर के लिए दीपक को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया।
दीपक विराट की पत्नी श्रीमती पूनम तिवारी ने बताया है , करीब 27-28 साल पुरानी है, जब दीपक जनसंपर्क विभाग में नौकरी करते थे और साथ ही हबीब तनवीर के साथ थियेटर भी करते थे. इससे सरकार नाराज थी और हम दिल्ली में प्रस्तुति के लिए गए थे. उसी दौरान एक पत्र सरकार की ओर से मिला कि आप यदि थियेटर में ही काम करेंगे तो नौकरी से निकाल दिया जाएगा। इन्होंने थियेटर नहीं छोड़ा तो इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। साल 2015 में राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ अलंकरण से सम्मानित पूनम तिवारी(दीपक की पत्नी) बताती हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमनसिंह ने इलाज के लिए एक लाख रूपये दिए थे।
विगत कई वर्षों से राजनांदगांव में निवासरत मूलत: बिलासपुर के रहने वाले दीपक विराट तिवारी ने राजनांदगांव को अपना कर्म क्षेत्र बनाया. साल 1980-90 के दशक में हबीब तनवीर के ग्रुप नया थियेटर का हिस्सा बने। उन्होंने चरणदास चोर, लाला शोहरत राय, मिट्टी की गाड़ी, आगरा बाजार, कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना, देख रहे हैं नैन, लाहौर नहीं देखा और हिरमा की अमर कहानी जैसे नाटक में अपनी अलग छाप छोड़ी। पिछले 12 सालों से वे जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहे थे और आज उन्होंने अपनी आखरी सांसे ली।