Sunday, June 29, 2025
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नवरात्र प्रारंभ, इस बार 9 नहीं बल्कि 8 दिन की नवरात्रि, एक साथ होगी मां चंद्रघंटा और कुष्मांडा की पूजा

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00 माता का आगमन डोली पर हो रहा है और विदा हाथी पर लेगी

रायपुर /  आदि शक्ति की आराधना का पर्व एक वर्ष में चार बार आता है। इनमें दो नवरात्र जिन्हें क्रमश: चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्र के नाम से भी जाना जाता है। वहीं इसके अलावा साल में ही दो और गुप्त नवरात्र भी आते हैं। जिनके बारे में कम जानकारी होने के चलते ही इन्हें गुप्त नवरात्र कहते हैं।

आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान विधि- विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

बता दें कि 7 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ हो रही हैं और 15 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों में मां दुर्गा की पूजा की जाती हैं। लेकिन इस बार तृतीया व चतुर्थी एक ही दिन पड़ने के कारण 8 दिनों की नवरात्रि मनाई जाएगी। इसलिए इस बार की नवरात्रि बेहद पवित्र माना गया है। पुराणों में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि कलश स्थापना के दिन के अनुसार माता की सवारी बदल जाती है। इसलिए हर साल माता का आवागमन अलग-अलग वाहन से होता है। इस बार माता का आगमन डोली पर हो रहा है और विदा हाथी पर लेगी।

शरद नवरात्रि की शुरुआत

-पहला दिन 7 अक्टूबर : मां शैलपुत्री की पूजा।
-दूसरा दिन 8 अक्टूबर : मां ब्रह्मचारिणी की पूजा।
-तीसरा दिन 9 अक्टूबर : मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा।
-चौथा दिन 10 अक्टूबर: मां स्कंदमाता की पूजा।
-पांचवां दिन 11 अक्टूबर-: मां कात्यायनी की पूजा।
-छठवां दिन 12 अक्टूबर: मां कालरात्रि की पूजा।
-सातवां दिन 13 अक्टूबर : मां महागौरी की पूजा।
-आठवां दिन 14 अक्टूबर : मां सिद्धिदात्री की पूजा।
-15 अक्टूबर : विजयादशमी (दशहरा) पर्व।

कलश स्थापना –

शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021, गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना या घट स्थापना का महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास प्रतिपदा तिथि का आरंभ 06 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है और प्रतिपदा तिथि 07 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों में व्रत एवं त्योहार उदया तिथि में मनाने का विशेष महत्व होता है। ऐसे में 07 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि में सूर्योदय के साथ ही शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होंगे। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है।

शारदीय नवरात्रि 2021 कलश स्थापना मुहूर्त (Navratri 2021 Muhurat)-

शास्त्रों के अमुसार, सूर्योदय के समय से 04 घंटे तक आप शांति कलश स्थापना कर सकते हैं। दिल्ली वासी 07 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से 10 बजकर 17 मिनट तक कलश स्थापना कर सकते हैं। इसके अलावा कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।

कलश स्थापना –

शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021, गुरुवार से प्रारंभ हो रहे हैं। नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना या घट स्थापना का महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास प्रतिपदा तिथि का आरंभ 06 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है और प्रतिपदा तिथि 07 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों में व्रत एवं त्योहार उदया तिथि में मनाने का विशेष महत्व होता है। ऐसे में 07 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि में सूर्योदय के साथ ही शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होंगे। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है।

शारदीय नवरात्रि 2021 कलश स्थापना मुहूर्त

शास्त्रों के अमुसार, सूर्योदय के समय से 04 घंटे तक आप शांति कलश स्थापना कर सकते हैं। दिल्ली वासी 07 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से 10 बजकर 17 मिनट तक कलश स्थापना कर सकते हैं। इसके अलावा कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।

कलश स्थापना के लाभ-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलश में सभी तीर्थ, देवी-देवताओं का वास होता है। ये मां दुर्गा की पूजा-अर्चना में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होते हैं। घट स्थापना करने से भक्त को पूजा का शुभ मिलता है और घर में सकारात्मक माहौल रहता है। घर में सुख-शांति आती है।

कलश स्थापना के लाभ-

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलश में सभी तीर्थ, देवी-देवताओं का वास होता है। ये मां दुर्गा की पूजा-अर्चना में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होते हैं। घट स्थापना करने से भक्त को पूजा का शुभ मिलता है और घर में सकारात्मक माहौल रहता है। घर में सुख-शांति आती है।

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