Pitra Visarjan : आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पितृ विसर्जन का अवसर होता है। इस वर्ष, पितृ विसर्जन अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन समस्त पितरों का विसर्जन किया जाता है, खासकर उन पितरों का, जिनकी पुण्यतिथि ज्ञात नहीं है या जिनका श्राद्ध तर्पण नहीं हो पाया है। तो आइए जानते है श्राद्ध और तर्पण की विधि के बारे में।
श्राद्ध विधि-श्राद्ध कर्म एक योग्य विद्वान ब्राह्मण के माध्यम से करवाना चाहिए। श्राद्ध कर्म में ब्राह्मणों को दान देने के साथ-साथ, जरूरतमंदों की सहायता भी करनी चाहिए। साथ ही गाय, कुत्ता, कौवा आदि को भी भोजन का एक अंश अवश्य डालें। यदि संभव हो तो श्राद्ध कर्म गंगा नदी के किनारे करें। अन्यथा, इसे घर पर भी किया जा सकता है। श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को भोज कराएं और भोजन के बाद उन्हें दक्षिणा देकर संतुष्ट करें। श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करें। योग्य ब्राह्मण के साथ मंत्रोच्चारण करें और उसके बाद जल से तर्पण करें। भोग में से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर दें और उन्हें भोजन देते समय पितरों का स्मरण करें।
श्राद्ध पूजा की सामग्री-रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी, रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता, पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़, मिट्टी का दीया, रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना।
2 अक्टूबर को पितृ विसर्जन अमावस्या के अवसर पर श्रद्धा के साथ श्राद्ध और तर्पण करने से न केवल पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है, बल्कि इससे परिवार और समाज का कल्याण भी होता है।