Thursday, January 30, 2025
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‘पुरुषों के 13 अखाड़े तो महिलाओं के क्यों नहीं?’, अब कोर्ट में आई, महिलाओं के अमृत स्नान की लड़ाई

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प्रयागराज। महाकुंभ में महिला संतों के लिए अलग अमृत स्नान की लड़ाई अब इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गई है। परी अखाड़े की ओर से दायर याचिका में सवाल उठाए गए हैं कि पुरुषों के लिए 13 अखाड़े हैं तो महिलाओं के लिए क्यों नहीं? इससे पहले हाईकोर्ट के निर्देश पर ही पहली बार प्रयागराज महाकुंभ में परी अखाड़े को भूमि आवंटित कर सुविधाएं दी गईं हैं, हालांकि हरिद्वार, नासिक और उज्जैन के कुंभ में उन्हें सरकारी सुविधाएं मिलीं थीं, लेकिन अमृत स्नान की अनुमति नहीं मिल सकी थी।

महिला संत त्रिकाल भवंता ने 2013 के कुंभ में महिलाओं के लिए अलग अखाड़े की स्थापना की थी। इसके बाद से महिलाओं के लिए अलग से अमृत स्नान की व्यवस्था कराने की मांग उठ रही है, लेकिन 13 मान्यता प्राप्त अखाड़ों के विरोध के कारण अभी तक परी अखाड़े को सफलता नहीं मिल सकी है। अब प्रयागराज महाकुंभ में एक बार फिर परी अखाड़ा इस मुद्दे को लेकर मुखर है। इस संबंध में हाल ही में परी अखाड़े से जुड़ीं महिला संतों ने निरंजनी अखाड़े के प्रमुख और आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि और जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक एवं अखाड़ा परिषद के महामंत्री स्वामी हरि गिरि से भी वार्ता की, लेकिन बात नहीं बनी। यही नहीं परी अखाड़े से जुड़ी महिला संतों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी गुहार लगाई, लेकिन वहां से भी सिर्फ आश्वासन ही हाथ लगा।  ऐसे में प्रयागराज महाकुंभ से पहले परी अखाड़े ने एक बार फिर अदालत की शरण ली है।

महिला संतों का सम्मान
महिलाओं के लिए अलग से अमृत स्नान की व्यवस्था कराने की मांग पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी का कहना है कि 13 अखाड़े ही मान्यता प्राप्त हैं। सभी अखाड़ों में महिला संतों का सम्मान है। हर अखाड़े में बड़ी संख्या में महिला संत और महामंडलेश्वर भी शामिल हैं। किसी नए अखाड़े को परिषद की ओर से मान्यता नहीं दी जा सकती है।

यह महिला संतों के अस्तित्व की लड़ाई : जागृति चेतना
परी अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर जागृति चेतना गिरि का कहना है कि महिला संतों के लिए अलग अमृत स्नान का मुद्दा महिलाओं के अस्तित्व की लड़ाई है। इसके लिए हर स्तर पर आवाज उठाई जा रही है। कई बड़े संतों ने इस प्रस्ताव को अखाड़ा परिषद के समक्ष रखने और समर्थन का भरोसा दिलाया है।

महिला संत अलग स्नान करना चाहती हैं : भवंता
परी अखाड़े की संस्थापक संत त्रिकाल भवंता का कहना है कि अखाड़ों के विरोध के कारण अब तक उन्हें अमृत स्नान की अनुमति नहीं मिल सकी है। उन्होंने कहा कि न्यायालय पर हमें पूरा भरोसा है।   उन्होंने बताया कि परी अखाड़े से देश-विदेश की हजारों महिला संत जुड़ी हुईं हैं, जो इस बार प्रयागराज महाकुंभ में अलग अमृत स्नान करना चाहती हैं।

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