रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के खेमे में नाराजगी थमने का नाम नहीं ले रही। विधानसभा, लोकसभा, उपचुनाव और अब निकाय चुनावों में मिली करारी हार के बाद पार्टी के भीतर असंतोष उबाल पर है। नेता एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं, तो कुछ सीधे प्रदेश नेतृत्व को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। उधर, जनता भी कांग्रेस को हार से उबारने के लिए अपने-अपने सुझाव देने में जुटी है।
कांग्रेस में आत्ममंथन या अंतर्कलह?
विधानसभा चुनाव में हार के बाद नेतृत्व पर सवाल उठे, फिर लोकसभा में शिकस्त के बाद आरोप-प्रत्यारोप तेज हुए। अब निकाय चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। अंदरखाने में विरोध की आवाज़ें उठ रही हैं, लेकिन पार्टी के बड़े नेता इसे ‘व्यक्तिगत राय’ बताकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
बीजेपी गदगद, चुटकी लेने का मौका नहीं छोड़ा!
छत्तीसगढ़ में लगातार जीत का स्वाद चख रही बीजेपी के नेताओं के चेहरे पर मुस्कान खिली हुई है। कांग्रेस के भीतर मचे घमासान पर बीजेपी ने चुटीले तंज कसते हुए कहा कि अब कांग्रेस को हार का ‘आदी’ हो जाना चाहिए।
नेताओं के बोल:
कुलदीप जुनेजा (पूर्व विधायक): “हमारी पार्टी को अब आत्ममंथन की सख्त जरूरत है।”
टीएस सिंहदेव (पूर्व उपमुख्यमंत्री): “नेतृत्व को जिम्मेदारी लेनी होगी, कार्यकर्ताओं की आवाज़ सुनी जानी चाहिए।”
टंकराम वर्मा (कैबिनेट मंत्री, बीजेपी): “कांग्रेस में हार के बाद मंथन नहीं, केवल मतभेद होते हैं!”
अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस हार से सबक लेकर आगे की रणनीति बनाती है या फिर असंतोष का यह सैलाब पार्टी को और कमजोर कर देगा!