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छत्तीसगढ़ विधानसभा में हंगामा: पूर्व सदस्यों के निधन की सूचना में देरी पर नाराजगी, पंचायत चुनाव टालने को लेकर विपक्ष का वॉकआउट

रायपुर, 6 मार्च – छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के आठवें दिन सदन में कई अहम मुद्दों पर चर्चा के दौरान जोरदार हंगामा देखने को मिला। पूर्व सदस्यों के निधन की सूचना में देरी पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। वहीं, इन्वेस्ट छत्तीसगढ़ सम्मेलन, जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने और जिला पंचायत चुनावों में धांधली जैसे मुद्दों पर भी तीखी बहस हुई। सत्ता पक्ष की ओर से संतोषजनक जवाब न मिलने पर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया।

पूर्व सदस्यों के निधन की सूचना में देरी पर स्पीकर ने जताई नाराजगी

विधानसभा में कार्यवाही की शुरुआत के साथ ही दिवंगत पूर्व सदस्यों के निधन की सूचना में देरी को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए अधिकारियों पर कड़ा रुख अपनाया और जिम्मेदारों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।

इन्वेस्ट छत्तीसगढ़ सम्मेलन को लेकर विपक्ष का तंज

प्रश्नकाल के दौरान इन्वेस्ट छत्तीसगढ़ सम्मेलन को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरा। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता महंत ने इस सम्मेलन की तुलना “दूल्हे के बिना बारात” से कर दी। उन्होंने कहा कि सरकार निवेशकों को आकर्षित करने के दावे तो कर रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव स्थगित करने पर हंगामा

शून्यकाल के दौरान जनपद और जिला अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने का मुद्दा उठा, जिस पर सदन में जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार खरीद-फरोख्त के लिए चुनाव स्थगित कर रही है

कांग्रेस की वरिष्ठ विधायक अनिला भेड़िया ने सरकार से पूछा कि बिना पूर्व सूचना के चुनाव क्यों स्थगित किए गए? उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। वहीं, विधायक उमेश पटेल ने कहा कि कई जिलों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाया जा रहा है, ताकि सरकार के मनमुताबिक नतीजे सुनिश्चित किए जा सकें।

भूपेश बघेल का बड़ा आरोप – “लोकतंत्र की हत्या”

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुर्ग जिला पंचायत चुनाव का हवाला देते हुए गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि “वहां दो महिला दावेदारों को विधायक के घर में बैठा दिया गया और निर्विरोध अध्यक्ष चुन लिया गया। यह लोकतंत्र की हत्या है।”

इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विक्रम मंडावी और दिलीप लहरिया ने भी सरकार को घेरा और निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की।

विपक्ष का वॉकआउट, सदन के बाहर नारेबाजी

इन सभी मुद्दों पर सत्ता पक्ष की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिलने पर विपक्ष ने नाराजगी जाहिर की और सदन से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद सदन के बाहर जोरदार नारेबाजी की गई।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, “सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। लोकतंत्र में ऐसी तानाशाही स्वीकार नहीं की जाएगी।”

वहीं, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि सरकार सभी चुनाव पारदर्शी तरीके से करा रही है और विपक्ष केवल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए हंगामा कर रहा है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में हुए इस हंगामे से यह साफ हो गया कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। इन्वेस्ट छत्तीसगढ़ सम्मेलन, पंचायत चुनावों में धांधली और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर सवालों को लेकर आगामी दिनों में भी सदन में गरमा-गरमी जारी रहने की संभावना है।

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