गैरेंटी के नाम पर राजस्व का नुकसान!
रायपुर, 17 अप्रैल: छत्तीसगढ़ सरकार की गैरेंटी योजनाओं और किसानों के हित में किए गए वादों के बावजूद राज्य में बंपर धान खरीदी के बाद अब सरकार उसे बाजार में बेचने में विफल होती नजर आ रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदे गए धान में से 35 लाख मीट्रिक टन अतिशेष धान को अब सरकार नीलाम कर रही है।
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से केंद्रीय पूल में चावल का कोटा बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। नतीजतन, जिस धान को सरकार ने 2800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा था, वह अब खुले बाजार में बोली के आधार पर बेचा जा रहा है। इस प्रक्रिया से राज्य को भारी राजस्व हानि होने की आशंका है।
किसानों का कहना है कि जिस तरह पंजाब में पूरे धान की खरीद की गई, उसी तरह छत्तीसगढ़ में भी खरीदी जानी चाहिए थी। कांग्रेस ने इस स्थिति को लेकर सरकार पर हमला बोलते हुए इसे 7 हजार करोड़ रुपये का सीधा नुकसान बताया है।
वहीं, डबल इंजन की सरकार पर सवाल उठाते हुए विपक्ष ने इसे जनता की गाढ़ी कमाई की बर्बादी करार दिया है। उपमुख्यमंत्री का कहना है कि “सरकार आर्थिक विषयों पर समाधान निकालने के प्रयास में है।”
इस पूरे मामले ने राज्य की अर्थव्यवस्था और किसानों के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।