— अदालत ने सुनाया सख्त फैसला, पीड़ित से हथियार की नोंक पर की गई थी उगाही
जांजगीर-चांपा, 17 जून।
छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के नाम का दुरुपयोग करते हुए मारपीट और जबरन वसूली करने वाले छह आरोपियों को जांजगीर की अपर सत्र न्यायालय ने दोषी करार देते हुए सात-सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इस प्रकरण ने जिले में फर्जी संगठनों की आड़ में अपराध करने वालों पर कड़ा संदेश दिया है।
मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश श्री अनिल कुमार बारा की अदालत में हुई। आरोपियों ने खुद को छत्तीसगढ़ क्रांति सेना का पदाधिकारी बताकर प्रार्थी को डराया-धमकाया, उसके साथ मारपीट की और पैसे की उगाही की। इतना ही नहीं, आरोपियों ने हथियार दिखाकर प्रार्थी को जान से मारने की धमकी दी और उस पर नकली कीटनाशक बेचने का झूठा आरोप लगाने की धमकी भी दी।
पीड़ित द्वारा थाने में की गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार किया और मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक योगेश गोपाल ने सटीक तर्कों और साक्ष्यों के आधार पर अदालत को यह विश्वास दिलाया कि आरोपियों ने सुनियोजित तरीके से वारदात को अंजाम दिया था। उन्होंने बताया कि यह केवल एक व्यक्ति को डराने-धमकाने का मामला नहीं था, बल्कि समाज में अराजकता फैलाने और फर्जी संगठनों की आड़ में अपराध को बढ़ावा देने का प्रयास था।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस प्रकार की घटनाएं समाज के लिए घातक हैं और इन पर कठोर दंड आवश्यक है, ताकि ऐसी प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके।
सजा पाने वाले सभी आरोपी अब 7 वर्ष की सश्रम सजा काटेंगे, जो उन्हें न्यायिक हिरासत में बितानी होगी। अदालत के इस फैसले के बाद जिले में कानून व्यवस्था को लेकर आमजन में विश्वास और अपराधियों में भय का माहौल बना है।
