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एक्सक्लूसिव – रायपुर मंत्रालय के शौचालय में प्यून से बर्तन धुलवा रही अफसरशाही

आईएएस अफसर का अर्दली शौचालय में धो रहा चाय के कप, सिर्फ न्यूज़ पेज 13 के पास एक्सक्लूसिव फुटेज


रायपुर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत अभियान’ और छत्तीसगढ़ में ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ के तमाम दावों के बीच रायपुर से सामने आई ये तस्वीरें अफसरशाही की संवेदनहीनता और सिस्टम की पोल खोल रही हैं। मामला राज्य के वीवीआईपी मंत्रालय का है, जहां करोड़ों रुपये की लागत से बने परिसर में एक आईएएस अधिकारी का प्यून शौचालय में चाय के बर्तन धोता नजर आया और ये कोई अंडरकवर वीडियो नहीं, बल्कि खुलेआम हुई यह रोज़ की कवायद है।

शौचालय बना ‘डिशवॉशिंग ज़ोन’

जिस वॉशबेसिन का उपयोग हाथ धोने के लिए होना चाहिए, वहां बड़ी तन्मयता से प्यून चाय के कप और प्लेट मांजता दिख रहा है। उसी मंत्रालय में अधिकारी इन्हीं कपों में चाय की चुस्कियां भरते हैं। इससे स्वच्छता और स्वास्थ्य दोनों पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

वीडियो में प्यून का बड़ा खुलासा

वीडियो में प्यून खुद स्वीकार करता है कि बर्तन धोने के लिए कोई अलग जगह नहीं है, इसलिए मजबूरी में यही करना पड़ता है। उसने बताया कि ये उसका नियमित काम है और इसे लेकर कभी किसी ने सवाल नहीं उठाया।

क्या DPR में नहीं था बर्तन धोने का प्रावधान?

अब सवाल उठता है कि जब मंत्रालय का निर्माण करोड़ों की लागत से हुआ, तो क्या DPR (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में प्यून या कर्मचारियों के लिए बर्तन धोने की कोई जगह ही नहीं बनाई गई? या फिर यह व्यवस्था कागजों में बनाकर घोटाले की भेंट चढ़ गई?

स्वच्छता मिशन की उड़ती धज्जियां

ऐसे समय में जब केंद्र और राज्य सरकार स्वच्छता को प्राथमिकता बता रही है, मंत्रालय जैसा वीवीआईपी परिसर भी यदि सफाई के बुनियादी नियमों को नहीं निभा पा रहा, तो फिर बाकी जगहों की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

अब बड़ा सवाल

क्या मंत्रालय में शौचालय ही एकमात्र विकल्प बचा है बर्तन धोने के लिए?

क्या अधिकारियों को इसका पता नहीं?

और यदि है, तो कार्रवाई कब होगी?

न्यूज़ पेज 13 के पास वीडियो एक्सक्लूसिव है, जो न सिर्फ अफसरों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि करोड़ों की योजनाओं के ज़मीनी सच को भी बेनकाब करता है।

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