रायपुर, 15 जुलाई 2025
छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का दूसरा दिन कई महत्वपूर्ण प्रश्नों, तीखी बहसों और जोरदार नारेबाजी के नाम रहा। प्रश्नकाल से लेकर शून्यकाल तक सदन में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच कई विषयों पर टकराव की स्थिति बनी रही। कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR), जल जीवन मिशन, और अवैध रेत खनन जैसे गंभीर मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया, वहीं सरकार ने जवाबों के साथ अपने कार्यों का बचाव किया।
CSR फंड पर भाजपा विधायक का सवाल, विपक्ष का आरोप – पूरे प्रदेश में घालमेल
सत्र की शुरुआत में भाजपा विधायक किरण देव सिंह ने बस्तर संभाग के उद्योगों से प्राप्त सीएसआर मद की राशि और उसके व्यय की जानकारी मांगी। उन्होंने सवाल किया कि जगदलपुर क्षेत्र में किन कार्यों को CSR फंड से स्वीकृति दी गई है। इस मुद्दे को लेकर सदन में तीखी नोकझोंक हुई।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेशभर में CSR फंड में घालमेल चल रहा है और कई क्षेत्रों में कोई काम स्वीकृत नहीं हो रहे। विधायक किरण देव सिंह ने स्पष्ट कहा कि “मेरे क्षेत्र में आज तक कोई CSR फंड का काम स्वीकृत नहीं हुआ है।”
नेता प्रतिपक्ष ने सवाल किया कि कुल कितनी राशि उद्योगों से ली गई और इसका कितना प्रतिशत व्यय किया गया। इस पर मंत्री ने बताया कि कंपनियों को अपने मुनाफे का 2 प्रतिशत CSR मद में खर्च करने की अनुमति है। नेता प्रतिपक्ष ने फंड के दुरुपयोग की आशंका जताते हुए जांच कराने की मांग की।
जल जीवन मिशन बना हंगामे की जड़, भूपेश बघेल का आरोप – योजना पूरी तरह फेल
प्रश्नकाल में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जल जीवन मिशन को लेकर सरकार से तीखे सवाल पूछे। उन्होंने वर्ष 2022-23 से 2024-25 तक व्यय, लाभार्थियों की संख्या और जिलों में राशि के वितरण को लेकर जानकारी मांगी।
भूपेश बघेल ने कहा कि “2024-25 में बहुत कम राशि खर्च हुई है, जबकि 31 लाख घरों तक ही नलजल सुविधा पहुंची है, जो लक्ष्य से बहुत कम है।” उन्होंने आरोप लगाया कि जिलों में राशि के वितरण में असमानता है और कई जिलों को पर्याप्त फंड नहीं दिए गए।
इस पर जल संसाधन मंत्री अरुण साव ने कहा कि योजना 2024 में पूरी होनी थी लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे दो साल देरी से शुरू किया। उन्होंने बताया कि अब तक 15,045 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं और 29,000 में से 5,017 योजनाओं के माध्यम से जल आपूर्ति शुरू हुई है। साथ ही सरकार ने 12,000 से अधिक नलकूपों की खुदाई कर कार्य में तेजी लाई है।
इस मुद्दे पर सदन में देवेंद्र यादव और अजय चंद्राकर के बीच तीखी बहस हो गई, जो तू-तू मैं-मैं और नारेबाजी में बदल गई। स्पीकर डॉ. रमन सिंह को हस्तक्षेप कर कहना पड़ा कि “प्रश्नकाल को बाधित न करें” और सभी सदस्यों को अनुशासन में रहने की नसीहत दी।
शून्यकाल में अवैध रेत खनन का मुद्दा, विपक्ष ने सरकार पर लगाया माफियाओं से सांठगांठ का आरोप
शून्यकाल में गृह विभाग से संबंधित अवैध रेत खनन का मुद्दा विपक्ष की ओर से जोरदार ढंग से उठाया गया। चरणदास महंत ने कहा कि “प्रदेश भर में माइनिंग और पुलिस की मिलीभगत से खुलेआम रेत का अवैध उत्खनन चल रहा है। जिंदा आदमियों पर ट्रक चढ़ाए जा रहे हैं, गोलियां चल रही हैं।“
उमेश पटेल ने आरोप लगाया कि जब माइनिंग अफसरों से कार्रवाई की बात की जाती है, तो जवाब मिलता है कि “ऊपर से आदेश है, इन्हें मत पकड़ो।” उन्होंने कहा कि रायगढ़ जिले की मान नदी का कोई किनारा नहीं बचा है, जहां अवैध उत्खनन नहीं हो रहा।
देवेंद्र यादव ने कहा कि अब पत्रकार भी सुरक्षित नहीं हैं, और यह कार्य पूरी मिलीभगत से किया जा रहा है। दिलीप लहरिया ने कहा कि कई नदियों में बारिश के बावजूद रेत की भरपाई नहीं हो पा रही और रेत माफिया चाकूबाजी तक कर रहे हैं। रामकुमार यादव और भूपेश बघेल ने भी इस पर गंभीर चिंता जताते हुए चर्चा की मांग की।
भूपेश बघेल ने कहा कि “रेत माफिया सरकार को जेब में रखकर नदियों को तबाह कर रहे हैं। गोलियां चल रही हैं, यह कानून व्यवस्था और पर्यावरण दोनों का गंभीर विषय है।”
हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने इस विषय पर स्थगन सूचना मिलने की पुष्टि की, लेकिन चर्चा की अनुमति नहीं दी। इसके विरोध में विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।
सत्ता और विपक्ष आमने-सामने, जनता से जुड़े सवालों पर तीखे तेवर
सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही ने स्पष्ट कर दिया कि आगामी दिनों में सदन में बहसें और तीखी होंगी। विपक्ष जनता से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन और संसाधनों के दुरुपयोग को लेकर हमलावर है, वहीं सत्ता पक्ष अपने आंकड़ों और तर्कों से बचाव कर रहा है। फिलहाल CSR, जल जीवन मिशन और अवैध रेत उत्खनन जैसे विषय विधानसभा की बहस का केंद्र बने हुए हैं।
