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बांग्लादेशी कहकर हिरासत में लिए गए भारतीय मजदूर, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सरकार से दो हफ्ते में मांगा जवाब



कोंडागांव में पश्चिम बंगाल के 12 मजदूरों को अवैध रूप से जेल भेजा गया था, बाद में भारतीय नागरिकता की पुष्टि पर रिहा किया गया

बिलासपुर

कोंडागांव जिले से मानवाधिकारों को झकझोर देने वाला एक मामला सामने आया है। यहां पश्चिम बंगाल से आए 12 निर्माण मजदूरों को स्थानीय पुलिस ने बिना किसी पुख्ता जांच के “बांग्लादेशी घुसपैठिया” बताते हुए हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था। अब इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

यह मामला 29 जून 2025 से शुरू हुआ, जब पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर और मुर्शिदाबाद जिलों से 12 मजदूर कोंडागांव पहुंचे थे। ये सभी मजदूर एक सरकारी स्कूल भवन निर्माण कार्य में ठेकेदार के माध्यम से लगे थे। 12 जुलाई को पुलिस ने अचानक निर्माण स्थल पर दबिश दी और सभी मजदूरों को साइट सुपरवाइजर सहित एक वाहन में बैठाकर अपने साथ ले गई।

मारपीट, गाली-गलौज और उत्पीड़न का आरोप
मजदूरों का आरोप है कि उन्हें पहले साइबर सेल ले जाया गया, जहां उनके साथ मारपीट की गई, गाली-गलौज की गई और उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उन्होंने अपने आधार कार्ड मौके पर ही दिखाए, लेकिन पुलिस ने उन्हें बांग्लादेशी बताकर अपमानित किया।

भारतीय नागरिकता की पुष्टि के बाद रिहाई
करीब एक सप्ताह जेल में रहने के बाद प्रशासन ने जब जांच की तो मजदूरों की नागरिकता भारतीय पाई गई। इसके बाद सभी को रिहा कर दिया गया। हालांकि, इस दौरान जो अपमान और उत्पीड़न हुआ, उसने मजदूरों की गरिमा और मानवाधिकारों को गहरे रूप से चोट पहुंचाई।

हाईकोर्ट में याचिका दाखिल
मजदूरों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जिसमें मांग की गई है कि –

  • गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया जाए
  • प्रत्येक मजदूर को ₹1 लाख का मुआवजा दिया जाए
  • राज्य में उनके सुरक्षित कार्य और जीवन की गारंटी सुनिश्चित की जाए

हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए राज्य सरकार, पुलिस प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पूछा है कि बिना उचित जांच के भारतीय नागरिकों को हिरासत में क्यों लिया गया। न्यायालय ने दो सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।


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