** उप चुनाव में आम जनता रही उदासीन, महज 56% का औसत मतदान
चिरमिरी / चिरमिरी नगर पालिक निगम के बरतुंगा में आने वाले वार्ड- 25 स्वामी विवेकानंद वार्ड में आज उप चुनाव सम्पन्न हो गया। इस उपचुनाव में वार्ड की जनता ने कोई खास दिलचस्पी नही दिखाई जिसके कारण सायं 5 बजे तक केवल 56 प्रतिशत का औसत मतदान हुआ। लेकिन यह उप चुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है जिसके कारण पुरे क्षेत्र के लोगों की नजर इस उप चुनाव पर गड़ी हुई है। इस चुनाव में जहां भाजपा को अपना गढ़ बचाने की चिंता है। वही कांग्रेस के नवनियुक्त ब्लाक अध्यक्ष सुभाष कश्यप की यह पहली चुनावी अग्निपरीक्षा है। इस कारण से आज पूरे दिन दोनों पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। अब कौन कितना सफल हुआ यह 27 जून को मतगणना के बाद ही पता चलेगा।
ज्ञात हो कि बरतुंगा का वार्ड-25 विवेकानंद वार्ड अब तक भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। पिछले दो नगरीय निकाय के चुनाव में यहां भाजपा का कब्जा रहा है। इससे पूर्व भाजपा के कद्दावर नेता रघुनन्दन यादव की पत्नी स्व. कामिनी यादव यहां से पार्षद रही है जिनके आकस्मिक निधन के बाद यह उप चुनाव हो रहा है। उससे पूर्व खुद रघुनंदन यादव यहां से पार्षद रह चुके है। इस बार भी रघुनंदन यादव की बहू चांदनी यादव यहां से भाजपा प्रत्याशी है। यही कारण है कि भाजपा ने इस सीट को बचाने के लिए सुबह से ही अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। भाजपा के चिरिमिरी मंडल अध्यक्ष द्वारिका गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष अयाजुद्दीन सिद्दीकी, सभापति कीर्ति बासो राउल, एल्डरमैन बदरू जमा अंसारी, सभाशंकर, नरेंद्र साहू सहित पूरी टीम बरतुंगा में मौजूद रही।
वहीं कांग्रेस के नवनियुक्त ब्लाक अध्यक्ष सुभाष कश्यप के लिए भी यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। क्योंकि उनके ब्लाक अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला चुनाव है जिसमे उन्हें अपनी संगठनक्षमता और कार्यशैली दिखाना है। इस वजह से कांग्रेस ने भी आज सुबह से अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। सुबह से ही ब्लाक अध्यक्ष सुभाष कश्यप के साथ शिवांश जैन, राहुल भाई पटेल, संदीप सोनवानी, सुधीर अग्रवाल सहित पूरी टीम मौजूद थी।
इसके साथ ही यहां यह बताना भी उचित होगा कि बरतुंगा का यह वार्ड पूरी तरह से कालरी कर्मचारियों का क्षेत्र है। लेकिन इस उप चुनाव में भाजपा के साथ केवल बीएमएस खड़ी थी जबकि कांग्रेस के साथ एटक, इंटक, सीटू और एचएमएस थी। एचएमएस के क्षेत्रीय महामंत्री व कद्दावर श्रमिक नेता बजरंगी शाही खुद पुरे दिन कांग्रेस के पक्ष में वोट दिलाने के लिए मौजूद रहे। यह नया समीकरण क्या गुल खिलायेगा, यह तो 27 जून को मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा।
