Advertisement Carousel

घर के चिराग का अंतिम संस्कार भी पूरे संस्कार से नहीं दिया होने, मृत युवक के शव को लावारिश समझ अस्पताल प्रबंधन ने दफनाया

कोरिया – अम्बिकापुर / अम्बिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल मे इंसानो को लावारिश समझकर उनको दफना दिया जाता है। फिर चाहे आप हल्ला कीजिए या तमाशा आपकी कौन सुनने वाला है। ऐसा ही सोचने पर मजबूर कर देने वाला मामला आया कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ से जहाँ मरीज की मौत के बाद उसे लावारिश समझ कर दफना दिया गया था। मामले का खुसाला तब हुआ जब मृतक युवक का भाई अपनी भाई से मिलने अस्पताल पहुंचा।

अम्बिकापुर का मेडिकल कालेज अस्पताल वैसे कहने के लिए तो आदिवासी बाहुल्य सरगुजा संभाग मे बेहतर स्वास्थ सेवाओ के लिए शुरु किया गया है। लेकिन यहां के बेपरवाह प्रबंधको की वजह से धीरे – धीरे आम लोंगो का सरकारी स्वास्थ व्यवस्थाओ से मोह भंग होता जा रहा है और हो भी क्यो ना।

दरअसल बीते 16 जून को मनेन्द्रगढ के 35 वर्षीय युवक को मनेन्द्रगढ से रिफर कर अम्बिकापुर मेडिकल कालेज भेजा गया था। जिसके बाद उसको अस्पताल के मेडिकल वार्ड मे भर्ती करा कर परिजन घर वापस चले गए। लेकिन तभी 21 जून की शाम उसकी मौत हो गई और फिर बिना कुछ जाने अस्पताल प्रबंधन ने उसे लावारिश मानकर अगले दिन 23 जून को उसकी सूचना अस्पताल के पुलिस सहायता केन्द्र मे दी और फिर उसे दफना दिया। लेकिन असल में वो लावारिश नही था। इस बात का खुलासा तब हुआ जब उसका मृतक का बडा भाई उससे मिलने अस्पताल पहुंचा।

मृतक का भाई जब अपने भाई से मिलने पहुंचा तो उसने इस बात से अचरज किया कि उसके भाई के शव को लावारिश कैसे मान लिया गया। जबकि जिस बेड मे उसे भर्ती कराया गया था। उस बेड में उसका मोबाईल और वो तमाम सबूत रखे थे। जिससे उसकी पहचान हो सकती थी।

खैर इस बात की जानकारी लेने जब मेडिकल कालेज प्रबंधको से मिलना चाहा तो रविवार की छुट्टी के कारण वो अस्पातल मे नही है। तब अस्पताल के पुलिस सहायता केन्द्र के प्रभारी से इस संबध मे जानकारी ली। तो उन्होने कहा कि अस्पताल प्रबंधन ने बताया था कि शव लावारिश है। अम्बिकापुर मेडिकल कालेज प्रबंधन की इस लापरवाही से मृत युवक के परिजन उसका अंतिम संस्कार भी नही कर पाए।

अब इस मामले ने कई सवालों को जन्म दिया है इस तरह की घटना के लिए आखिर कौन दोषी है। ये तो कानून की किताब मे लिखा ही होगा। लेकिन सामजिकता तो ये बोलती है की अगर अस्पताल प्रबंधन मृत युवक के बिस्तर के बगल मे उसकी पहचान जानने की कोशिश कर लेता तो फिर शायद एक घर के चिराग का अंतिम संस्कार भी पूरे संस्कार से हो सकता था।

error: Content is protected !!