हमर छत्तीसगढ़ के जम्मो सियान, दाई-दीदी, संगी-जहुंरिया, नोनी-बाबू मन ल सुराजी तिहार के पावन बेरा म गाड़ा-गाड़ा बधाई।
मैं आज उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करता हूं, जिन्होंने भारतमाता को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए एक सदी से अधिक लम्बी लड़ाई लड़ी। अमर शहीद गैंदसिंह, शहीद वीर नारायण सिंह, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, रानी लक्ष्मी बाई और हर जाति-धर्म के हजारों लोगों के बलिदान से देश आजाद हुआ था। हजारों लोगों ने आजादी की लड़ाई से लेकर भारत के नवनिर्माण तक महती भूमिका निभाई थी।
आज का दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुुलकलाम आजाद से लेकर छत्तीसगढ़ के वीर गुण्डाधूर, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, बैरिस्टर छेदीलाल, यतियतन लाल, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान,हनुमान सिंह, रोहिणी बाई परगनिहा, केकती बाई बघेल, श्रीमती बेला बाई जैसे अनेक प्रसिद्ध तथा असंख्य गुमनाम कर्मयोद्धाओं को याद करने और उनको नमन करने का है। हमें इन स्वतंत्रता सेनानियों का वंशज होने पर गर्व है। मैं यह निवेदन करता हूं कि उस पीढ़ी के जो लोग आज हमारे बीच हैं, उनका आशीर्वाद हमें मिले। मैं युवाओं से, बच्चों से कहूंगा कि वे अपने गांव, शहर में रहने वाले स्वतंत्रता सेनानियों से मिलें और स्वयं को उस गरिमामय पीढ़ी से जोड़ें।
भाइयों और बहनों, महान नेताओं की सोच, उनके विचार और उनके कार्यों को याद रखकर ही भारत को शिखर पर पहुंचाया जा सकता है। विभिन्न समुदायों, जातियों, धर्मों और समाजों की भिन्नताओं के बीच भी एकता की बदौलत भारत को दुनिया के आदर्श लोकतंत्र और महान गणतंत्र का सम्मान मिला है। इस एकजुटता को बचाने से ही देश बचेगा। विरासत और विकास के संबंधों को बचाना होगा। स्वतंत्रता की 72वीं सालगिरह के सोपान पर खड़े होकर, हमें देखना है कि जब 75वीं सालगिरह का उत्सव मनाएंगे, तब हम राष्ट्र निर्माताओं के आदर्शों, मूल्यों की कसौटियों पर कहां खड़े होंगे।
महात्मा गांधी ने कहा था-‘भारत ने राजनीतिक आजादी तो प्राप्त कर ली है, लेकिन उसे सामाजिक-आर्थिक और नैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करना बाकी है।’
जिन शक्तियों ने बापू को आजादी के चंद महीनों में हमसे दूर कर दिया था, वही शक्तियां बापू के सपनों को, भारत से दूर करना चाहती हैं। जनता के दिल-दिमाग को उनकी बुनियादी जरूरतों और भावनात्मक मुद्दों में उलझा दिया जाता है, ऐसे षडयंत्रों को गहराई से समझने की जरूरत है, तभी हम आजादी का मान रख पाएंगे।
हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, किसान, ग्रामीण, महिलाएं, कामगार, छोटे व्यापारी, युवा और वह नई पीढ़ी है, जिसके कंधे पर कल प्रदेश और देश सम्हालने की जिम्मेदारी होगी। सब ने यह सोचा था कि नया राज्य बनने के बाद अपने छत्तीसगढ़ में उन्हें भरपूर अवसर, संसाधन और भागीदारी मिलेगी, लेकिन विगत डेढ़ दशकों में वे इन तमाम चीजों से वंचित रहे। हमारी सरकार ने आते ही छत्तीसगढ़ महतारी की सबसे बड़ी उम्मीद, धान का सम्मानजनक दाम देने का फैसला किया। 25 सौ रूपए प्रति क्विंटल धान, समस्त किसानों के अल्पकालिक कृषि ऋणों की माफी, सिंचाई कर की माफी, वन टाइम सेटलमेंट से किसानों को नए सिरे से खेती के लिए ऋण लेने की सुविधा दिलाने जैसे ठोस कदम उठाए गए हैं। किसी भी राज्य के इतिहास में सरकार की पहल से छह महीनों में किसानों को इतनी बड़ी राशि नहीं मिली होगी। शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर इस बार किसानों को
सर्वाधिक ऋण देने का लक्ष्य भी पूरा करेंगे। राज्य शासन द्वारा विकास योजनाओं के लिए किसानों की भूमि के अधिग्रहण पर मुआवजा राशि, दोगुना से बढ़कर चारगुना करने का निर्णय लिया गया है। इस तरह हमने किसानों को आर्थिक आजादी देने के सार्थक कदम उठाए हैं।
हमारे महान संविधान निर्माताओं ने भारत को ‘‘को-ऑपरेटिव फेडेरेलिज्म’’ अर्थात् सहकारी संघवाद की सौगात दी है। जिसमें केन्द्र और राज्यों के संबंध परिभाषित हैं। यह डॉ. बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर का आशीर्वाद है। इसी आस्था के चलते हमारी सरकार, केन्द्र से मिलने वाली हर योजना का बेहतर इस्तेमाल अपने राज्य के किसानों तथा अन्य तबकों के लिए करेगी। प्रदेश की जनता के हकों और हितों के लिए केन्द्र सरकार के समक्ष अपनी मांगे पुरजोर तरीके से रखना हमारी जिम्मेदारी है और हक भी है। भले ही अभी उसका प्रतिफल नहीं मिला और धान के समर्थन मूल्य में मात्र 65 रू. प्रति क्ंिवटल बढ़ोत्तरी की खानापूर्ति हो गई, लेकिन हर स्थिति में हम किसानों को 25सौ रू. प्रति क्विंटल की दर से धान का दाम दिलाएंगे और जनता के सशक्तीकरण के हर संभव उपाय करते रहेंगे।
हमने अपनी विरासतों के साथ आगे बढ़ने की नीति अपनायी है, जिसकी मिसाल है ’नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ के माध्यम से गांवों की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को नया जीवन देने की पहल। अल्प समय में ही हमने ‘नरवा’ विकास के लिए 1 हजार 28 नालों का चयन किया है। इसके अलावा जल संसाधन विकास की नियमित प्रक्रिया से भी लगभग 1 हजार करोड़ रू. लागत की 223 योजनाओं को गति देने के लिए निविदा प्रक्रिया प्रारंभ की गई है।
‘गरवा’ यानी पशुधन की समृद्धि और योगदान के लिए हम हर ग्राम पंचायत में 3 से 5 एकड़ अविवादित जमीन गौठान के लिए सुरक्षित करवा रहे हैं। लगभग 19 सौ गौठानों के निर्माण के क्रम में एक हजार से अधिक गौठान का लोकार्पण किया जा चुका है। एक हजार 560 चारागाह के काम भी स्वीकृत किए गए है। गौठान हमारी ग्रामीण संस्कृति के केन्द्र हुआ करते थे लेकिन अब गांवों के आर्थिक विकास के केन्द्र भी बनेंगे।
घोषणा-1
’गौठान की सुचारू व्यवस्था के लिए निश्चित तौर पर समाज की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। हमारी सरकार की तरफ से गौठान समितियों को प्रतिमाह 10 हजार रूपए की सहायता दी जाएगी, जिससे गौठान में काम करने वाले चरवाहों को मानदेय देने सहित अन्य इंतजाम किए जाएंगे।’
‘घुरवा’ को हम गांवों की स्वच्छता और पर्यावरण से जोड़ते हुए ऐसे उत्पादों का केन्द्र भी बनाएंगे, जिनका अपना आर्थिक महत्व हो। एक लाख 34 हजार से अधिक ‘बाड़ियों’ का सर्वेक्षण किया जा चुका है, जिनके उन्नयन से घर-घर में पोषक तत्व भी उपलब्ध होंगे और आय बढ़ाने का साधन भी। हमारी योजनाएं वास्तव में गरीबी से आजादी का आह्वान हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) हमारी विचारधारा की प्रतिनिधि योजना है। मैं अपील करता हूं कि इस योजना से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया जाए और भुगतान में किसी तरह की कोताही न हो।
अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति को बराबरी से विकास के अवसर और गरिमापूर्ण जीवनयापन की सुविधाएं मिलें, इसके लिए हमने लीक से हटकर बड़े कदम उठाए हैं। लोहण्डीगुड़ा में उद्योग लगाने के नाम पर ली गई किसानों की जमीनों पर न तो उद्योग लगा, न आदर्श पुनर्वास नीति का पालन हुआ, न किसानों की कोई सुनवाई हो रही थी। हमने आते ही जमीन वापसी का निर्णय लिया और इस साल 26 जनवरी से जो काम शुरू किया गया था, वह अब पूरा हो चुका है।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि बरसों से वन अधिकार पट्टे देने का ढिंढोरा पीटा जा रहा था पर हमारे अबूझमाड़ के निवासियों को इस प्रक्रिया से दूर रखा गया था। हमने अबूझमाड़ियों को उनका हक दिलाने की विशेष पहल की है। ‘अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम’ के तहत जिन आवेदनों को खारिज कर दिया गया था, उसकी पुनः समीक्षा की जा रही है ताकि पात्र हितग्राहियों को न्याय मिल सके। वहीं सामुदायिक वन अधिकार देने का महाअभियान शुरु किया गया है जिसके तहत् कोंडागाँव जिले के 9 गाँवों मंे 8 हजार 220 एकड़ जमीन के पट्टे जारी किए गए हैं। आदिवासी बहुल अंचलों की समस्याओं के शीघ्र समाधान हेतु प्राधिकरणों की संख्या 2 से बढ़ाकर 3 कर दी गई है। साथ ही नवगठित बस्तर, सरगुजा, मध्यक्षेत्र विकास प्राधिकरणों का अध्यक्ष पद मुख्यमंत्री के स्थान पर स्थानीय विधायक को दिया गया है व दो स्थानीय उपाध्यक्ष भी बनाए गए हैं।
बस्तर की जीवनदायिनी नदी, इन्द्रावती खुद संकट में है और अपने जीवन की सुरक्षा हेतु बरसों से गुहार लगा रही है। यह गुहार आखिर हमारी सरकार ने सुनी और ‘इन्द्रावती विकास प्राधिकरण’ के गठन का निर्णय लिया है। महानदी, शिवनाथ, केलो, हसदेव बांगो, खारून को प्रदूषण से बचाने का काम स्थानीय निकायों के माध्यम से किया जाएगा।
बस्तर के अनेक अनुसूचित जनजाति परिवार आपराधिक मुकदमों के कारण सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित रहे हैं। हमारी सरकार ने इन्हें राहत दिलाने के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित कर कार्यवाही शुरू की है।
प्री. मैट्रिक छात्रावास, आवासीय विद्यालयों तथा आश्रमों में निवासरत विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति को बढ़ाकर एक हजार रु. प्रतिमाह कर दिया गया है। पहले जाति प्रमाण-पत्र बनाना किसी प्रताड़ना से कम नहीं था, अब हमने नई व्यवस्था कर दी है कि बच्चे के जन्म के साथ पिता के जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर बच्चे को भी जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा।
स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता देने के लिए बस्तर तथा सरगुजा में ‘कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड’ का गठन किया जा रहा है। बस्तर तथा सरगुजा संभाग की तरह बिलासपुर संभाग में भी तृतीय तथा चतुर्थ वर्ग के पदों पर भर्ती के लिए जिला संवर्ग की व्यवस्था करते हुए इनकी समय-सीमा भी बढ़ाकर 31 दिसम्बर 2021 कर दी गई है। राज्य की अत्यंत पिछड़ी जनजातियों के युवाओं को शासकीय सेवा में सीधी भर्ती का लाभ दिया जाएगा।
घोषणा-2.
‘मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी है कि हमारे प्रदेश का अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग तबका काफी शांतिप्रिय ढंग से अपने अधिकारों की बात करता रहा है। उनके संविधान सम्मत अधिकारों की रक्षा करना हमारा कर्त्तव्य है। इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए आज मैं यह घोषणा करता हूं कि अब प्रदेश निवासी अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाएगा।’
वन क्षेत्रों में आजीविका के लिए तेन्दूपत्ता संग्रहण एक प्रमुख
माध्यम है, इसलिए हमने तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 25 सौ रू. प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4 हजार रु. कर दी है। वर्ष 2019 में वितरित किया गया संग्रहण पारिश्रमिक विगत वर्ष की तुलना में लगभग डेढ़ गुना से अधिक है। हमने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 15 कर दी है तथा इस पर भी बोनस देने की व्यवस्था की गई है।
घोषणा-3.
‘छत्तीसगढ़ में हाथियों की आवा-जाही से कई बार जान-माल की हानि होती है। इसकी एक बड़ी वजह है, हाथियों को उनकी पसंदीदा जगह पर रहने की सुविधा नहीं मिल पाना भी है। इस दिशा में भी हमने गंभीरता से विचार किया है और आज मैं ‘लेमरू एलीफेंट रिजर्व’ की घोषणा करता हूं। यह दुनिया में अपनी तरह का पहला ‘एलीफेंट रिजर्व’ होगा, जहां हाथियों का स्थाई ठिकाना बन जाने से उनकी अन्य स्थानों पर आवा-जाही तथा इससे होने वाले नुकसान पर भी अंकुश लगेगा और जैव विविधता तथा वन्य प्राणी की दिशा में प्रदेश का योगदान दर्ज होगा।
भाइयों और बहनों, हमारा मानना है कि आज दुनिया में किसी भी जंग से ज्यादा खतरा कुपोषण से है। वास्तव में कुपोषण नई पीढ़ियों की बुनियाद पर हमला करता है और यदि हमारे भविष्य के नागरिक कुपोषित, कमजोर और बीमार होंगे तो उसका नकारात्मक असर सम्पूर्ण उत्पादकता पर पड़ेगा। बहुत चाैंकाने वाले तथ्यों का खुलासा नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट से हुआ है, जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ में 5 साल से कम उम्र के 37.60 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से तथा 15 से 49 वर्ष की 41.50 प्रतिशत माताएं एनीमिया से पीड़ित हैं।
हमने आदिवासी अंचलों में प्रोटीनयुक्त पोषण के लिए चना, फल, अण्डा आदि सामग्री वैकल्पिक रूप से उपलब्ध कराने से नई शुरूआत की, लेकिन वास्तव में राज्य को कुपोषण एवं एनीमिया की पीड़ा से मुक्ति दिलाने के लिए निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है। फिलहाल बस्तर, दंतेवाड़ा, कोरबा, सरगुजा, कोरिया एवं कुछ अन्य जिलों की चुनिन्दा पंचायतों में ’पायलट प्रोजेक्ट’ शुरू किया गया है, जिसके तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में चिन्हांकित सूची के अनुसार प्रतिदिन पौष्टिक भोजन निःशुल्क दिया जा रहा है।
अब पूरी तैयारी के साथ 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती के अवसर पर यह महायज्ञ पूरे प्रदेश में शुरू किया जाएगा। अभियान हेतु आवश्यक धनराशि डी.एम.एफ., सी.एस.आर., पंचायतों की मूलभूत मद की राशि अथवा विकास प्राधिकरणों में उपलब्ध आवंटन से की जा सकेगी। इस पुनीत कार्य में जिलों में कार्यरत प्रतिष्ठित चेरिटेबल संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों, एन.जी.ओ., मीडिया समूहों एवं अन्य समर्थ लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
बहनों, बेटियों तथा नवजात शिशुओं की देखभाल में आंगनवाड़ी कार्यकताओं और सहायिकाओं का योगदान सराहनीय होता है अतः हमने इनका मानदेय बढ़ाने का निर्णय लिया है। दस हजार आंगनवाड़ी केन्द्रों को नर्सरी स्कूल के रूप में विकसित करने हेतु कार्यवाही शुरू कर दी है। दो हजार आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की मंजूरी दी गई है। सुपोषण के लिए मुख्यमंत्री अमृत योजना, महतारी जतन योजना, सुपोषण चौपाल आदि योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन किया जाएगा।
जनता को विभिन्न लोकतांत्रिक और मौलिक अधिकारों से सशक्त करना भी हमारी विरासत है। भारत में आज जनता को जितने भी संविधान सम्मत अधिकार प्राप्त हैं, वे हमारे महान नेताओं की देन हैं। हमारी सरकार पंचायतों, नगरीय-निकायों के सशक्तीकरण के साथ ही शिक्षा, सूचना, रोजगार, खाद्यान्न सुरक्षा जैसे तमाम अधिकारों को पुष्ट करेगी। इस दिशा में हमने न सिर्फ 35 किलो चावल देने का वादा निभाया है, बल्कि इसे युक्तियुक्त करते हुए छठवें सदस्य से प्रति सदस्य अतिरिक्त 7 किलो चावल, एपीएल परिवारों को भी 10 रू. किलो में चावल प्रदाय करने का निर्णय लिया है। पीडीएस से राशनकार्डधारी परिवारों को चावल, शक्कर, नमक, चना, केरोसिन के साथ-साथ बस्तर संभाग में अंत्योदय एवं प्राथमिकता वाले परिवारों को हर माह दो किलो गुड़ देने का निर्णय लिया है। लोगों को पांच वर्ष पुराने राशनकार्ड सहेजने में होने वाली तकलीफों को देखते हुए 58 लाख 54 हजार राशनकार्डों के नवीनीकरण का अभियान चलाया गया है।
बी.पी.एल. परिवारों को बेटियों के हाथ पीले करने में सुविधा हो, इसके लिए हमने ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना’ में सहायता का दायरा बढ़ाते हुए 15 हजार रू. के स्थान पर 25 हजार रू. कर दिया है। ‘निःशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना’ के अंतर्गत दी जाने वाली सहायता राशि 50 हजार रू. से बढ़ाकर एक लाख रू. कर दी गई है। ‘मातृ वंदना योजना’ के तहत गर्भवती और धात्री माताओं को पांच हजार रू. की सहायता राशि दी जा रही है।
नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा के साथ सारी सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारी जिम्मेदारी है जिससे हम सक्षम और समर्थ भावी नागरिक तैयार करने का कर्तव्य निभा सकें, इसलिए हमने स्कूल स्तर से बदलाव की शुरूआत की है। दो दशक बाद 15 हजार नियमित शिक्षकों की भर्ती की जा रही है। शिक्षा को रूचिकर बनाने के लिए नई तकनीकों का उपयोग शुरू किया गया है, जिसे हमने ’’ब्लैक बोर्ड से की बोर्ड की ओर’’ अभियान का नाम दिया है।
महाविद्यालयों में शैक्षणिक तथा गैर शैक्षणिक पदों पर बड़ी संख्या में भर्ती की जा रही है, जिसके विज्ञापन भी जारी हो चुके हैं। जिन स्थानों पर कॉलेज नहीं थे, वहां नए कॉलेज खोले जा रहे हैं। बालोद में कन्या महाविद्यालय, दंतेवाड़ा, कोण्डागांव, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, महासमुंद एवं कोरबा में मॉडल डिग्री कॉलेज, ग्राम मर्रा (जिला-दुर्ग), साजा (जिला-बेमेतरा) में कृषि महाविद्यालय खोले जाएंगे। इसी शैक्षणिक सत्र से 14 नए फार्मेसी महाविद्यालय एवं एक ‘डिप्लोमा फाइन आर्ट एण्ड कम्यूनिकेशन’ संस्था प्रारंभ की गई है। देश में पहली बार ट्रिपल आईटी, नवा रायपुर में ’डाटा साइंस एण्ड आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस’ पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।
प्रदेश में खेल प्रतिभाओं को उचित प्रशिक्षण देकर तराशने की अपार संभावनाएं है, लेकिन सही पहल व संस्था के अभाव से प्रतिभाओं की चमक अपने अंचल में ही सिमट कर रह जाती थी। अब हमने ’खेल प्राधिकरण’, अलग-अलग अंचलों की विशेषताओं के
आधार पर स्पोर्टस स्कूल एवं खेल अकादमी की स्थापना का निर्णय लिया है। प्रदेश में 55 खेल प्रशिक्षकों की भर्ती की जाएगी। बिलासपुर में सिंथेटिक हॉकी मैदान का लोकार्पण किया जा चुका है।
हमने प्रदेश में ‘यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम’ के अंतर्गत सबके स्वास्थ्य की चिंता की है, जिसके लिए विभिन्न स्वास्थ्य इकाइयों का उन्नयन किया जा रहा है। अनेक नई सुविधाएं शुरू की जा रही हैं। नारायणपुर, सुकमा तथा कोण्डागांव में विशेष नवजात गहन चिकित्सा इकाई शुरू की गई है। इस वर्ष 17 मातृ-शिशु अस्पताल शुरू किए जाएंगे।
गर्भवती माताओं को विभिन्न तरह की निःशुल्क जांच की
सुविधा के अलावा विभिन्न मरीजोें के लिए अनेक निःशुल्क सुविधाएं शुरू की जाएंगी, जैसे सिकलसेल की जांच, डायलिसिस, पैथोलॉजी जांच आदि। पं. जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, रायपुर में हृदय रोग के उपचार हेतु ‘स्टेमी मॉडल’ की स्थापना की जाएगी।
‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’ के तहत आदिवासी बहुल अंचलों में स्वास्थ्य जांच, इलाज तथा दवा वितरण की सुविधा का विस्तार किया जा रहा है, जिसका लाभ विशेषकर सुदूर अंचल में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों को मिलेगा।
मैं बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार आने के पहले प्रदेश में विद्युत की उपलब्धता में कमी थी, जिसे विभिन्न प्रयासों से दूर किया गया। विगत माह भारत सरकार के अंतर्गत कार्यरत ‘सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी’ की रिपोर्ट के अनुसार अब छत्तीसगढ़ में विद्युत आपूर्ति की विश्वसनीयता देश में सर्वाधिक हो गई है।
बिजली प्रदाय में सुधार के लिए हमने बड़ा अभियान चलाया है, जिसके कारण सिर्फ 6 माह में अभूतपूर्व कार्य किए गए हैं।
316 नए उपकेन्द्र बनाने का काम तेजी से पूरा करने का निर्णय लिया गया था, जिसमें से 280 उपकेन्द्रों का काम पूरा हो चुका है। पुराने उपकेन्द्रों में 210 नए ट्रांसफार्मर लगाने तथा क्षमता बढ़ाने के काम किए गए हैं। बिजली की ट्रांसमिशन क्षमता सिर्फ छह माह में 5 प्रतिशत से बढ़कर 7 हजार 790 एम.वी.ए. हो गई है, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। सरगुजा में छत्तीसगढ़ की बिजली पहुंचाने और गरियाबंद में कनेक्टिविटी की समस्या हल करने के ऐसे इंतजाम किए गए हैं, जिसका इंतजार बरसों से था। हमारी सरकार ने किसानों को निःशुल्क बिजली देने की योजना जारी रखी है, जिसका लाभ 5 लाख किसानों को मिल रहा है। अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के किसानों को तो पूरी खपत पर बिजली बिल से छूट दी गई है।
छत्तीसगढ़ बिजली उत्पादक प्रदेश है पर इससे रोजगार के बहुत अवसर पैदा नहीं हुए हैं। बिजली की खपत को विकास का पैमाना माना जाता है अतः हम प्रदेश को उत्पादन के साथ अधिक खपत वाला राज्य भी बनाना चाहते हैं ताकि विद्युत विकास का लाभ स्थानीय लोगों को मिले।
छत्तीसगढ़ में पं. जवाहर लाल नेहरू की नीतियों से भिलाई इस्पात संयंत्र, एनटीपीसी, एनएमडीसी, एसईसीएल, बाल्को सहित राज्य के तमाम सार्वजनिक उपक्रम, राज्य विद्युत मण्डल आदि स्थापित हुए। पं. नेहरू की पहल पर शिक्षा के तमाम बड़े केन्द्र जैसे एम्स, आईआईटी, बड़े बांध, बड़ी सड़कें, भारतीय रेल, विमानन सुविधाएं, कृषि विश्वविद्यालय से लेकर परमाणु और अंतरिक्ष अनुसंधान की संस्थाओं के बारे में समुचित जानकारी रखना नई पीढ़ी का कर्त्तव्य है। सोचिए सुई तक न बनाने वाले गुलाम देश ने अपनी विकास यात्रा कहां से शुरू की थी और कैसे शिखर पर पहुंचाकर कमान हमारे हाथों में सौंपी थी। क्या भिलाई इस्पात संयंत्र की तरह सामाजिक- आर्थिक, सामुदायिक, शैक्षिक विकास का कोई मॉडल दूसरा बन पाया है और यदि नहीं तो हमें अपने महान पुरखों के योगदान को कमतर आंकने का क्या हक है।
आज इस पावन अवसर तथा इस पवित्र मंच से मैं संकल्प पूर्वक कहना चाहता हूं कि हम गांधी-नेहरू की विरासत को आगे बढ़ाएंगे। इस दिशा में काम करते हुए सभी तरह की अधोसंरचना का विकास हमारी प्राथमिकता है। राज्य में कृषि और वन उत्पादों में रोजगार की अपार संभावनाओं को देखते हुए 200 फूड पार्क स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 67 विकासखंडों में फूड पार्क की स्थापना हेतु भूमि का चिन्हांकन किया जा चुका है।
सुकमा जिले के सुकमा एवं बस्तर जिले के लोहण्डीगुड़ा विकासखंड के धुरागांव में फूड पार्कों का शिलान्यास भी हो चुका है। सुकमा में ही वस्त्र उद्योग से संबंधित ट्रेनिंग और डिजाइनिंग सेन्टर की स्थापना हो चुकी है। कोंटा तहसील के ग्राम राजपेंटा में ग्रेनाइट आधारित उद्योग की स्थापना की दिशा में कार्य प्रगति पर है। सूक्ष्म और लघु उद्योगों की स्थापना के लिए 7 जिलों में नए औद्योगिक केन्द्रों की स्थापना की कार्यवाही प्रगति पर है। कोण्डागांव में मक्का प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की गई है। वहीं कवर्धा स्थित भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाने में इथेनॉल प्लांट स्थापना की कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है। लखनपुरी जिला कांकेर में नया औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के लिए ऑनलाइन भू-आवंटन किया जा रहा है। श्रम कल्याण की दिशा में बहुप्रतीक्षित सुधार करते हुए हमने ‘छत्तीसगढ़ औद्योगिक नियोजन स्थाई आदेश नियम 1963’ में संशोधन किया है, जिससे राज्य के विभिन्न उपक्रमों, कारखानों, उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों व कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष से बढ़कर 60 वर्ष हो गई है।
छत्तीसगढ़ के उद्योगों का उत्पादन बढ़े तथा राज्य में उत्पादित सामानों को राज्य में बड़ा बाजार मिले, इसके लिए हम जैम पोर्टल के स्थान पर अपना ‘छत्तीसगढ़ ई प्रोक्योरमेंट सिस्टम पोर्टल’ विकसित कर रहे हैं।
प्रदेश के पहुंच विहीन गांवों में सड़क सम्पर्क स्थापित करने के लिए ‘जवाहर सेतु योजना’ के अंतर्गत 100 पुलों के निर्माण की कार्य योजना बनाई गई है। विगत 6 माह में 1547 किलोमीटर सड़कें, 41 बड़े पुलों का निर्माण पूरा किया गया है तथा 110 पुलों का कार्य प्रगति पर है। नक्सल प्रभावित अंचल में 261 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं। अरबों रूपए की लागत से सड़कें, पुल तथा पुलिया बनाने हेतु बहुत से कार्य निविदा प्रक्रिया में है।
मुझे यह कहते हुए खुशी है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के पिछड़े हुए काम को गति देकर इसे ग्रामीण अधोसंरचना का आधार बनाने में हमारी सरकार ने बीते 6 माह में बड़ी उपलब्धि अर्जित की है और देश में अव्वल आए हैं।
मैं मानता हूं कि आवासहीनों को छत देना जरूरी है इसलिए प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन अच्छे ढंग से हो, यह भी हमारी प्राथमिकता है। इस योजना की स्थायी प्रतीक्षा-सूची में जो नाम छूट गए थे, उनको जोड़ने की कार्यवाही सही ढंग से पूरी हो ताकि कोई पात्र परिवार इस योजना के लाभ से वंचित न हो सके।
हमने शहरों को सीमेंट-कांक्रीट का जंगल बनाने के बजाय पर्यावरण सम्मत खुशनुमा रहवास बनाने की दिशा में काम शुरू किया है, जहां नागरिक सुविधाओं की गुणवत्ता पर जोर रहे। विलुप्त होती सांस्कृतिक विरासत ‘पौनी-पसारी’ बाजार प्रणाली को जीवित करने के लिए सभी नगरीय निकायों में ऐसे 255 बाजारों का विकास किया जाएगा। गुमाश्ता लायसेंस के हर साल नवीनीकरण से छूट दी गई है, जिसके कारण कारोबारियों को काफी राहत मिली है।
जमीन की खरीदी-बिक्री पर लगी रोक हटाने से लगभग 60 हजार रजिस्ट्री हुई है और इससे कई परिवारों की खुशियां लौटी हैं। जमीन की कलेक्टर गाइड लाइन दर में 30 प्रतिशत की कमी करने से कई परिवारों के सपने साकार होने लगे हैं। मकान व फ्लैट की रजिस्ट्री शुल्क 4 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत की गई है। नामांतरण, डायवर्सन, बटांकन का सरलीकरण किया गया है। आवासीय कॉलोनी, टाउनशिप की अनुमतियांे के लिए सिंगल विंडो प्रणाली शुरू की जा रही है। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले भूमिहीन परिवारों के पट्टे अंतरण को मान्य करने के साथ नियमितीकरण तथा भू-स्वामी अधिकार की सुविधा दी गई है। ‘मोर जमीन-मोर मकान’ के अंतर्गत 1 लाख 60 हजार परिवारों को आवास निर्माण हेतु 2 लाख 29 हजार रू. की राशि उनके बैंक खातों में डालने की व्यवस्था की गई है। ‘मोर आवास-मोर चिन्हारी’ योजना के अंतर्गत तालाब पार, डूबान क्षेत्र व अन्य योजनाओं से प्रभावित परिवारों के लिए नगर निगम क्षेत्रों में बहुमंजिला फ्लैट्स के निर्माण में तेजी लाई गई है, जिससे हितग्राही को मात्र 75 हजार रू. में घर मिलेंगे। नगरीय निकायों को जनोपयोगी विकास कार्यों के लिए 300 करोड़ रूपए जारी किए गए हैं।
गुणवत्तायुक्त पेयजल प्रदाय के अभियान को मजबूती देते हुए विगत 6 माह में 6 नई योजनाएं शुरू की गई है। घरेलू पेयजल कनेक्शन से वंचित बीपीएल परिवारों के लिए ‘मिनी माता अमृत धारा नल योजना’, फिल्टर प्लांट के माध्यम से ‘पैकेज्ड वॉटर’ प्रदाय हेतु ‘राजीव गांधी सर्वजल योजना’, आपदाग्रस्त स्थानों के लिए ‘मुख्यमंत्री चलित संयंत्र पेयजल योजना‘, राज्य के महान तीर्थ स्थल गिरौदपुरी के लिए ‘गिरौदपुरी धाम समूह पेयजल योजना’, सुपेबेड़ा में तेलनदी के जल शोधन हेतु ‘सुपेबेड़ा पेयजल योजना’, चंदखुरी (जिला दुर्ग) में समस्या निदान हेतु ‘चंदखुरी समूह जल प्रदाय योजना’ से निश्चित तौर पर लाखों लोगों को राहत मिलेगी।
मैंने कहा था कि जनता की गाढ़ी कमाई और छत्तीसगढ़ महतारी की कोख के संसाधनों का दुरूपयोग कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ‘डीएमएफ’ का पैसा हमारे खनिजों के दोहन से आता है। विडम्बना है कि लम्बे समय से इस धन का भारी दुरूपयोग चंद ताकतवर लोगों की विलासिता में हो रहा था। हमने इस प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए नई गाइड लाइन जारी करने का संकल्प लिया था और मुझे खुशी है कि हमने यह काम भी कर दिया है। अब ‘डीएमएफ’ की शासी परिषद में जिला कलेक्टर के स्थान पर प्रभारी मंत्री अध्यक्ष तथा विधायकगण सदस्य होंगे। इस राशि का उपयोग खनन प्रभावित अंचलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण, रोजगार, जीवनस्तर उन्नयन, सुपोषण आदि जनोपयोगी कार्यों के लिए होगा तथा व्यय होने वाली राशि का सोशल आडिट किया जाएगा।
भाइयों और बहनों, समाज के सबसे अंतिम तबके के अंतिम व्यक्ति तक विकास की योजनाओं को पहुंचाना, नागरिकों का सशक्तीकरण, आपसी विश्वास, सद्भाव, समरसता और सुरक्षा के साथ प्रदेश के विकास में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करना हमारी विरासत भी है और भावी जिम्मेदारी भी। पुलिस बल के सशक्तीकरण, आधुनिकीकरण के साथ कल्याणकारी गतिविधियों के अनेक नए आयाम जोड़े गए हैं।
घोषणा-4.
‘हमने प्रशासन को जनहित के प्रति संवेदनषाील बनाने के लिए एक ओर जहां अधिकारियों-कर्मचारियों को अपने मूल कार्यों पर ध्यान देने के लिए सचेत किया, वहीं जवाबदेही तय करने के लिए ‘लोकसेवा गारंटी अधिनियम’ का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया है। आज मैं एक और बहु-प्रतीक्षित मांग पूरी करते हुए एक नए जिले के निर्माण की घोषणा करता हूं। यह जिला ‘गौरेला- पेण्ड्रा-मरवाही’ के नाम से जाना जाएगा। इस तरह अब छत्तीसगढ़ 28 जिलों का राज्य बन जाएगा। इसके अलावा 25 नई तहसीलें भी बनाई जाएंगी।’
हमने तय किया कि नक्सल समस्या को दशकों से देख-समझ रहे हर वर्ग के लोगों से बातचीत कर हल करेंगे। इसकी शुरुआत हमने बस्तर में की है और यह सिलसिला आगे भी जारी रखेंगे। हमारी ‘विश्वास, विकास और सुरक्षा’ की त्रिवेणी के कारण नक्सलवादी गतिविधियों पर अंकुश लगा है।
अपनी परम्पराओं का सम्मान करते हुए और संस्कृति का विस्तार करते हुए हम अपने लक्ष्यों तक पहुंच सकते हैं। जन-जीवन में उल्लास से जिस ऊर्जा का संचार होता है, वही शांति और विकास का अनिवार्य तत्व है। इसके लिए हमने ‘राजिम माघी पुन्नी मेला’ का नाम देकर जो शुरूआत की थी उसे नए सार्वजनिक अवकाश घोषित कर विस्तार दिया है। हरेली, तीजा, माता कर्मा जयंती, विश्व आदिवासी दिवस एवं छठ पूजा के नए सार्वजनिक अवकाश से प्रदेश में जो नया उत्साह जागा है, वह अभूतपूर्व है।
संयोग से आज रक्षा बंधन भी है, जिसे हमारी परम्पराओं ने धार्मिक से अधिक सामाजिक एकता और भाई-बहन के त्यौहार से बढ़कर सुरक्षा पर्व का रूप दिया है। इसके साथ ‘भोजली’ की महत्ता भी जुड़ गई है, जो अनुसूचित जनजाति की परम्परा से आगे बढ़कर सर्व समाजों में स्वीकार की जाती है। मैं सभी भाई-बहनों को रक्षा बंधन और भोजली त्यौहार की बधाई देता हूं और वादा करता हूं कि हमारी सरकार हर बहन के भाई की भूमिका निभाएगी।
हमें पिछले दौर की तरह विकास का वह पैमाना कतई मंजूर नहीं है, जिसमें प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ती दिखाई जाए और गरीबी भी लगातार बढ़ती रहे। हमारा लक्ष्य है कि जीवन स्तर उन्नयन के साथ प्रति व्यक्ति आय बढ़े और गरीबी दर में निर्णायक कमी आए। इस प्रकार हम प्रदेश की समृद्वि को सबकी खुशहाली का माध्यम बनाएंगे।
मुझे विश्वास है कि ‘नवा छत्तीसगढ़’ के निर्माण की नई सोच और नए कार्यों से आप सबको अपने पुरखों के सपने पूरे होने और छत्तीसगढ़ राज्य के गठन की सार्थकता का बोध हो रहा होगा। ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का संकल्प हम सब मिलकर पूरा करेंगे।