रिपोर्ट – विजय शर्मा
कोंडागाँव / कहीं धूल भरी पगडंडी तो कहीं नदी नालो की रुकावटे, कहीं पथरीला गिट्टी भरा मार्ग तो कहीं बड़े – बड़े गढ्ढे भरे जंगली रास्ते, लेकिन कोण्डागांव जिले के कलेक्टर नीलकण्ठ टीकाम के समक्ष दूरस्त ग्रामीणो को विकास की डोर में बांधने के मिशन के कार्य में इन बाधाओ का वजूद नही था।
विकास की पहली जरूरत हैं अंदरूनी क्षेत्रों में बसे गांवो में आजादी के 70 वर्षो के बाद भी इन्हें नही मिल पायी बुनियादी सुविधाएं कुछ आज भी जिले शहर के संपर्क से कटे हैं। कही सरकारी राशन नही पहुंचता, कही स्वास्थ्य तो कही शिक्षक नही, ये समस्याएं गांवो की हैं। शहर में सब ठीक चल रहा इसी सोच के साथ जिले के कलेक्टर निलकंठ टेकाम पिछले दो महीने से कही कार से तो कही मोटर से दौरा कर रहे और गांव की जरूरतों के हिसाब से उनकी समस्याओं का वही पर तत्काल समाधान भी करते जा रहे है।

कोंडागांव कलेक्टर ने विकासखण्ड फरसगांव के सीमावर्ती धनोरा, कोनगुड, देवगांव, भोंगापाल, बनचपई, चिंगनार, बडे़ओडार, जैसे ग्रामों के ग्रामीणो के बीच ग्रामीणो की समस्याओं का अध्ययन कर उनके निदान, युवाओ में क्षमता विकास, सामुहिक नेतृत्व तथा सामुहिक भागीदारी की भावना से योजना करने मार्गदर्शन, कार्यक्रम आयोजन में सक्रिय भागीदारी एंव समन्वय का आहवान किया विशेष बात यह रही की इन गांवों की दौरा उन्होने शासकीय वाहन से ना करके मोटरसाईकिल से किया।
पर्यटन यात्रा के नाम से कलेक्टर द्वारा इन दूरस्थ ग्रामीणो से संम्पर्क करने का अभियान शायद इन ग्रामीणो के लिए भी अनूठा अनुभव रहा होगा। उनकी माने तो पहली बार जिले का सर्वौच्च अधिकारी उनके बीच उपस्थित हुआ और इतने आत्मीयता पूर्ण तरीके से उनकी समस्याओ को जानने का प्रयास किया। गौरतलब है कि उपरोक्त सभी गांव ऐसे ग्रामो की श्रेणी में है जहां विकास की रोशनी बेहद मंथर गति से पहुंच रही है लेकिन जिला कलेक्टर की उर्जा एंव निस्वार्थ सेवा भाव ने इसे नई गति प्रदान की है। कुल मिलाकर इन गांवो की सबसे बड़ी समस्या कनेक्टिविटी बताई गई जाहिर है आवागमन, एंव संचार की साधनो का अभाव निसंदेह किसी भी क्षेत्र के विकास में एक बड़ी बाधा होती है जिसे कलेक्टर ने बखुबी समझते हुए निदान करने का भरोसा भी दिया इस दौरान एक ओर जहां उन्होने ग्रामीण जागरूकता संबंधी समस्त गतिविधियो में बढ़ चढ़ भाग लिया वहीं उनके द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क संबंधीे अनेक विकास कार्यो को तत्काल स्वीकृति भी दी गई उनका मानना था कि जिले के सीमावर्ती गांवो में विकास का ऐसा स्वरूप होना चाहिए जंहा हम गर्व कर सके जंहा हम परम्परागत विरासत को सुरक्षित रखते हुए विकास की मुख्य धारा में स्वंय को जोड़े इन गांवो में प्रवेश करते ही एक अलग अनुभूति होती है। अगर शासकीय योजनाओ से अन्य क्षेत्रो के ग्रामो का विकास हो सकता है तो ऐसे गांव सीमावर्ती क्षेत्र में भी विकसित होने चाहिये।

इस दौरान सहायक आयुक्त आदिवासी विकास जी.एस. सोरी एंव सीइओ केशकाल सहित विभिन्न ग्रामों के मांझी मुखिया एंव सरपंच उपस्थित रहे।
ग्रामिणों कोे सपना लग रहा:-
कोनगुड़ बयानार हंगवा तोतर बेचा चिमड़ी आदनार उरन्दाबेंड़ा के रामसाय बुधमन आयती सोमारी जयती बुधनी लखन कभी नही देखा की कोई इतना बड़ा अधिकारी गांव की पूछ परख करने नदी नाले पार कर गांव पहुंच रहा है। आज ऐसा दिखने लगा हैं की अब हमारी समस्याए दुर होगी सरकार अच्छी पहल करेगा।

कलेक्टर निलकंठ टेकाम:- जमीन से जुड़ा हुआ तेन्दुपत्ता तोड़ते – तोड़ते यहां तक पहुंचा हु। ग्रामिणों की जरूरते उनकी समस्याओं को बारीकी से जानता हूं। विकास सभी को चाहिये मगर सरकार की भी पहली प्राथमिकता हैं। अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे विकास एैसे पहुंचविहिन गांवों को चिन्हित कर वहां पर हर तरह से शिक्षा स्वास्थ्य, राशन, सड़क पहुचे ऐसे प्रयास किये जा रहे हैं।
