कोरिया / HC ने DMF (जिला खनिज न्यास) पर जनहित याचिका की पहली सुनवाई में यह माना की प्रथम दृष्टया मामला बनता है और राज्य सरकार को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर 45 दिन में जांच करने के निर्देश दिए हैं।
कोरिया जिले में DMF की राशि में हुई घोर लापरवाही और बंदरबांट को लेकर पीएम से लेकर हर स्तर पर शिकायत पर कोई कार्यवाही ना होने के बाद कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष गुलाब कमरों ने जनहित याचिका लगाई थी। इस आदेश के बाद बिना टेंडर करोडों के कार्यो के बंदरबांट पर रोक लगने की संभावना बढ गयी है।
इस संबंध में हाईकोर्ट बिलासपुर में याचिका कर्ता के अधिवक्ता जयप्रकाश शुक्ला ने बताया कि हाई कोर्ट डिवीजन बेंच के चीफ जस्टिस माननीय श्री टीबी राधाकृष्णन् और जस्टिस माननीय श्री पीएस कोशे की अध्यक्षता में सुनवाई हुई। जिसमें कोर्ट ने माना की प्रथम दृष्टया मामला बनता है। माननीय न्यायलय ने कम्पलीट आदेश देेते हुए कहा है कि राज्य के खनिज सचिव को याचिका कर्ता के अभ्यावेदन में 45 दिन में निष्पक्ष जांच करने के निर्देश दिए है। याचिकाकर्ता को सुनवाई का पूरा अवसर देने के निर्देश भी दिए है। वही याचिकाकर्ता गुलाब कमरों का कहना है माननीय कोर्ट के आदेश के बाद अब जिले भर में हुई लूट का सच सामने आ जाएगा। खनन प्रभावितों का उनका हक दिलाने की लडाई में ये आदेश मील का पत्थर साबित होगा।
मिली जानकारी के अनुसार कोरिया जिले में डीएमएफ की राशि को लेकर कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष गुलाब कमरों ने पीएम नरेन्द्र मोदी के अलावा राज्य के सीएस, खनिज सचिव सहित कई अधिकारियों को शिकायत दी थी, आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रकांत पारगीर द्वारा सूचना के अधिकार से निकाली गई जानकारी को लेकर उन्होनेें हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाते हुए केन्द्र सरकार को खनिज सचिव, छग के मुख्य सचिव, खनिज सचिव, जिला कलेक्टर, सीईओ, जिला पंचायत और जिला खनिज अधिकारी को पार्टी बनाया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि डीएमएफ में सरकारी नियमों का ध्यान नहीं रखा गया, 60 प्रतिशत राशि खनन प्रभावितों को और राशि बचने पर 40 प्रतिशत अधोसंरचना में खर्च की जानी थी, परन्तु यहां उल्टा किया गया, प्रभावित क्षेत्रों को 40 और अधोसंरचना में 60 प्रतिशत खर्च कर डाली। इसके अलावा कई नियमों की अवहेलना की गई। जिस पर डिवीजन बेंच यधीपतियों ने राज्य के खनिज सचिव को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि डीएमएफ को लेकर मिले अभ्यावेदन को 45 दिन मे याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए जांच करें।

मिली जानकारी के अनुसार कोरिया जिले में डीएमएफ की राशि को लेकर कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष गुलाब कमरों ने पीएम नरेन्द्र मोदी के अलावा राज्य के सीएस, खनिज सचिव सहित कई अधिकारियों को शिकायत दी थी, आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रकांत पारगीर द्वारा सूचना के अधिकार से निकाली गई जानकारी को लेकर उन्होनेें हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट में जनहित याचिका लगाते हुए केन्द्र सरकार को खनिज सचिव, छग के मुख्य सचिव, खनिज सचिव, जिला कलेक्टर, सीईओ, जिला पंचायत और जिला खनिज अधिकारी को पार्टी बनाया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि डीएमएफ में सरकारी नियमों का ध्यान नहीं रखा गया, 60 प्रतिशत राशि खनन प्रभावितों को और राशि बचने पर 40 प्रतिशत अधोसंरचना में खर्च की जानी थी, परन्तु यहां उल्टा किया गया, प्रभावित क्षेत्रों को 40 और अधोसंरचना में 60 प्रतिशत खर्च कर डाली। इसके अलावा कई नियमों की अवहेलना की गई। जिस पर डिवीजन बेंच यधीपतियों ने राज्य के खनिज सचिव को स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा है कि डीएमएफ को लेकर मिले अभ्यावेदन को 45 दिन मे याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए जांच करें।
